नयी दिल्ली : टीम इंडिया के पूर्व टीम निदेशक रवि शास्त्री ने हाल ही में भारतीय वनडे और टी-20 टीम की कप्तानी छोड़ने वाले महान खिलाड़ी महेंद्र सिंह धौनी की जमकर तारीफ की है. शास्त्री ने धौनी की तारीफ करते हुए दादा कप्तान बताया और भारत के सबसे सफल कप्तानों में टॉप पर बताया.
एक समय था कि शास्त्री धौनी को कप्तानी छोड़ देने और विराट कोहली को क्रिकेट के तीनों प्ररुपों की कप्तानी सौंप देने की बात करने वालों में सबसे आगे थे. धौनी के साथ उनके मनमुटाव की भी खबरें मीडिया जगत में चर्चा पर रही. हालांकि धौनी और शास्त्री ने हमेशा इस बात से इनकार किया कि दोनों के बीच विवाद है.
बहरहाल शास्त्री ने एक साक्षात्कार में कहा कि धौनी ने हाल में जो किया वो बिल्कुल ही सही फैसला था. धौनी ने सही समय पर सही फैसला लिया है. हालांकि इस दौरान शास्त्री ने सौरव गांगुली को भारत का सबसे सफल कप्तान मानने से इनकार किया और उनका नाम भी नहीं लिया. सौरव गांगुली का नाम नहीं लेने से एक बार फिर से दादा के प्रति उनके मनमुटाव को समझा जा सकता है.
शास्त्री और गांगुली के बीच मनमुटाव की खबरें किसी से छिपी नहीं है. टीम इंडिया के मुख्य कोच की नियुक्ति के लिए साक्षात्कार पैनल में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड थे. जब शास्त्री का साक्षात्कार लिया जा रहा था तो सौरव गांगुली वहां मौजूद नहीं थे. बाद में जब अनिल कुंबले को टीम इंडिया का मुख्य कोच चुना गया तो सबसे पहले इसका विरोध करने वालों में शास्त्री ही थे. उस समय शास्त्री और सौरव गांगुली का विवाद खुल कर सबके सामने आया था. अब सौरव गांगुली को भारत के सबसे सफल कप्तानों में न शामिल कर शास्त्री ने नये विवाद को जन्म दे दिया है.
शास्त्री ने साक्षात्कार के दौरान कहा, धौनी भारत के सबसे सफल कप्तान रहे हैं. मैं भारत के दादा कप्तान को सलाम करता हूं. उन्होंने कहा, धौनी ने विराट कोहली को आने वाले बड़े टूर्नामेंट के लिए तैयारी का मौका दिया है. धौनी ने भारत के लिए वो सब अर्जित किया है जो किया जाना था. धौनी को अब कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं हैं.
शास्त्री से भारत के सबसे सफल कप्तानों के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने सबसे पहले धौनी का नाम लिया उसके बाद अजित वाडकर और टाइगर पटौदी का नाम लिया. उन्होंने सौरव गांगुली का नाम भी नहीं लिया. बताते चलें कि सौरव गांगुली को भारत के सबसे सफल कप्तानों में हमेशा स्थान दिया गया है. उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने कई मैच जीते हैं. इसके बाद भी शास्त्री ने उनका नाम नहीं लिया. शायद दादा के समर्थकों को से नागवारा गुजरेगा.