30 मई 2014 यानी आज ही के दिन वीरेंद्र सहवाग नाम का तूफान मुंबई के वानखाड़े स्टेडियम में आया था. यह मैच किंग्स 11 पंजाब और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच खेला गया था. यह दोनों ही टीमों के लिए करो या मरो का मुकाबला था जिसमें जो भी टीम जीतती वो फाइनल में प्रवेश कर जाती. इस सीजन में पंजाब की कमान सहवाग के हाथों में थी.
इस मैच में चेन्नई ने टॉस जीता और पंजाब को बल्लेबाजी करने के लिए आमंत्रित किया. लेकिन उनका ये फैसला गलत साबित हुआ. ओपनिंग करने आए सहवाग और मनन वोहरा के बीच 110 रनों की साझेदारी हुई. सहवाग इस मैच में कुछ अलग ही अंदाज में नजर आ रहे थे. वो चेन्नई के हर गेंदबाज की जमकर पिटाई कर रहे थे. वोहरा और सहवाग की जोड़ी उस दिन चेन्नई के गेंदबाजों पर कहर बन कर टूट पड़ी.
आखिरकार चेन्नई के गेंदबाज ईश्वर पांडे ने मनन वोहरा को रैना के हाथों कैच करा कर पंजाब को पहला झटका दिया. लेकिन सहवाग का कहर एक तरफ से जारी था भले ही दूसरे छोर से उन्हें किसी और बल्लेबाज का साथ नहीं मिल रहा था. हालांकि थोड़ी देर बाद सहवाग को मिलर का साथ मिला और दोनों ने मिलकर टीम का स्कोर 200 के पार पहुंचा दिया. लेकिन सहवाग 122 रन के निजी स्कोर पर चेन्नई के सबसे अनुभवी गेंदबाज आशीष नेहरा ने फाफ डुप्लेसिस के हाथों आउट करके उनकी पारी पर लगाम लगा दिया.
आउट होने से पहले सहवाग ने अपनी उस पारी में 12 चौके और 8 छक्के लगाए थे. उनके आउट होने के थोड़ी देर बाद ही मिलर भी 38 रन बना कर परविंदर अवाना का शिकार बनें. अंत में पंजाब की टीम 6 विकेट खोकर 226 रन का स्कोर खड़ा की. जवाबी पारी खेलने उतरी चेन्नई टीम की शुरुआत बेहद खराब रही और उनके सलामी बल्लेबाज फाफ डुप्लेसिस पहले ही ओवर में मिचेल जॉनसन का शिकार बनें. उस वक्त टीम का स्कोर सिर्फ 1 रन था. लेकिन तभी बल्लेबाजी करने आए सुरेश रैना. और आते ही उन्होंने आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी करनी शुरू कर दी.
उन्होंने सिर्फ 16 गेंदों पर उस वक्त आईपीएल इतिहास का सबसे तेज अर्द्धशतक जड़ दिया. उन्होंने संदीप शर्मा की गेंद पर छक्का लगाकर अपना अर्द्धशतक पूरा किया. ये सुरेश रैना की ही पारी थी कि जिसकी बदौलत चेन्नई की टीम 6 ओवर में 100 रन के पार चली गयी. एक वक्त तो ऐसा लगा कि रैना सहवाग के शतक पर पानी फेर देंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं. जॉर्ज बेली ने रैना को 87 रन के स्कोर पर रन आउट करके अपनी टीम को मैच में वापस ला दिया. आउट होने से पूर्व रैना ने 25 गेंदों का सामना किया और अपनी पारी में 12 चौके और 6 छक्के लगाए. उसके बाद धौनी को छोड़कर चेन्नई का कोई भी बल्लेबाज ज्यादा देर नहीं टिक सका. धौनी आखरी वक्त तक टीम को जीत दिलाने के लिए लड़ते रहे लेकिन दूसरे छोर से किसी और बल्लेबाज का साथ नहीं मिलने के कारण पूरी टीम 20 ओवरों में 202 रन ही बना सकी. धौनी 31 गेंदों पर 42 रन बना कर नाबाद रहे.