18 अगस्त 2008, ये वो दिन था जब भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली ने अपना पदार्पण मैच खेला था. इस मैच में विराट कोहली गौतम गंभीर के साथ ओपनिंग की जिम्मेदारी संभालने उतरे थे. लेकिन यह मैच विराट कोहली के लिए अनलकी साबित हुआ और वो सिर्फ 22 गेंदो पर 12 रन बनाकर आउट हो गए. लेकिन जैसे ही वो करियर में आगे बढ़ते गए उनका और निखर कर सामने आने लगा और आज वो भारतीय टीम के स्टार खिलाड़ी बन चुके हैं, उनके इसी खेल की वजह से ही आज उन्हें भारतीय टीम की कप्तानी मिली है.
लेकिन क्या आपको पता है विराट के पिता से उनके बेटे के चयन के लिए रिश्वत की भी कभी मांग की गयी थी. ये वो दौर था जब वो दिल्ली की टीम में जगह बनाने में असफल हो गए थे. वजह थी चयन की प्रक्रिया में खरा नहीं उतर पाना. लेकिन उनके पिता ने रिश्वत देने से साफ मना कर दिया था. उन्होंने ये बातें भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री से कही.
उन्होंने कहा कि दिल्ली की टीम में मुझे एक रेगुलर खिलाड़ी के तौर पर खेलने का मौका था मगर वो चयन के मापदंड फेल हो गए थे. तब एक अधिकारी ने टीम में चयन के लिए मेरे पिता से रिश्वत की मांग की. ताकि वो मुझे चयन कर सकें. लेकिन मेरे पापा ने यह कह कर मना कर दिया कि अगर मेरा बेटा खेलेगा तो अपने मेरिट के दम पर ही खेलेगा.
विराट ने आगे कहा कि मेरे घरेलू राज्य में कई चीजें ऐसी होती है जो वाकई ठीक नहीं है, टीम में चयन को लेकर कई नियमों का पालन नहीं किया जाता है. मेरे पिता से भी यही कहा गया था कि आपके बेटे में चयन होने की पूरी क्षमता है मगर आप थोड़ी रिश्वत दे दें तो आपके बेटे का सेलेक्शन निश्चित हो जाएगा. उन्होंने अपने पिता के बारे में बात करते हुए बताया कि कि मेरे पिता एक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखने वाले एक ईमानदार व्यक्ति थे.
जिन्होंने वकील बनने के लिए कड़ी मेहनत की थी. उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि अगर विराट को आप टीम में सेलेक्ट करना चाहते हैं तो सिर्फ उनकी योग्यता के आधार पर करें, मैं आपको कुछ भी एक्स्ट्रा नहीं दूंगा. विराट ने कहा मैं अपने पिता को रिटायरमेंट के बाद के आरामदायक जिंदगी देना चाहता था. लेकिन मुझे अफसोस है कि मैं ऐसा नहीं कर पाया. उस घटना के बाद मेरे चयन नहीं हो पाया, लेकिन उस घटना से मैंने एक चीज सीखी जिंदगी में सफल होने के लिए मुझे असाधारण बनना होगा और मैंने जो कुछ भी हासिल किया वो मेरा अपना प्रयास और कड़ी मेहनत का फल है.