भारत के क्रिकेटर जिन्होंने तय की संसद तक की यात्रा, लेकिन संसद में बैठने की एक फोटो ढूंढ़ना मुश्किल
Cricketer to Politician: भारतीय क्रिकेट में कुछ खिलाड़ियों ने खेल के मैदान से राजनीति के शीर्ष तक का सफर तय किया है. इस आर्टिकल में जानिए उन क्रिकेटरों के बारे में, जिन्होंने सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया.
Cricketer to Politician: भारतीय संविधान भारत का वह दस्तावेज है जिसने स्वतंत्र भारत में हर उस व्यक्ति को समानता, स्वाधीनता और न्याय का आधार प्रदान किया. 26 जनवरी 1950 को मानव इतिहास में सबसे बड़ी आबादी के वाले देश के लिए लिखित रूप में यह पूरी तरह से मुकम्मल हुआ था. इसको बनाने में संसद जैसी पवित्र संस्था का निर्माण किया गया, जिसमें 1947 के तत्कालीन भारत के मूर्धन्य शख्सियतों ने अपनी भूमिका को पूरे मनोयोग से निभाते हुए 295 अनुच्छेदों को प्रतिपादित किया. समय के साथ हम भारत के लोगों के लिए इस विधायिका में हजारों माननीय लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. इस प्रक्रिया में देश के सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकट के खिलाड़ियों को भी मौका मिला है. आज 26 जनवरी को इस पावन दिन पर हम आपको उन्हीं क्रिकेटरों से मिलाने जा रहे हैं, जिन्होंने इस गरिमामयी सदन में ‘खेल’ दिखाया.
कई भारतीय क्रिकेटरों ने राजनीति में अपने हाथ आजमाए, लेकिन उनमें से कुछ को ही सफलता मिली. इनमें सबसे ऊपर नाम आता है नवाब ऑफ पटौदी मंसूर अली खान का, जिन्होंने दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन दो लगातार हार के बाद उन्होंने इससे दूरी बना ली. इसके बाद कीर्ति आज़ाद, नवजोत सिंह सिद्धू समेत कई लोगों ने सांसद बनने का प्रयास किया और सफल भी हुए. लेकिन राजनीति के मैदान पर सबसे पहली सफलता, जिसके हाथ लगी वो थे चेतन चौहान.
चेतन प्रताप सिंह चौहान पहले क्रिकेटर राजनेता
चेतन चौहान 21 जुलाई 1947 को उत्तर प्रदेश के बरेली में पैदा हुए थे. उनके पिता सेना में अधिकारी थे तो 1960 में वे पुणे चले गए. यहां उन्होंने क्रिकेट का ककहरा सीखा. लेकिन राजनीति में प्रवेश करने के लिए उन्होंने फिर से अपने गृह राज्य का रुख किया और 1991 में मंडल और कमंडल वाली राजनीति के दौर में भाजपा के टिकट पर अमरोहा लोकसभा सीट से जीत दर्ज की. अपना पहला कार्यकाल पूरा करने के बाद वे 1996 के चुनाव में उनकी सीट सपा के प्रत्याशी ने जीती. लेकिन चौहान ने 1998 लोकसभा चुनाव में फिर वापसी करते हुए बसपा के प्रत्याशी से 37 फीसदी ज्यादा वोट हासिल कर बम्पर जीत दर्ज की. लेकिन उनका यह कार्यकाल भी एक साल ही चला. इसके बाद वे लंबे समय तक राजनीति से दूर रहे, लेकिन 2017 में फिर वापसी करते हुए नौगावां सादात सीट से उत्तर प्रदेश विधानसभा में सदस्य बन गए.
1969 में न्यूजीलैंड के खिलाफ़ अपना टेस्ट डेब्यू किया, लेकिन दो टेस्ट के बाद उन्हें बाहर कर दिया गया. इसके बाद उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1972-73 के दौरान, उन्हें फिर से टीम के लिए खेलने के लिए चुना गया, लेकिन वे अपनी छाप छोड़ने में असफल रहे और फिर से तीन साल के लिए टीम से बाहर कर दिए गए. लेकिन चेतन प्रताप सिंह चौहान, यही उनका पूरा नाम था, रौबीले स्वभाव के थे. उन्होंने फिर से मेहनत की और दिलीप ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया. इसके बाद उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चुना गया और अपने पहले मैच में विक्टोरिया के खिलाफ 157 रन बनाए. दूसरे टेस्ट मैच में, उन्होंने 88 रन बनाए और उसके बाद तो वे गावस्कर के नियमित ओपनिंग जोड़ीदार बन गए और अपने करियर के अंत तक केवल एक टेस्ट मैच मिस किया.
