सौरव गांगुली ने ट्वीट कर दिया नयी पारी की शुरुआत का संकेत, राजनीति में डेब्यू को लेकर चर्चा तेज
सौरव गांगुली ने एक घंटा पहले यह ट्वीट किया है कि उन्होंने 1992 में अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत की थी और इन 30 वर्षों में क्रिकेट ने उन्हें बहुत कुछ दिया है.
बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने आज अपने क्रिकेट कैरियर के 30 साल पूरे होने पर ट्वीट करके अपनी नयी पारी के शुरुआत की जानकारी दी है. उनके इस ट्वीट के बाद से यह चर्चा शुरू हो गयी है कि वे राजनीति में जा सकते हैं.
30 साल का कैरियर पूरा
सौरव गांगुली ने एक घंटा पहले यह ट्वीट किया है कि उन्होंने 1992 में अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत की थी और इन 30 वर्षों में क्रिकेट ने उन्हें बहुत कुछ दिया है. सौरव गांगुली ने लिखा कि उनके इस 30 साल के कैरियर में जिन लोगों ने भी उनकी मदद की वे हर उस व्यक्ति का शुक्रिया अदा करना चाहते हैं.
नये सफर के संकेत
सौरव गांगुली ने अपने ट्वीट में संकेत दिया है कि वे कुछ नया करना चाहता हूं जिससे बहुत लोगों को फायदा होगा. सौरव गांगुली ने यह भी लिखा है कि उनके नये सफर में उन्हें लोगों का सहयोग मिलेगा.
अमित शाह ने सौरव गांगुली के घर खाया था खाना
हालांकि ऐसी खबरें आ रही हैं कि जय शाह ने इस बात की पुष्टि की है कि सौरव गांगुली ने बीसीसीआई अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं दिया है. गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले गृहमंत्री अमित शाह उनके घर गये थे और खाना खाया था, उसके बाद से उनके राजनीति में जाने की चर्चा जोरों पर है. कहा जा रहा है कि वे भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं. बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऐसी चर्चा थी कि भाजपा उन्हें बंगाल का मुख्यमंत्री बना सकती है.
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भाजपा और तृणमूल ने दी ऐसी प्रतिक्रिया
सौरभ के इस ट्वीट के बाद प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि सौरभ जैसे व्यक्ति अगर राजनीति में आते हैं, तो उनका स्वागत रहेगा. तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष का कहना था कि सौरभ यदि राजनीति में आते हैं और विपक्षी पार्टी में भी शामिल होते हैं, तो भी उनका स्वागत रहेगा.
नया बिजनेस शुरू करने की भी अटकलें
अटकलें यह भी लगायी जा रही हैं कि सौरभ गांगुली संभवत: कोई नया बिजनेस शुरू कर सकते हैं. बता दें कि क्रिकेट खेलते समय ही सौरभ ने ‘सौरव्स’ नामक रेस्तरां शुरू की थी. इसके अलावा सौरभ को राज्य सरकार की ओर से सॉल्ट लेक में स्कूल के लिए जमीन दी गयी थी. हालांकि, बाद में सौरभ ने स्कूल खोलने का इरादा त्याग दिया और जमीन को राज्य सरकार को वापस लौटा दिया था.