शेन वार्न के खिलाफ शतक, विश्वकप में टीम के अहम मैच से पहले इस्तीफा, चैंपियंस ट्रॉफी के इस रेफरी की दिलचस्प कहानी
Andy Pycroft: आईसीसी ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए तीन रेफरी की नियुक्ति की है. उनमें से एक एंडी पायक्राफ्ट भी हैं. उनकी कहानी दिलचस्प है, आइए जानते हैं उनका सफर कैसा रहा.
Andy Pycroft: चैंपियंस ट्रॉफी के लिए किसी भी भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान का दौरा करने से मना कर दिया. आईसीसी के एलीट पैनल में शामिल भारत के एकमात्र अंपायर नितिन मेनन और रेफरी जवागल श्रीनाथ अब इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में शिरकत नहीं करेंगे. यानी भारत की तरफ से कोई भी भारतीय इसमें आधिकारिक रूप से शामिल नहीं होगा. हालांकि इसी टूर्नामेंट के लिए जिम्बॉब्वे के एंडी पाइक्रॉफ्ट को मौका मिला है. जिम्बॉब्वे की तरफ से खेलने वाले खिलाड़ी और कोच के रूप में काम करते हुए उन्होंने आईसीसी में रेफरी के रूप में शामिल होकर यह उपलब्धि हासिल की. लेकिन उन्होंने 2003 के विश्वकप में केवल अपनी बात न माने जाने के कारण इस्तीफा दे दिया था.
एंडी पाइक्रॉफ्ट ने 2001 में जिम्बाब्वे क्रिकेट टीम के कोच का पद संभाला, लेकिन 2003 के विश्व कप के दौरान साथी चयनकर्ताओं के साथ संवाद की कमी का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. यह उन आने वाले विवादों की एक झलक थी, जो अगले साल जिम्बाब्वे क्रिकेट को प्रभावित कर सकते थे. दरअसल जिम्बाब्वे के विश्व कप अभियान को एक बड़ा झटका तब लगा जब पूर्व टेस्ट बल्लेबाज एंडी पाइक्रॉफ्ट ने केन्या के खिलाफ खेले जाने वाले महत्वपूर्ण सुपर सिक्स मुकाबले से ठीक पहले अपने चयनकर्ता पद से इस्तीफा दे दिया.
जातीय संतुलन के दबाव के कारण पद छोड़ा
47 वर्षीय पाइक्रॉफ्ट ने कथित तौर पर चयन प्रक्रिया में जातीय संतुलन (रंगभेद) के दबाव के कारण पद छोड़ दिया. अन्य पांच चयनकर्ताओं में से चार ने श्वेत खिलाड़ी सीन एर्विन को हटाकर डायोन इब्राहिम को टीम में शामिल करने पर जोर दिया. पाइक्रॉफ्ट ने इस निर्णय से असहमति जताई और जिम्बाब्वे क्रिकेट संघ (ZCU) के प्रबंध निदेशक विंस हॉग को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिसे बाद में संघ के अध्यक्ष पीटर चिंगोका को भेज दिया गया. हॉग ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “पाइक्रॉफ्ट का अन्य चयनकर्ताओं के साथ मतभेद था और उन्होंने संवाद की कमी को भी अपने इस्तीफे का कारण बताया.”
इतने हिम्मत भरे फैसले के बाद उनकी भविष्यवाणी सही साबित हुई. जिंबॉब्वे की उस टीम में हीथ स्ट्रीक, एंडी फ्लावर और ग्रांड फ्लावर जैसे खिलाड़ी थे. लेकिन उस विश्वकप के बाद जिम्बॉब्वे जैसे कहीं खो गई. जिम्बॉब्वे ने 8वें सुपर मैच तक सफर किया, लेकिन श्रीलंका से हार के बाद वह बाहर हो गया. इसी विश्वकप में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हराकर लगातार दूसरी बार विश्वकप जीता था.