चेतन चौहान के नाम पर एक गजब का रिकॉर्ड है. उन्होंने अपने पहले 2000 रनों के लिए एक भी शतक नहीं लगाया था. जो लंबे समय तक कायम था. चेतन ने अपने कैरियर में 47 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेले, जिसमें 20 टेस्ट और 7 एकदिवसीय मैच शामिल हैं. इन मुकाबलों में चौहान ने बिना कोई शतक और 16 अर्धशतकों के साथ 2327 रन बनाए. उन्होंने अपना आखिरी मैच न्यूजीलैंड के खिलाफ 13 मार्च 1981 में खेला था. क्रिकेटर से सफल राजनेता बने चेतन ने कोरोना की पहली लहार में 16 अगस्त 2020 को अंतिम सांस ली.
सबसे ज्यादा बार सांसद बने कीर्ति आजाद
क्रिकेटर से राजनेता बने दूसरे खिलाड़ी कीर्ति आजाद हैं. बिहार के पूर्णिया जिले में 2 जनवरी 1959 को जन्मे कीर्तिवर्धन भागवत झा आजाद भारतीय क्रिकेट टीम में आल राउंडर के रूप में खेले. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के पुत्र कीर्ति को राजनीति विरासत में ही मिली. वे 1999 में दरभंगा लोकसभा सीट से पहली बार भाजपा के टिकट पर जीते. 2004 में वे लोकसभा सीट हारे लेकिन 2009 में फिर वापसी करते हुए 15वीं लोकसभा के सदस्य बने. इस दौरान वे विभिन्न मंत्रालय की समिति में रहे. 2014 में कीर्ति आजाद ने फिर अपना झंडा बुलंद करते हुए जीत दर्ज की. लेकिन इसके बाद उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण सस्पेंड कर दिया गया. लेकिन राजनीति के माहिर कीर्ति आजाद ने 2024 में एकबार फिर लोकसभा चुनाव लड़ा और इस तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर बर्धमान सीट से जीत दर्ज की. वे अब तक चार बार सांसद बने हैं, जो किसी भी क्रिकेटरों में सबसे ज्यादा है.
21 फरवरी 1981 को वेलिंगटन में न्यूजीलैंड के खिलाफ डेब्यू करने वाले कीर्ति आजाद ने 1986 के बीच भारतीय क्रिकेट टीम के लिए सात टेस्ट मैच और 25 एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैचों में हिस्सा लिया है. आजाद भारतीय टीम के 1983 में विश्वकप विजेता टीम के भी सदस्य थे. कीर्ति आजाद ने 1983 के विश्व कप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में 12-1-28-1 का जादुई स्पेल डाला था. इयान बॉथम का विकेट आजाद ने लेकर इंग्लैंड को सबसे बड़ा झटका दिया था. आजाद ने 1983 में पाकिस्तान के खिलाफ एक फ्रेंडली मैच में भाग लेते हुए अविजित 71 रन बनाए जिसकी बदौलत भारत ने एक विकेट से मैच जीत लिया. कीर्ति आजाद ने कुछ समय तक दूरदर्शन पर कमेंट्री भी की.
नवजोत सिंह सिद्धू जैसे क्रिकेट मैदान पर वैसे ही राजनेता
सांसद क्रिकेटरों में इसके बाद मौका मिला पंजाब के नवजोत सिंह सिद्धू को. क्रिकेट मैदान पर अपनी आक्रामकता के लिए प्रसिद्ध सिद्धू ने 2004 में पंजाब की अमृतसर लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की. 20 अक्टूबर 1963 को जन्मे नवजोत ने 2009 में एकबार फिर अपनी जीत का परचम लहराया. लेकिन उसके बाद पार्टी से टिकट न मिलने के बाद नाराजगी जाहिर की जिसके बाद अप्रैल 2016 में सिद्धू ने एकबार फिर राज्यसभा में सांसद के रूप में शपथ ली. लेकिन मतभेदों के चलते जुलाई में ही उन्होंने उससे त्यागपत्र दे दिया.
पटियाला में क्रिकेटर पिता भगवंत के घर जन्मे नवजोत ने क्रिकेट में कदम रखा और 1983 में 20 साल की उम्र में वेस्टइंडीज के खिलाफ पदार्पण किया तथा 19 रन बनाए. सिद्धू को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार प्रसिद्धि 1987 के विश्व कप में मिली, जहाँ उन्होंने पाँच मैचों में चार अर्द्धशतक बनाए. सिद्धू ने अपने करियर में धीरे-धीरे अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी के साथ प्रगति की और ओपनिंग स्लॉट से अपनी बड़ी बल्लेबाजी के लिए “सिक्सर सिद्धू” उपनाम अर्जित किया. सिद्धू ने 51 टेस्ट और 136 एकदिवसीय मैचों में 15 शतकों और 48 अर्द्धशतकों के साथ 7,617 रन बनाने के बाद 1999 में अपने क्रिकेट कैरियर को समाप्त कर दिया. नवजोत सिंह सिद्धू अपने खास अंदाज में कमेंट्री करने के लिए भी मशहूर रहे हैं. उन्होंने रिटायरमेंट के बाद ही टीवी पर आने वाले मैचों में शायराना अंदाज में जबरदस्त कमेंट्री भी की. हालांकि इसके बाद विवादों के कारण वे इससे दूर हो गए.
