!!सुनील कुमार!!
रांची : महेंद्र सिंह धौनी ने बुधवार को अचानक वनडे और टी-20 की कप्तानी छोड़ कर दुनिया भर के अपने प्रशंसकों को चौंका दिया. धौनी के इस फैसले की जानकारी उनके परिजनों और खास दोस्तों को भी नहीं थी. उन्होंने इसकी भनक साथी रणजी खिलाड़ियों को भी नहीं लगने दी, जबकि वह टीम के मेंटर हैं और पिछले चार दिनों से नागपुर में झारखंड रणजी टीम के साथ अभ्यास में जुटे हैं.
यह पहला मौका नहीं है, जब धौनी ने अपने फैसले से सबको चौंकाया हो. वर्ष 2007 के पहले टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल में भी उन्होंने अप्रत्याशित फैसला लिया था. पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल के अंतिम ओवर में उन्होंने जोगिंदर शर्मा को गेंद थमा कर सब को चौंका दिया था (हालांकि टीम इंडिया इसमें चैंपियन बनी थी). इसी प्रकार 2011 वर्ल्ड कप के फाइनल में भी उनका फैसला हैरान करनेवाला था. फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह की जगह वह खुद बल्लेबाजी करने आ गये थे और फिनिशर की भूमिका निभाते हुए टीम को चैंपियन बनाया था.
फिर उन्होंने 2014 में टेस्ट मैचों से संन्यास ले लिया. धौनी ने टेस्ट क्रिकेट में भारत को नंबर एक टीम बनाया. टेस्ट क्रिकेट से धौनी के अलविदा कहते ही उस युग भी अवसान हो गया. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में खेले गये बॉक्सिंग डे टेस्ट (26 से 30 दिसंबर 2014) उनका आखिरी टेस्ट मैच था, जिसके बाद धौनी ने टेस्ट मैचों को अलविदा कह कर पूरी दुनिया को चौंकाया था. किसी को भनक तक नहीं लगने दी और मेलबर्न में तीसरा टेस्ट खत्म होने के बाद संन्यास की घोषणा कर दी. मैदान पर अपने फैसलों को लेकर धौनी हमेशा चौंकाते रहे हैं. वहीं मैदान के बाहर बहुत खामोशी से अपनी जिंदगी जीते हैं. बुधवार को भी उन्होंने वनडे और टी-20 की कप्तानी छोड़ कर सभी को न सिर्फ चौंकाया, बल्कि हैरान भी कर दिया.
धौनी ऐसे क्रिकेटर हैं, जिन्होंने क्रिकेट को हेलीकॉप्टर शॉट दिया. यह क्रिकेट के शब्दकोश में नया शब्द था. वनडे और टी-20 मैचों में धौनी नि:संदेह बेहतरीन मैच फिनिशर हैं. यह कहना गलत नहीं होगा कि धौनी अपनी तरह के नायक थे. सचिन की तुलना ब्रैडमेन और गावस्कर से होती रही, गांगुली की कप्तानी की तुलना पोंटिंग से होती थी, लेकिन धौनी की तुलना किसी से करना तर्कसंगत नहीं है. इसलिए नहीं कि इन महान खिलाड़ियों से धौनी का कद बड़ा है, इसलिए कि धौनी अलग परिस्थितियों में बने नायक थे. नायक एक लम्हे में नहीं, उसके वक्त के पूरे फैलाव में बनता है. धौनी महानगर से निकल कर नायक नहीं बने थे.
सामान्य परिवेश में रह कर महान सपने देखने और अपनी काबिलियत पर विश्वास ने उन्हें सफल कप्तान बनाया. धौनी की उपलब्धि का लेखा-जोखा महज हार-जीत, शतक-अर्धशतक और रैंकिंग से नहीं हो सकता. ‘स्मॉल टाउन बिग ड्रीम्स’ का टैग धौनी के साथ शुरू हुआ और इसने क्रिकेट से इतर सभी क्षेत्र में छोटे शहरों के युवाओं की सफलता की नयी परिभाषा लिखी.