भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI ) ने सोमवार को शीर्ष परिषद की बैठक में यौन उत्पीड़न रोकथाम (POSH) को स्वीकृति दी दी. जिसके बाद भारतीय क्रिकेटर भी यौन उत्पीड़न के दायरे में आ जाएंगे.
अब तक बीसीसीआई की यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए किसी तरह की विशिष्ट नीति नहीं थी. यह नीति पदाधिकारियों, शीर्ष परिषद और आईपीएल संचालन परिषद के सदस्यों के अलावा सीनियर से अंडर-16 स्तर के क्रिकेटरों पर भी लागू होगी.
बीसीसीआई ने यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए चार सदस्यीय आंतरिक समिति का गठन किया जाएगा. सोमवार को शीर्ष परिषद की बैठक के दौरान हालांकि इसके सदस्यों पर फैसला नहीं किया गया.
BCCI officials, players and contracted individuals to come under POSH guidelines approved by Apex Council
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— ANI Digital (@ani_digital) September 20, 2021
नीति के अनुसार, आंतरिक समिति की अध्यक्ष महिला होनी चाहिए जो अपने कार्यस्थल पर सीनियर स्तर पर नियुक्त हो. इसमें कहा गया, आंतरिक समिति के दो सदस्यों का चयन कर्मचारियों के बीच से किया जाएगा, इसमें उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी जो महिलाओं के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध हों या उन्हें सामाजिक कार्य का अनुभव हो या कानूनी जानकारी हो.
इसके अनुसार, आंतरिक समिति का एक सदस्य गैर सरकारी संगठन या ऐसे संघ से चुना जाना चाहिए जो महिलाओं के अधिकारियों के लिए काम करते हों या यौन उत्पीड़न से जुड़े मुद्दों की जानकारी रखते हो (बाहरी सदस्य).
आंतरिक समिति के कम से कम आधे सदस्य महिलाएं होनी चाहिए. शिकायकर्ता को घटना के तीन महीने के भीतर शिकायत दर्ज करानी होगी और आंतरिक समिति आरोपी को आरोपों का जवाब देने के लिए सात कार्यदिवस का समय देगी.
आंतरिक समिति को अपनी जांच पूरी करने के लिए शिकायत के दिन से 90 दिन का समय मिलेगा और वह अपनी सिफारिश बीसीसीआई को सौंपेगी जो 60 दिन में कार्रवाई करेगा. शिकायतकर्ता या आरोपी अगर बीसीसीआई के फैसले से संतुष्ट नहीं होते हैं तो अदालत की शरण में जा सकते हैं.