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हरभजन सिंह ने कोच अनिल कुंबले को पत्र लिखा, रणजी फीस मसले पर गौर करने का अनुरोध किया

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय टीम से बाहर रहते हुए हरभजन सिंह को औसत घरेलू क्रिकेटरों की स्थिति के बारे में जानने का मौका मिला जिसके बाद उन्होंने मुख्य राष्ट्रीय कोच अनिल कुंबले से अनुरोध किया है कि वे सीओए के सामने उनकी मैच फीस बढ़ाने का मसला रखें. कुंबले 21 मई को प्रशासकों की समिति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 18, 2017 7:37 AM

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय टीम से बाहर रहते हुए हरभजन सिंह को औसत घरेलू क्रिकेटरों की स्थिति के बारे में जानने का मौका मिला जिसके बाद उन्होंने मुख्य राष्ट्रीय कोच अनिल कुंबले से अनुरोध किया है कि वे सीओए के सामने उनकी मैच फीस बढ़ाने का मसला रखें. कुंबले 21 मई को प्रशासकों की समिति के सामने प्रेजेंटेशन देंगे जिसमें अनुबंधित भारतीय क्रिकेटरों के लिये संशोधित भुगतान ढांचे का खाका पेश करेंगे. ये ग्रेड दो करोड़, एक करोड़ और 50 लाख रुपये हैं.

भारत के शीर्ष क्रिकेटर और आईपीएल अनुबंध पाने वाले कुछ प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों के अलावा औसत घरेलू क्रिकेटरों को एक प्रथम श्रेणी मैच : रणजी या दलीप ट्रॉफी : खेलने पर डेढ़ लाख रुपये मिलते हैं. वहीं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों को एक टेस्ट मैच खेलने के 15 लाख रुपये दिये जाते हैं. भारत के सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों में से एक हरभजन ने कुंबले को हाल ही में घरेलू क्रिकेटरों की वित्तीय असुरक्षा के बारे में लिखा. हरभजन ने पत्र में लिखा ,‘‘ पिछले दो तीन साल से मैं रणजी ट्रॉफी खेल रहा हूं. मैने प्रथम श्रेणी साथी क्रिकेटरों को वित्तीय स्थिति को लेकर संघर्ष करते देखा. रणजी ट्रॉफी की मेजबानी दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड करता है. मैं एक खिलाड़ी के तौर पर आपसे अपील करता हूं चूंकि आप सभी रणजी खिलाडियों के लिये प्रेरणास्रोत और रोलमाडल हैं.”

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हरभजन ने लिखा ,‘‘ मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि बोर्ड के आला अधिकारियों और सचिन, राहुल, लक्ष्मण और वीरु जैसे खिलाडियों से बात करके भुगतान की रकम में बदलाव सुनिश्चित करें.” उन्होंने यह भी कहा कि यह बात समझ से परे है कि लंबे समय से रणजी ट्राफी में भुगतान के ढांचे में बदलाव नहीं हुआ है. उन्होंने कहा ,‘‘ मैं बदलाव लाने में मदद करने के लिये तैयार हूं. यह हैरानी की बात है कि 2004 से भुगतान व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ है. उस समय 100 रुपये की कीमत क्या थी और अब क्या है.”
हरभजन ने कहा ,‘‘ आज के दौर में आप खुद को पेशेवर कैसे कह सकते हैं जब आपकी नौकरी आपको यह भी नहीं बताती कि सालाना आपको कितना पैसा मिलेगा. आपकी सालाना कमाई भी तय नहीं है और वह भी तब जब साल भर का काम पूरा होने पर आपको पैसा मिलता है.” उन्होंने कहा ,‘‘ ये खिलाड़ी अपना भविष्य तय नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें पता ही नहीं है कि उन्हें इस साल एक लाख रुपये मिलेंगे या दस लाख रुपये. इससे उनकी निजी जिंदगी में कई समस्यायें पैदा हो जाती है.”
पत्र के बारे में पूछने पर हरभजन ने कहा ,‘‘ यदि मैने पिछले चार पांच साल घरेलू क्रिकेट नहीं खेली होती तो मुझे औसत घरेलू क्रिकेटरों के हालात पता ही नहीं चलते. हर किसी के पास काम नहीं है. आईपीएल करार मिलने पर उनकी आजीविका बेहतर होती है लेकिन सभी को तो यह करार नहीं मिलता ना.”

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