चौथे क्रिकेटर राजनेता बने मोहम्मद अजहरुद्दीन
क्रिकेटर से राजनेता बने तीसरे खिलाड़ी मोहम्मद अजहरुद्दीन रहे. उन्होंने 2009 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के अमरोहा से कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की. 8 फरवरी 1963 को तेलंगाना के हैदराबाद में जन्मे अजहर का राजनीतिक कैरियर बहुत लंबा नहीं चला. वे केवल एक बार ही जीत पाए. 2014 में उन्होंने एकाबार फिर चुनाव लड़ा, लेकिन राजस्थान के टोंक सवाई माधोपुर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
इंग्लैंड के खिलाफ दिसंबर 1984 में डेब्यू करने वाले मोहम्मद अजहरुद्दीन जब मैदान पर उतरते थे, तो किसी फिल्मी हीरो की तरह कॉलर ऊपर उठाए रहते थे. उनकी बल्लेबाजी कौशल का यह आलम था कि उन्होंने डेब्यू मैच के साथ लगातार तीन मैचों में शतक बनाया. पूरे कैरियर में उन्होंने 99 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 22 शतकों के साथ 6215 रन बनाए. इतना ही नहीं भारतीय टीम के इस पूर्व कप्तान ने 334 एकदिवसीय मैचों में शिरकत की, जिसमें 7 शतक और 58 अर्धशतक के साथ 9378 रन बनाए. 3 जून 2000 को ढाका में पाकिस्तान के खिलाफ एकदिवसीय मैच उनका आखिरी मैच रहा, क्योंकि एक बुरे दौर में उनका नाम मैच फिक्सिंग में आ गया, जिसकी वजह से उनका क्रिकेट कैरियर तबाह हो गया.
सचिन तेंदुलकर पहले राज्यसभा में नामित क्रिकेटर
भारत रत्न से सम्मानित सचिन तेंदुलकर भारतीय क्रिकेटरों में पहले नंबर पर हैं, जिन्होंने संसद सदस्य के रूप में उच्च सदन में शपथ ली. सचिन तेंदुलकर को 2012 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राज्यसभा का (खेल कोटे से) सदस्य बनाया. वे पहले सक्रिय खिलाड़ी थे, जिन्हें यह उपलब्धि हासिल हुई है. उन्होंने 4 जून 2012 को ऑफिस जॉइन किया, लेकिन क्रिकेट मैदान पर दिखने वाली सादगी यहां भी नजर आई, जब उन्होंने अपने लिए अधिकृत बंगले को लेने से मना कर दिया. हालांकि क्रिकेट से रिटायर होने के बावजूद उन्होंने संसद में अपनी उपस्थिति कम ही दिखाई. 26 अप्रैल 2018 तक अपने पूरे कार्यकाल में उनकी प्रजेंस केवल 8 फीसदी ही रही. इस दौरान उन्होंने किसी भी चर्चा में भाग नहीं लिया और कुल 22 प्रश्न पूछे. खैर, महान खिलाड़ी की प्रतिभा और उपलब्धियां क्रिकेट के मैदान से तय हुईं न कि संसद भवन से.
24 अप्रैल 1973 को मुम्बई में जन्मे सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट में असाधारण खेल दिखाया. सभी प्रारूपों में 100 शतकों का रिकॉर्ड बनाकर, सचिन तेंदुलकर देश के पसंदीदा रत्न बन गए. 15 नवंबर 1989 को पाकिस्तान के खिलाफ सचिन ने अपना डेब्यू किया. उसके अगले ही साल उन्होंने 1990 में इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला शतक बनाकर दर्शा दिया था कि आने वाले दो दशक तक भारतीय क्रिकेट में बस उनकी ही चर्चा होगी. अपने करियर के अंत तक, उनके पास टेस्ट में 51 और वनडे में 49 शतक थे. अगर उपलब्धियों से अमरता आती है, तो ‘लिटिल मास्टर’ के पास इसका बहुत अच्छा दावा है. उनके पास सभी प्रारूपों में 34,357 रनों का शानदार कुल स्कोर है. 2011 में, तेंदुलकर ने आखिरकार अपना पहला विश्व कप जीता. लेकिन 37 साल की उम्र में भी रनों के लिए उनकी भूख कम नहीं हुई, क्योंकि वह टूर्नामेंट में भारत के अग्रणी रन-स्कोरर रहे. उन्होंने अपने अंतिम मैच में अपना सौवां शतक बनाने के बाद 2012 में वनडे से संन्यास ले लिया.
