ऑस्ट्रेलिया की दादागिरी अब हो रही है खत्म
।। अनुज कुमार सिन्हा ।। एक समय था, जब क्रिकेट की दुनिया में ऑस्ट्रेलिया की दादागिरी चलती थी. सबसे मजबूत टीम. हराना मुश्किल. हाल के दिनों में स्थिति बदल चुकी है. टीम इंडिया का कद लगातार बढ़ा है और ऑस्ट्रेलिया का दबदबा कम हो गया है. धर्मशाला में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को पस्त किया, सीरीज […]
।। अनुज कुमार सिन्हा ।।
एक समय था, जब क्रिकेट की दुनिया में ऑस्ट्रेलिया की दादागिरी चलती थी. सबसे मजबूत टीम. हराना मुश्किल. हाल के दिनों में स्थिति बदल चुकी है. टीम इंडिया का कद लगातार बढ़ा है और ऑस्ट्रेलिया का दबदबा कम हो गया है. धर्मशाला में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को पस्त किया, सीरीज पर कब्जा जमाया. दो साल में दोनों टीमों के प्रदर्शन को देखेंगे, तो पता चल जायेगा कि कौन कितने पानी में है. 2015 के बाद भारत ने लगातार सातवीं सीरीज जीती.
पहले श्रीलंका को 2-1 से, साउथ अफ्रीका को 3-0 से, वेस्ट इंडीज को 2-0 से, न्यूजीलैंड को 3-0 से, इंग्लैंड को 4-0 से, बांग्लादेश को 1-0 से और ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हरा कर सीरीज जीती है. यह किसी टीम के लिए गर्व करने की बात है. 21 टेस्ट खेले और हारे सिर्फ एक. पुणे में ऑस्ट्रेलिया ने 333 रन से भारत को हराया था. अगर वह टेस्ट भारत नहीं हारता, तो आज लगातार 21 टेस्ट में नहीं हारने का अदभुत रिकॉर्ड भारत के नाम होता. इसके उलट ऑस्ट्रेलिया की टीम को देखिए.
हाल में उसने चार सीरीज खेले, सिर्फ एक में जीत मिली. पहले उसे श्रीलंका ने 3-0 से धोया. फिर साउथ अफ्रीका ने 2-1 से. हां, पाकिस्तान को 3-0 से हरा कर कुछ प्रतिष्ठा बचायी, लेकिन भारत से फिर सीरीज गंवायी. चार में से तीन सीरीज में ऑस्ट्रेलिया की हार और सात में सात भारत की जीत की सारी कहानी कह देती है.
इस सीरीज में ऑस्ट्रेलिया ने जैसी शुरुआत की थी, भारतीय बल्लेबाजी को बिखेर दिया था, उसके स्पिनरों (लियोन और ओकीफे) ने पहले दो मैचों में जो कमाल किया था, उससे लगा था कि इस बार पूरी तैयारी के साथ ऑस्ट्रेलिया की टीम आयी है. उसने पुणे टेस्ट जीता. भारतीय टीम इस टेस्ट में 105 और 107 पर आउट हो गयी. इतने दिग्गज और यह बुरा हाल! दूसरा टेस्ट बेंगलुरु में हुआ. वहां लियोन ने आठ विकेट ले लिये.
भारतीय टीम किसी तरह राहुल के 90 रन के सहारे 189 तक पहुंच पायी थी. स्पिन खेलना भूल गये थे भारतीय खिलाड़ी. ऑस्ट्रेलिया ने 276 बना कर अच्छी बढ़त ले ली थी. किसी तरह भारत दूसरी पारी में 274 रन बना पाया था. इस मैच में पुजारा ने 92 रन की जो पारी खेली थी, वह बेहतरीन पारी थी.
