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दलीप ट्रॉफी में युवी और रैना होंगे आमने सामने

ग्रेटर नोएडा : भारतीय क्रिकेट में कल से तब एक नया अध्याय शुरू होगा जब युवराज सिंह की ‘रेड’ टीम और सुरेश रैना की ‘ग्रीन’ टीम पहली बार दूधिया रोशनी में रंगीन पोशाक में उतरकर गुलाबी गेंद से खेले जाने वाले दलीप ट्रॉफी मैच में आमने सामने होंगी. भारत में पहली बार कोई प्रथम श्रेणी […]

ग्रेटर नोएडा : भारतीय क्रिकेट में कल से तब एक नया अध्याय शुरू होगा जब युवराज सिंह की ‘रेड’ टीम और सुरेश रैना की ‘ग्रीन’ टीम पहली बार दूधिया रोशनी में रंगीन पोशाक में उतरकर गुलाबी गेंद से खेले जाने वाले दलीप ट्रॉफी मैच में आमने सामने होंगी.

भारत में पहली बार कोई प्रथम श्रेणी टूर्नामेंट गुलाबी गेंद से खेला जा रहा है लेकिन कल से शुरू होने वाले दलीप ट्रॉफी की कई शीर्ष खिलाडियों की अनुपस्थिति से चमक थोड़ी फीकी पड़ गयी है. विराट कोहली, रविचंद्रन अश्विन और अजिंक्य रहाणे जैसे खिलाड़ी अमेरिका में टी20 अंतरराष्ट्रीय में खेलने में व्यस्त रहेंगे जबकि दूसरी श्रेणी के खिलाड़ी जैसे करुण नायर, श्रेयास अय्यर और संजू सैमसन ऑस्ट्रेलिया में ए सीरीज खेलने में व्यस्त है. इस तरह से इस टूर्नामेंट में कुछ पुराने और अनुभवी खिलाडियों जैसे युवराज, गौतम गंभीर (ब्लू टीम) और रैना के साथ तीसरी श्रेणी के खिलाड़ी हिस्सा लेंगे.
इनसे बीसीसीआई को इस नये प्रयोग से जुडे तमाम पहलुओं की जानकारी भी मिलेगी. वैसे यह भारत में पहला दिन रात्रि प्रथम श्रेणी मैच 1995 में दिल्ली और मुंबई के बीच ग्वालियर में रणजी ट्रॉफी फाइनल के रुप में खेला गया था लेकिन तब सफेद गेंद का उपयोग किया गया था. टेस्ट क्रिकेट के प्रति दर्शकों की बढ़ती बेरुखी को देखते हुए आईसीसी दिन रात्रि टेस्ट मैचों को बढावा देने की इच्छुक है और ऐसे में बीसीसीआई भी यह प्रयोग करना चाहता है हालांकि आगामी घरेलू सत्र के दौरान गुलाबी गेंद से टेस्ट मैचों के आयोजन की संभावना बहुत कम है.
शहीद विजय सिंह पथिक खेल परिसर को गुलाबी गेंद मैच के लिये तैयार करना बीसीसीआई की पिच एवं ग्राउंड समिति के प्रमुख दलजीत सिंह और उनकी टीम के लिये भी एक परीक्षा होगी. कूकाबुरा की गुलाबी गेंद 40 ओवर के बाद खराब होने लगती है और ऐसे में पिच में कुछ घास होने की उम्मीद है ताकि गेंद 80 ओवर तक चल सके ओर अपना रंग नहीं बदले. यह देखना दिलचस्प होगा कि युवराज, रैना, गंभीर सरीखे बल्लेबाज दूधिया रोशनी में स्विंग से कैसे सामंजस्य बिठाते हैं.
कूकाबुरा की गेंद का रिकार्ड रहा है कि वह शाम को अधिक स्विंग करती है. रिकार्ड के लिये बता दें कि जोश हेजलवुड और ट्रेंट बोल्ट ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खेले गये पहले दिन रात्रि टेस्ट मैच के दौरान इस गेंद को अच्छी तरह से स्विंग कराया था. युवा तेज गेंदबाज नाथू सिंह, अनुरीत सिंह और अशोक डिंडा ऐसे में बल्लेबाजों के सामने कड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं. एक अन्य दिलचस्प पहलु स्पिनरों को लेकर होगा.
यह देखना रोचक होगा कि कुलदीप यादव, परवेज रसूल जैसे स्पिनर गुलाबी कूकाबुरा का कैसे उपयोग करते हैं क्योंकि घसियाली पिच पर टर्न हासिल करना आसान नहीं होगा. भारतीय टेस्ट टीम अभी किसी तरह की बदलाव की संभावना नहीं है और ऐसे में किसी भी खिलाड़ी के लिये टीम में जगह बनाना संभव नहीं होगा लेकिन यहां का अनुभव उन्हें भविष्य में फायदा दिला सकता है.

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