चेन्नई : रविंद्र जडेजा की शानदार गेंदबाजी की बदौलत आजभारत ने इंग्लैंड को पांचवें और सीरीज के अंतिम टेस्ट मैच में पारी और 75 रन से हरा दिया. इस जीत के साथ ही सीरीज में भारत ने 4-0 से जीत दर्ज कर ली है. इस सीरीज में भारत ने अंग्रेजों को बुरी तरह से धो डाला है. रविंद्र जडेजा ने इंग्लैंड की दूसरी पारी में शानदार गेंदबाजी की और सात विकेट चटकाये. आज भारत के सामने अंग्रेजों के दस विकेट गिराने की चुनौती थी जिसे भारत ने समय रहते पूरा कर लिया.
इस सीरीज के लिए विराट कोहली को ‘मैन आफ द सीरीज‘ और करूण नायर को ‘मैन आफ द मैच’ घोषित किया गया. सीरीज को 4-0 से जीतने के बाद भारत की टेस्ट रैंकिंग नंबर वन बनी रहेगी और वर्ष 2016 के अंत तक भारत नंबर वन बना रहेगा.
इंग्लैंड ने सुबह जिस तरह से शुरुआत की थी उससे लग रहा था कि वह मैच बचाने में सफल रहेगा लेकिन इसके बाद जडेजा का जादू चला जिन्होंने अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी करते हुए 48 रन देकर सात विकेट लिये. इसके अलावा उन्होंने तीन कैच भी लपके और केवल दो सत्र के अंदर इंग्लैंड के दस विकेट निकालने और उसकी पारी 207 रन पर समेटने में अहम भूमिका निभायी. जडेजा ने एक मैच में भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और 154 रन देकर दस विकेट लिये। इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी में 477 रन बनाये थे जिसके जवाब में भारत ने करुण नायर ( नाबाद 303 रन ) के तिहरे शतक और लोकेश राहुल ( 199 ) के बडे शतक के दम पर अपनी पारी सात विकेट पर 759 रन पर पारी समाप्त घोषित की. भारत ने इस तरह से पहली पारी में 282 रन की बढत हासिल की थी.
इंग्लैंड ने आज सुबह जब शुरुआत की तो वह भारत से 270 रन पीछे थे. पहला सत्र इंग्लैंड के नाम रहा लेकिन दूसरे सत्र से कहानी बदल गयी। इंग्लैंड ने 104 रन के अंदर अपने सभी विकेट गंवा दिये. भारत ने पिछले 18 टेस्ट में कोई मैच नहीं गंवाया है जो कि नया भारतीय रिकार्ड है. यही नहीं उसने इस साल कुल नौ टेस्ट मैचों में जीत दर्ज की. यह एक कैलेंडर वर्ष में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. इससे पहले उसने 2010 में आठ टेस्ट मैच जीते थे. इंग्लैंड की टीम लगातार दूसरे मैच में पहली पारी में 400 रन का स्कोर बनाने के बावजूद हार झेलने वाली दूसरी टीम भी बन गयी। इससे पहले 2010 में आस्ट्रेलिया ने भारत के खिलाफ ही लगातार दो मैच इस तरह से गंवाये थे. यह पहला अवसर है जबकि भारत ने इंग्लैंड से किसी श्रृंखला में 4-0 से हराया. इससे पहले उसने अपने इस प्रतिद्वंद्वी को 1993 में अपनी सरजमीं पर 3-0 से हराया था.
भारत पहले सत्र में विकेट हासिल नहीं कर पाया. कप्तान एलिस्टेयर कुक ( 49 ) और कीटन जेनिंग्स ( 54 ) ने कुछ विषम पलों से गुजरने के बावजूद भारत को पहले सत्र में सफलता नहीं मिलने दी और सुबह बिना किसी नुकसान के 12 रन से स्कोर 97 रन पर पहुंचाया, लेकिन जिस तरह से बांग्लादेश के खिलाफ मीरपुर में इंग्लैंड ने 64 रन के अंदर दस विकेट गंवाये वैसी ही कुछ स्थिति चेपक स्टेडियम में भी बनी और इंग्लैंड दो सत्र में धरासायी हो गया. इंग्लैंड का स्कोर एक समय बिना किसी नुकसान के 103 रन था जो लंच के बाद पहले घंटे के अंदर ही चार विकेट पर 129 रन हो गया। चाय के विश्राम के बाद फिर से यही कहानी दोहरायी गयी.
पिच अब भी सपाट थी लेकिन भारतीय गेंदबाजों की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने बल्लेबाजों पर दबाव बनाकर उन्हें विकेट गंवाने के लिये मजबूर किया. इंग्लैंड की पारी के पतन का श्रेय जडेजा को जाता है जिन्होंने अपने करियर में छठी बार पारी में पांच या इससे अधिक विकेट लिये. उन्होंने सुबह चार रन के निजी योग पर जीवनदान पाने वाले कुक को आउट करके भारत को पहली सफलता दिलायी. कुक को जडेजा ने श्रृंखला में छठी बार पवेलियन की राह दिखायी. बायें हाथ के इस स्पिनर ने इसके बाद जडेजा ने इसके बाद जेनिंग्स और भरोसमंद जो रुट ( छह ) को आउट किया जबकि तीसरे सत्र में मोईन अली : 44 : और बेन स्टोक्स : 23 : के महत्वपूर्ण विकेट हासिल किये.
मोईन और स्टोक्स ने चाय के विश्राम से पहले 19 ओवर तक अपनी टीम को कोई झटका नहीं लगने दिया था। उन्होंने बाद में स्टुअर्ट ब्राड और जेक बाल को आउट करके इंग्लैंड की पारी का अंत किया. दूसरे छोर से इशांत शर्मा : 17 रन देकर एक :, अमित मिश्रा : 30 रन देकर एक : और उमेश यादव : 36 रन देकर एक : ने एक एक विकेट निकालकर जडेजा का अच्छा साथ दिया। पिछले कुछ समय से भारतीय जीत के नायक रहे रविचंद्रन अश्विन ने पूरे मैच में केवल एक विकेट लिया लेकिन भारत ने दिखा दिया कि उनके नहीं चल पाने के बावजूद वह जीत दर्ज कर सकता है.