Loading election data...

REVIEW: ना हारने वाले जज्बे और मेहनत की सच्‍ची कहानी ”सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स”

II उर्मिला कोरी II फिल्म : सचिन: ए बिलियन ड्रीम्सनिर्देशक : जेम्स अर्स्किननिर्माता: रवि भागचंदक,श्रीकांत भासी कलाकार : सचिन तेंदुलकर, अंजलि तेंदुलकर, सारा तेंदुलकर, अर्जुन तेंदुलकर, हर्षा भोगले, युवराज सिंह, महेंद्र सिंह धौनी, वीरेंद्र सहवाग, अमिताभ बच्चन और अन्य रेटिंग: 4 स्टार क्रिकेट अगर धर्म है तो सचिन उसका भगवान, यह हम सभी कहते और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 26, 2017 2:57 PM

II उर्मिला कोरी II

फिल्म : सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स
निर्देशक : जेम्स अर्स्किन
निर्माता: रवि भागचंदक,श्रीकांत भासी
कलाकार : सचिन तेंदुलकर, अंजलि तेंदुलकर, सारा तेंदुलकर, अर्जुन तेंदुलकर, हर्षा भोगले, युवराज सिंह, महेंद्र सिंह धौनी, वीरेंद्र सहवाग, अमिताभ बच्चन और अन्य
रेटिंग: 4 स्टार

क्रिकेट अगर धर्म है तो सचिन उसका भगवान, यह हम सभी कहते और सुनते आये हैं. कुछ लोग सचिन की प्रतिभा को गॉड गिफ्टेड कहते रहे हैं. सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स में सचिन की प्रेरणादायी ज़िन्दगी को समेटा गया है. फिल्म में इस बात पर फोकस किया गया है कि जिसे हम गॉड गिफ्टेड कहते आये थे दरअसल वह मैजिक टच सचिन की बल्लेबाज़ी में न हारने वाले जज्बे और कड़ी मेहनत से आया है. कठिनाइयों के बिना कुछ भी संभव नही है. सचिन रमेश तेंदुलकर के क्रिकेट का भगवान बनने की कहानी खून, पसीना और दर्द से होकर गुजरी है.

कहानी की शुरुआत सचिन रमेश तेंदुलकर की बचपन से होती है, जब वह बहुत शरारती बच्चे हुआ करते थे. दस साल की उम्र में भारतीय क्रिकेट टीम को 1983 के वर्ल्ड कप की ट्रॉफी उठाते देखने के बाद उसकी ज़िन्दगी बदल जाती है. वह भी तय करता है कि एक दिन उसके हाथ में भी वर्ल्ड कप होगा. जिसके बाद सचिन के लीजेंड सचिन बनने की कहानी शुरू होती है. फिल्म में सचिन की प्रेम कहानी और उनसे जुड़े विवादों को भी दिखाया गया है. वह किस तरह के पिता और बेटे हैं.

पिता की सीख और मध्यम वर्गीय पालन पोषण ने किस तरह सचिन की ज़िन्दगी को नज़रिया दिया. अहम मैचों के दौरान उनकी मानसिक स्थिति क्या होती थी अपनी चोटों और डाउनफॉल से वह कैसे उबरे. इस सभी बातों को इस डॉक्यू फीचर में समाहित किया गया है.

यह फिल्म से ज़्यादा अनुभवों को जीने का एक बार फिर से मौका है, अगर आप क्रिकेट और सचिन के फैन रहे हैं तो पर्दे पर कई यादगार मैचों के झलकियां आपकी पुरानी यादों को ताज़ा कर चेहरे पर ख़ुशी ले आती है. फिल्म देखते हुए सचिन के साथ आप भी शिद्दत से इस बात को पल पल महसूस करेंगे कि वर्ल्ड कप जीतना सिर्फ सचिन ही नहीं आपका भी तो सपना था.

फिल्म का डायरेक्शन कमाल का है. नाट्य रूपांतरण के साथ साथ रियल लोगों को बड़े ही सटीक अंदाज में कहानी में मिलाया गया है. जो कि आपको बांधे रखता है.

फिल्म में सचिन की यात्रा को दिखाने के साथ साथ भारत की जर्नी को भी दिखाया गया है, कैसे इस देश ने अपनी खुशियों को क्रिकेट में ढूंढा. फिल्म के सूत्रधार सचिन है. फिल्म कई अनदेखे वीडियोज है. जो फिल्म में सचिन से जुड़े कई अनदेखे पहलुओं को लेकर आते हैं.

फिल्म का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर बढ़िया बन पड़ा है. जो पर्दे पर एक एक अलग ही ऊर्जा का संचार करता है और सचिन सचिन एंथम से बेहतर भला क्या हो सकता है. कुलमिलाकर यह डॉक्यू फीचर यथार्थवादी, भावात्मक होने के साथ साथ प्रेरणदायी भी है कि ज़िन्दगी में किसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत बहुत ज़रूरी है. सफलता का कोई शार्ट कट नहीं होता है.

Next Article

Exit mobile version