अजित अगरकर ने छोड़ा दिल्ली कैपिटल्स के सहायक कोच का पद, बन सकते हैं बीसीसीआई के मुख्य चयनकर्ता
भारतीय सीनियर मुख्य चयनकर्ता बनने की दौड़ में शामिल अजित अगरकर ने दिल्ली कैपिटल्स के सहायक कोच का पद छोड़ दिया है. फ्रेंचाइजी ने इस बात की पुष्टि की है. अजित अगरकर के साथ दिलीप वेंगसरकर और रवि शास्त्री का नाम भी सामने आ रहा है, हालांकि दोनों ने आवेदन किया है या नहीं इसकी जानकारी नहीं है.
भारत के मुख्य चयनकर्ता की दौड़ में शामिल अजित अगरकर ने गुरुवार को दिल्ली कैपिटल्स आईपीएल टीम में सहायक कोच के पद से इस्तीफा दे दिया. अगरकर का नाम दौड़ में होने से बीसीसीआई को चयन समिति के प्रमुख का सालाना वेतन एक करोड़ से बढ़ाना होगा जबकि बाकी सदस्यों का वेतन भी 90 लाख से अधिक करना होगा. दिल्ली कैपिटल्स के सहायक कोच और कमेंटेटर अगरकर मुख्य चयनकर्ता के सालाना पैकेज से अधिक कमाते हैं और यही कारण है कि बीसीसीआई को मौजूदा वेतनमान की समीक्षा करनी पड़ेगी.
बीसीसीआई को बढ़ाना होगा वेतन
अजित अगरकर के दौड़ में शामिल होने की खबर पीटीआई ने बुधवार को दी थी और अब दिल्ली कैपिटल्स टीम छोड़ने की खबर से यह साफ हो गया कि वह वेस्टइंडीज के आगामी दौरे के लिये टी20 टीम चुनते समय मुख्य चयनकर्ता हो सकते हैं. दिल्ली कैपिटल्स ने इसकी पुष्टि की कि अगरकर और शेन वॉटसन अब सहयोगी स्टाफ का हिस्सा नहीं हैं. टीम ने ट्वीट किया, ‘आपके लिये यह हमेशा घर रहेगा. धन्यवाद अजित और वाट्टो (वॉटसन). भविष्य के लिये शुभकामनाएं.’
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2021 में भी अगरकर ने दिया था इंटरव्यू
अगरकर 2021 में भी चयनकर्ता के पद के लिये इंटरव्यू दे चुके हैं जब उत्तर क्षेत्र से चेतन शर्मा समिति के अध्यक्ष बने थे. दिवंगत रमाकांत आचरेकर के शिष्य रहे 45 वर्ष के अगरकर भारत के लिए 191 वनडे, 26 टेस्ट और चार टी20 मैच खेल चुके हैं. समझा जाता है कि उस समय मुंबई क्रिकेट संघ को अगरकर की दावेदारी से समस्या थी और यही वजह है कि उन्हें नहीं चुना गया. इसके अलावा उन्हें चुनने पर चेतन शर्मा अध्यक्ष नहीं बनते जिन्हें बोर्ड के एकवर्ग का समर्थन हासिल था.
दिलीप वेंगसरकर और रवि शास्त्री भी दौड़ में
एमसीए के मौजूदा पदाधिकारियों को अब दिक्कत नहीं है क्योंकि उनके पास सलिल अंकोला है. दिलीप वेंगसरकर और रवि शास्त्री के नाम की भी अटकलें लगायी जा रही है लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है कि उन्होंने आवेदन किया है या नहीं. वेंगसरकर 2005 से 2008 तक अध्यक्ष रह चुके हैं और अधिकतम कार्यकाल चार साल का होता है यानी उनके पास एक ही साल बचा है.