6 जून 1956 को जन्मे पाइक्रॉफ्ट ने 1983 से 1992 के बीच तीन टेस्ट और 20 एकदिवसीय मैचों में जिम्बाब्वे का प्रतिनिधित्व किया. एक मजबूत बल्लेबाज के रूप में उन्होंने अपनी टीम के लिए अहम योगदान दिया और जिम्बाब्वे क्रिकेट पर गहरी छाप छोड़ी. अपने क्रिकेट करियर के बाद उन्होंने कई प्रशासनिक भूमिकाएं निभाईं, जिनमें अंडर-19 टीम का प्रबंधन, राष्ट्रीय चयनकर्ता और कोच की जिम्मेदारी शामिल थी.
बैकफुट के बेहतरीन बल्लेबाज
एंडी पाइक्रॉफ्ट एक बेहतरीन बल्लेबाज थे, खासतौर पर बैकफुट पर खेलते हुए उनकी तकनीक शानदार थी. हालांकि, जब 1992-93 में जिम्बाब्वे ने अपना पहला टेस्ट मैच खेला, तब तक उनके खेल के सर्वोत्तम दिन बीत चुके थे. उन्होंने अपने करियर में सिर्फ तीन टेस्ट मैच खेले, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण समय से पहले संन्यास लेना पड़ा.
उनका प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर भी सीमित अवसरों तक ही सीमित रहा, क्योंकि उस समय रोडेशिया/जिम्बाब्वे की टीमों के लिए अधिक मैच उपलब्ध नहीं थे. बावजूद इसके, मौका मिलने पर उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया. 1991-92 में ऑस्ट्रेलिया की बी टीम के खिलाफ उन्होंने 109 गेंदों पर 104 रनों की शानदार पारी खेली, जिसमें शेन वार्न, पॉल रीफेल और स्टीव वॉ जैसे दिग्गज गेंदबाज शामिल थे.
उन्होंने दो बार जिम्बाब्वे की कप्तानी की, लेकिन स्वाभाविक रूप से इस काम को नहीं किया, संभवतः इस भूमिका के लिए वे थोड़े ज़्यादा ही स्पष्टवादी थे. रिटायर होने के बाद वे प्रशासन में चले गए, अंडर-19 टीम का प्रबंधन किया और चयनकर्ता बने और बाद में चयनकर्ताओं के प्रमुख बने. जिम्बॉब्वे क्रिकेट के साथ चले लंबे विवाद के बाद उन्हें 2009 में आईसीसी में अहम जिम्मेदारी मिली.
100 टेस्ट मैचों में बने रेफरी
एंडी पाइक्रॉफ्ट ने रेफरी के रूप में अपना टेस्ट डेब्यू 6 से 8 मई 2009 के बीच इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच लॉर्ड्स में खेले गए मुकाबले में किया था. 15 साल के शानदार कैरियर में अद्भुत सफलता उन्हें तब मिली जब एमसीजी में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच बॉक्सिंग डे टेस्ट में उन्होंने अपना 100वां टेस्ट पूरा किया. वह इससे पहले यह उपलब्धि हासिल करने वाले तीन मैच रेफरी के समूह में शामिल हो गए. पूर्व श्रीलंकाई बल्लेबाज रंजन मदुगले ने पुरुषों के टेस्ट मैचों में सबसे अधिक बार मैच रेफरी की भूमिका निभाई है. दूसरे नंबर पर न्यूजीलैंड के जेफ क्रो और तीसरे स्थान पर क्रिस ब्रॉड ही आज तक तिहरे अंक तक पहुंचने वाले अन्य व्यक्ति हैं.
एंडी पाइक्रॉफ्ट बने चैंपियंस ट्रॉफी के मैच रेफरी
जिम्बाब्वे के पूर्व क्रिकेटर एंडी पाइक्रॉफ्ट को ICC पुरुष चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के लिए मैच रेफरी नियुक्त किया गया है. यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट 19 फरवरी से 9 मार्च तक पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित किया जाएगा. पाइक्रॉफ्ट इस भूमिका में डेविड बून और रंजन मदुगले जैसे अनुभवी रेफरी के साथ काम करेंगे. अब एक अनुभवी मैच रेफरी के रूप में, पाइक्रॉफ्ट अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक नई भूमिका निभाते हुए अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करेंगे. चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में उनकी उपस्थिति खेल को निष्पक्षता और अनुशासन की दिशा में मार्गदर्शित करेगी.
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