एशिया कप की मेजबानी के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच गतिरोध को खत्म करने लिए अगर कोई समाधान नहीं निकाला गया तो एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) और प्रसारक के बीच एक दीर्घकालिक मीडिया अधिकार करार संकट में पड़ सकता है. एशिया कप की मेजबानी के अधिकार पाकिस्तान को दिये गये थे लेकिन पड़ोसी देशों के बीच मौजूदा राजनीतिक तनाव के कारण बीसीसीआई ने कहा कि भारत सितंबर में टूर्नामेंट के लिए अपनी टीम नहीं भेजेगा.
भारत ने इस महाद्वीपीय प्रतियोगिता को संयुक्त अरब अमीरात या श्रीलंका में आयोजित करने की बात कही है. लेकिन पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने अब तक इस मांग पर सहमति नहीं जतायी है जिससे गतिरोध पैदा हुआ है. भारत के एशिया कप से हटने से टूर्नामेंट की चमक फीकी हो जायेगी और प्रसारक को भारत-पाक मुकाबला नहीं होने से काफी ज्यादा नुकसान झेलना पड़ेगा.
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सूत्र ने कहा कि एसीसी और प्रसारक के बीच दीर्घकालिक समझौते के अंतर्गत यह अनिवार्य है कि पाकिस्तान और भारत एक दूसरे से कम से दो या तीन बार इस क्षेत्रीय टीमों के इस टूर्नामेंट में आमने-सामने हों. सूत्र ने कहा कि पाकिस्तान और भारत के मैचों के बिना एशिया कप कराना संभव ही नहीं है. समझौता इसी पर आधारित है. उन्होंने कहा कि प्रसारकों को गारंटी दी गयी थी कि चिर प्रतिद्वंद्वी टीमें फाइनल से पहले कम से कम दो बार एक दूसरे से भिड़ेंगी जैसा कि संयुक्त अरब अमीरात में 2022 में एशिया कप के दौरान हुआ था.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और भारत के मैचों के बिना प्रसारक अनुबंध गड़बड़ा जायेगा. हालांकि देखा जाए तो पाकिस्तान एशियन क्रिकेट काउंसिल को एक प्रस्ताव दे सकता है, जिसमें यह कहा जा सकता है कि भारत अपने सभी मैच यूएई में खेल सकता है. ऐसी स्थिति में अगर भारत फाइनल में पहुंचता है तो फाइनल भी यूएई में आयोजित किया जायेगा. पीसीबी ने आईसीसी से भी इस मुद्दे पर हस्तक्षेप की मांग की है.