हैदराबाद : पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने आज हैदराबाद क्रिकेट संघ (एचसीए) के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दायर किया. इससे पहले अरशद अयूब ने लोढ़ा समिति के सुधारवादी कदमों पर उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद अध्यक्ष पद छोड़ दिया था.
लगातार तीन विश्व कप (1992, 1996, 1999) में भारत की अगुआई करने वाले और भारत के सबसे लंबे समय तक कप्तानों में से एक अजहरुद्दीन को वर्ष 2000 में सामने आए मैच फिक्सिंग प्रकरण में कथित संलिप्तता के लिए बीसीसीआई ने आजीवन प्रतिबंधित किया था.
अजहरुद्दीन ने नामांकन दायर करने के बाद कहा, ‘‘हैदराबाद के साथ समस्या यह है कि क्रिकेट पर ध्यान नहीं है. रणजी ट्रॉफी में हम नीचे से दूसरे स्थान पर रहे. मेरी इच्छा है कि हैदराबाद में एक बार फिर क्रिकेट फले फूले. मैं क्रिकेट के लिए सचमुच में अच्छा करना चाहता हूं. ” उन्होंने कहा, ‘‘मैं जिला स्तर पर क्रिकेट में सुधार करना चाहता हूं क्योंकि कड़ी मेहनत करने वाले काफी खिलाड़ी जिलों से आते हैं. हमने इतने सारे महान खिलाड़ी तैयार किए है लेकिन अब भारतीय टीम में हमारे खिलाड़ी नहीं हैं. मेरा इरादा क्रिकेट के लिए कड़ी मेहनत करने का है.”
अजहरुद्दीन ने लंबी कानूनी लडाई लड़ी और 2011 में आंध्र उच्च न्यायायल ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन बीसीसीआई ने कभी औपचारिक तौर पर उन पर लगा प्रतिबंध नहीं हटाया. उन्हें कभी वह पेंशन नहीं मिली जिसके पूर्व भारतीय खिलाड़ी हकदार हैं.
बीसीसीआई ने यहां तक कि पिछले रणजी सत्र में डीडीसीए को उस समय कड़े शब्दों में पत्र लिखा था जब अजहरुद्दीन को बाउंड्री लाइन के बाहर विदर्भ के खिलाडियों के साथ बात करते हुए देखा गया था और मैच रैफरी ने इसका संज्ञान लिया था.
एचसीए सचिव जान मनोज ने कहा, ‘‘हां, मुझे सूचित किया गया है कि अजहर अपने समर्थकों के साथ एचसीए चुनाव के लिए नामांकन दायर कराने आए थे. उनके पास निचली अदालत का आदेश था तो उन्हें चुनाव लड़ने की स्वीकृति देता है. सामान्यत: एचसीए चुनाव मई के अंतिम रविवार को होते हैं लेकिन अजहर के पास आदेश था जो कहता है कि यह 17 जनवरी को होने चाहिए.” अपने समय के सर्वश्रेष्ठ कलात्मक बल्लेबाजों में से एक अजहर ने भारत की ओर से 99 टेस्ट में 24 शतक की मदद से 6000 से अधिक रन बनाए.