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आखिर कब तक लागू होंगी लोढ़ा समिति की सिफारिशें?

बीसीसीआई बनाम लोढ़ा समिति के केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसे अपना आदेश मनवाना आता है और इसी बात को साबित किया है कोर्ट के सोमवार के फैसले ने, जिसमें उसने बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को पद से हटा दिया. उन दोनों पर आरोप यह है कि […]

बीसीसीआई बनाम लोढ़ा समिति के केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसे अपना आदेश मनवाना आता है और इसी बात को साबित किया है कोर्ट के सोमवार के फैसले ने, जिसमें उसने बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को पद से हटा दिया. उन दोनों पर आरोप यह है कि वे लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने में आनाकानी कर रहे थे. यह सारा विवाद पिछले वर्ष 18 जुलाई को शुरू हुआ था, जब कोर्ट ने लोढ़ा समिति की अधिकांश सिफारिशों को लागू करने का आदेश बीसीसीआई को मिला था. लेकिन बीसीसीआई इन सिफारिशों को लगातार टालने में जुटा था.

कोर्ट के निर्णय का नहीं होगा विरोध
कोर्ट के फैसले का बीसीसीआई विरोध नहीं करेगा इसके संकेत अनुराग ठाकुर ने कल दे दिये थे. अनुराग ने कहा था, अगर इस फैसले से क्रिकेट का हित होगा, तो शुभकामनाएं. कोर्ट के आदेशानुसार सचिव का कार्यभार तो संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी देखेंगे, लेकिन अध्यक्ष का कार्यभार वरिष्ठ उपाध्यक्ष के जिम्मे आया है. वरिष्ठ उपाध्यक्ष में गंगराजू का नाम सामने आया है, लेकिन वरिष्ठ कौन इसपर अभी संशय है. ऐसी खबर है कि फिलहाल बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी महाप्रबंधक एमवी श्रीधर के साथ मिलकर रोजमर्रा का संभालेंगे, लेकिन सवाल यह है कि आखिर लोढ़ा समिति की सिफारिशें लागू होंगी कैसे? जिसके लिए यह तमाम विवाद खड़ा हुआ है.
बीसीसीआई की बैठक बुलानी होगी
लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करवाने के लिए बीसीसीआई की बैठक बुलानी होगी. अभी सितंबर महीने में ही बोर्ड का 87वां एजीएम बुलाया गया था, जिसमें समिति की कुछ सिफारिशों को लागू किया गया और बोर्ड का बजट भी पास किया गया. अब जबकि बोर्ड के पास कोई अध्यक्ष और सचिव नहीं है तो कार्यवाहक अध्यक्ष और सचिव तो समिति की सिफारिशों को लागू नहीं करवा पायेंगे, क्योंकि नीतिगत फैसले लेने में वे असमर्थ होंगे. कोर्ट ने एफएस नरीमन को बोर्ड के प्रशासकों की नियुक्ति हेतु नियुक्त किया था लेकिन उन्होंने इससे खुद को अलग कर लिया है. उनका कहना है कि वे बोर्ड के वकील रह चुके हैं, इसलिए वे खुद को इससे अलग रखना चाहते हैं. कोर्ट ने अब यह जिम्मेदारी वरिष्ठ वकील अनिल दीवान को सौंप दी है. नरीमन ने मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अगुवाई वाली पीठ को बताया कि उन्होंने 2009 में वकील के रुप में भारतीय क्रिकेट बोर्ड का प्रतिनिधित्व किया था और इसलिए वह इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं. इसके बाद पीठ ने दीवान को इस मामले में न्यायमित्र के रुप में अदालत की मदद कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रहमण्यम के साथ काम करने और बीसीसीआई का कामकाज देखने के लिए प्रशासकों के नाम सुझाने के लिए कहा. अदालत ने इन दोनों वकीलों को दो सप्ताह के अंदर संभावित प्रशासकों के नामों का सुझाव देने के लिए कहा है. दो सप्ताह बाद जब कोर्ट के सामने प्रशासकों के नामों की सूची होगी, तो कोर्ट उनमें से प्रशासक नियुक्त करेगा. उसके बाद बीसीसीआई की बैठक बुलायी जायेगी और उसके बाद ही बोर्ड किसी तरह के नीतिगत फैसले ले पायेगा. कई राज्यसंघों के अधिकारियों ने भी कल कोर्ट के निर्णय के बाद अपना पद छोड़ दिया है, उन पदों पर भी नियुक्ति होना अनिवार्य है, अन्यथा बोर्ड की बैठक संभव नहीं हो पायेगी. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि लोढ़ा समिति की सिफारिशें लागू होने में अभी भी काफी वक्त लग सकता है.

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