पुजारा की उस पारी ने भारत को थोड़ा खड़ा किया. धन्यवाद अश्विन को, जिसने छह विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया को 112 रन पर समेट दिया. दो सौ से कम का लक्ष्य था. अंतत: भारत जीता. रांची में जब तीसरा टेस्ट आरंभ हुआ, तब ऑस्ट्रेलिया ने पहले बड़ा स्कोर खड़ा किया, लेकिन पहली बार सीरीज में भारतीय बल्लेबाजी दिखी. राहुल, विजय, पुजारा, साहा और जडेजा सभी चले.
पुजारा का दोहरा शतक. भारत ने 603 रन बना कर बड़ी बढ़त ली और ऑस्ट्रेलिया पर बनाया दबाव. चौथे दिन जब रांची में खेल खत्म हुआ था, तब ऑस्ट्रेलिया दो विकेट खो कर हारने की स्थिति में था. रांची में ऑस्ट्रेलिया के दो खिलाड़ियों मार्श (197 गेंद, 53 रन) और हैंड्सजाब (200 गेंद, नाबाद 72 रन) ने भारतीय गेंदबाजों को परेशान कर दिया. न रन बनाते, न विकेट गवांते. किसी तरह रांची का टेस्ट ऑस्ट्रेलिया ने बचा लिया. सारा ध्यान अब अंतिम टेस्ट पर था. कोहली टीम में नहीं थे, घायल थे. पांच गेंदबाजों के साथ उतरा भारत. सही और बड़ा फैसला था.
कुलदीप यादव टीम में लिये गये. पहले ही टेस्ट में चार विकेट. अपना चयन सही साबित किया. ऑस्ट्रेलिया को 300 पर रोका, लेकिन मैच को बनाया जडेजा और साहा की जोड़ी ने. एक समय भारत 221 रन पर छह विकेट खो चुका था. अगर ऑस्ट्रेलिया लीड ले लेता, तो बाजी पलट सकती थी. भारत ने लीड ली. तीसरा दिन भारत का रहा. ऑस्ट्रेलिया के सारे धुरंधर 137 पर पैवेलियन जा चुके थे.
भारत जीता, सीरीज पर कब्जा किया. कोहली के बगैर टीम जीती. पूरे सीरीज में केएल राहुल का बल्ला चलता रहा. सात पारियों में छह अर्द्धशतक. कमाल की बल्लेबाजी. इसने कई बार भारत को बचाया. स्पिनर्स में जडेजा इस बार अश्विन पर भारी पड़े. जडेजा ने 25 और अश्विन ने 21 विकेट लिये.
अब ऑस्ट्रेलिया की टीम लौट रही है. कह सकती है कि 4-0 से भारत में नहीं हारे, यही क्या कम है, लेकिन कई ऐसे अवसर आये जब मैच पूरी तरह उसकी पकड़ में था. तीन-तीन शतक जमानेवाले स्मिथ ने अपनी टीम को विवाद में रखा. निगेटिव क्रिकेट खेलने का यह नतीजा है कि टीम हार कर लौट रही है. भारतीय खिलाड़ियों पर लगातार टिप्पणी कर उसे परेशान-विचलित करने की ऑस्ट्रेलिया की रणनीति ही गलत निकली. भारतीय खिलाड़ियों ने उन्हीं की भाषा में जवाब दिया.
मैक्सवेल भारत में आइपीएल खेलते रहे हैं. कोहली को चोट लगी थी, मैच से बाहर होना पड़ा. लेकिन गेंद को मैक्सवेल सीमा पर गिर कर पकड़ने के बाद अपने कंधे को पकड़ कर कोहली की नकल कर चिढ़ाने का काम किया. ऐसी हरकत मैक्सवेल जैसे खिलाड़ी की महानता को कम करती है. अन्य ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों का रवैया भी लगभग ऐसा ही रहा. खेल पर दिमाग लगाने के बजाय कहीं और दिमाग लगाया. नतीजा सामने है. भारत जीता और शान से. टीम को बधाई!