नयी दिल्ली : कारगिल युद्ध के एक शहीद की बेटी जिसका एबीवीपी के खिलाफ सोशल मीडिया कैंपेन वाइरल हो गया है, आज पूर्व क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग और अभिनेता रणदीपहुड्डाके साथ ट्विटर वार में उलझ गईं. हुड्डा ने उन्हें ‘राजनैतिक मोहरा’ बताया.
दिल्ली विश्वविद्यालय की 24 वर्षीय छात्रा गुरमेहर कौर ने रामजस कॉलेज में हिंसा के बाद ‘आई एम नॉट आफरेड ऑफ एबीवीपी’ अभियान शुरू किया था. यह अभियान वाइरल हो गया और विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों से इसे जबर्दस्त समर्थन मिला.
उसने फेसबुक ‘आई एम नॉट आफरेड ऑफ एबीवीपी (मैं एबीवीपी से नहीं डरती)’ और ‘पाकिस्तान डिड नॉट किल माई फादर बट वार डिड (पाकिस्तान ने मेरे पिता की हत्या नहीं की, बल्कि युद्ध ने उनकी जान ली)’ लिखी अलग-अलग तख्तियां लेकर अपनी तस्वीरें डालीं.
इसके बाद साहित्य की छात्रा के सहपाठियों ने पोस्ट को साझा करना शुरू किया और देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों ने इसी तरह की तख्तियां लेकर अपनी प्रोफाइल पिक्चर को बदलना शुरू कर दिया. इसी कड़ी में सहवाग ने भी हाथ में तख्ती लेकर एक तस्वीर साझा की. उस तख्ती पर लिखा है, ‘‘आई डिड नॉट स्कोर टू ट्रिपल सेंचुरीज. माई बैट डिड. :मैंने दो तिहरा शतक नहीं मारा. मेरे बल्ले ने मारा.” जहां अनेक ट्विटर उपयोगकर्ताओं ने क्रिकेट मैच की तुलना युद्ध से करने के लिए सहवाग की आलोचना की, वहीं रणदीप हुडा समेत कई अन्य ने सहवाग के बयान की सराहना करते हुए कहा, ‘‘उसे (गुरमेहर) मोहरा बनाया जा रहा है.”
हुड्डा की टिप्पणी के जवाब में कौर ने एक के बाद एक ट्वीट में कहा, ‘‘जिस घृणा का मैं शिकार हो रही हूं उसे प्रोत्साहित करके आप बहुत अच्छा कर रहे हैं. मुझे खुशी है कि मैं आपके काम को पसंद करती हूं. मोहरा. मैं सोच सकती हूं. मैं छात्रों पर की जाने वाली हिंसा का समर्थन नहीं करती. क्या वह गलत है.” ट्विटर पर लोगों ने अभिनेता की टिप्पणी पर नकारात्मक प्रतिक्रिया दी. मजबूरन वह नुकसान को रोकने की मुद्रा में आ गए.
उन्होंने कहा, ‘‘दुखद बात है कि उस लड़की का इस्तेमाल राजनैतिक मोहरे के तौर पर किया जा रहा है—यह बिल्कुल गलत है–मुझे महसूस होता है कि यह सिर्फ व्याख्या तक सीमित नहीं है.” गुरमेहर ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘अगर वो आपको परेशान करता है तो मुझे शहीद की बेटी नहीं कहें.
मैंने ऐसा कुछ दावा नहीं किया. आप मुझे गुरमेहर कह सकते हैं.” करगिल युद्ध के शहीद कैप्टन मनदीप सिंह की बेटी कौर ने दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस की छात्र शाखा के खिलाफ अभियान शुरू करने के बाद एबीवीपी के सदस्यों से उन्हें ‘बलात्कार की धमकी’ मिली. रामजस कॉलेज में पिछले सप्ताह आइसा और एबीवीपी के सदस्यों के बीच बड़े पैमाने पर हिंसक झड़प हुई थी.