सचिन के क्रिकेट के बारे में जितना भी कहा जाए कम ही होगा. लेकिन कुछ रिकॉर्ड ऐसे हैं, जिनकी चर्चा न करना बेमानी होगी. 100 अंतर्राष्ट्रीय शतक. 200 टेस्ट खेलने वाले पहले खिलाड़ी. पुरुषों के वनडे प्रारूप में सबसे पहले 200 रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी. टेस्ट (15,921 रन) और वनडे (18,426 रन) दोनों में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी. सबसे ज़्यादा अंतर्राष्ट्रीय मैच (664 मैच). इन तमाम उपलब्धियों वाले ‘मास्टर ब्लास्टर’ सचिन तेंदुलकर ने 14 नवंबर 2013 को वेस्टइंडीज के खिलाफ मुम्बई के वानखेड़े मैदान पर अपना आखिरी टेस्ट मैच खेलकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से पूरी तरह संन्यास ले लिया.
गौतम गंभीर ने क्रिकेट के साथ सांसद बनने का भी लुत्फ उठाया
2019 में गौतम गंभीर लोकसभा के सदस्य बने. उन्होंने भाजपा के टिकट पर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से जीत दर्ज की. वे भारतीय क्रिकेटरों में पांचवें क्रिकेटर थे. लेकिन उन्हें राजनीति रास नहीं आई और उन्होंने 2024 में चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. 2011 के विश्वकप विजेता टीम के सदस्य गौतम गंभीर ने क्रिकेटर के रूप में 2003 में बांग्लादेश के खिलाफ ओडीआई मैच से अपने कैरियर की शुरूआत की थी. मैदान पर भी नाम के अनुरूप गंभीर रहे बाएं हाथ के बल्लेबाज गौतम ने 2016 में संन्यास लेने तक 58 टेस्ट, 147 एकदिवसीय और 37 टी20 मैच खेले. इस दौरान उन्होंने कुल 10324 रन बनाए. गंभीर वैसे खिलाड़ी हैं, जिनके नाम लगातार पांच टेस्ट मैचों में शतक बनाने का रिकॉर्ड है. गंभीर ने चाहे जितनी भी उपलब्धियां हासिल की हों, लेकिन उनकी 2011 के क्रिकेट वर्ल्ड कप में गंभीर 122 गेंदों पर 97 रन की पारी ने लोगों की जहन में सबसे ज्यादा जगह बनाई है. फिलहाल वे भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच हैं.
गुजरात के यूसुफ पठान बंगाल के बहरामपुर से बने सांसद
2024 के मौजूदा लोकसभा में केवल एक क्रिकेटर ने अपनी जगह बनाई. पश्चिम बंगाल के बहरामपुर सीट से गुजरात के निवासी यूसुफ पठान ने कांग्रेस के दिग्गज अधीर रंजन को हराया. तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर पठान ने 85022 वोटों से जीत दर्ज की. पठान क्रिकेटर से राजनेता बने छठवें खिलाड़ी हैं. अपने लंबे-लंबे छक्के लगाने के लिए मशहूर पठान ने अपना अंतरराष्ट्रीय करियर टी20 मैच से शुरू किया. उनका डेब्यू खास था क्योंकि यह 2007 टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में से पहले वीरेंद्र सहवाग चोटिल हो गए और उनकी जगह कप्तान एमएस धोनी ने यूसुफ पठान को मौका दे दिया. लेकिन यूसुफ अपनी पहली पारी में सिर्फ 15 रन ही बना सके. यूसुफ पठान 2007 टी20 वर्ल्ड कप और 2011 वनडे वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे. 2011 वर्ल्ड कप जीत के बाद उन्होंने महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को कंधे पर उठाकर उनकी खुशी साझा की.
यूसुफ ने वनडे में 41 पारियों में 810 रन बनाए, जिसमें 2 शतक और 3 अर्धशतक शामिल हैं. टी20 में उन्होंने 18 पारियों में 236 रन बनाए और उनका स्ट्राइक रेट 146.58 रहा. गेंदबाजी में उन्होंने वनडे में 33 और टी20 में 13 विकेट लिए. आईपीएल में भी यूसुफ का प्रदर्शन शानदार रहा. पहले सीजन में उन्होंने मुंबई इंडियंस के खिलाफ सिर्फ 37 गेंदों में शतक जड़ा था. उन्हें भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े हिटर्स में से एक माना जाता है.