ऐसे कैसे बना दिया कोच? कोई अनुभव नहीं…, मनोज तिवारी ने गौतम गंभीर पर जमकर निकाली भड़ास
Gautam Gambhir: भारतीय क्रिकेट टीम का श्रीलंका, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन सीरीज में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन रहा. इस दौरान जून 2024 में नियुक्त किए गए गौतम गंभीर ही कोच रहे. इससे उन पर भी सवाल उठने लगे हैं. इसी क्रम में मनोज तिवारी ने उन पर जोरदार हमला बोला है.
Gautam Gambhir: भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक दशक बाद बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी गंवा दी. उससे पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ 3 टेस्ट मैचों में क्लीन स्वीप भी झेली. भारतीय टीम अपनी सरजमी पर पहली बार तीन मैचों की श्रृंखला में 0-3 से हारी थी. इतना ही नहीं भारतीय टीम को 27 वर्षों में पहली बार श्रीलंका में ओडीआई सीरीज में हार का सामना करना पड़ा. इन सबके दौरान एक चीज कॉमन थी वह थे कोच गौतम गंभीर. उनकी कोचिंग में भारत ने 5 महीने के भीतर कई मैच के साथ सीरीज भी गंवा दी. उनके इस बुरे आगाज के बाद पूर्व बल्लेबाज मनोज तिवारी ने भारतीय टीम के हालिया प्रदर्शन पर सवाल उठाया है. उन्होंने गुरुवार को कहा कि गौतम गंभीर आईपीएल फ्रेंचाइजी को सलाह देने में माहिर हो सकते हैं लेकिन राष्ट्रीय टीम के कोच के लिए ‘सही विकल्प’ नहीं है.
मनोज तिवारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा, “मैं ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं लगता कि उनके पास टेस्ट या एकदिवसीय क्रिकेट में कोचिंग देने का कोई अनुभव है. देखिए, परिणाम आपके सामने है. परिणाम झूठ नहीं बोलते. आंकड़े गलत नहीं होते. रिकॉर्ड खुद बोलता है. गंभीर को चीजों को सही करने या जीत की राह पर आने में बहुत समय लगेगा. उन्हें भारत जैसी टीम के खिलाड़ियों को कोचिंग देने का कोई अनुभव नहीं है.”
कई खिलाड़ी थे, जिन्हें कोच बनाया जा सकता था
तिवारी का मानना है कि वीवीएस लक्ष्मण और साईराज बहुतुले जैसे पूर्व खिलाड़ियों को कोचिंग में पर्याप्त अनुभव है और वे भारतीय टीम के कोच के लिए आदर्श विकल्प होते. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वीवीएस लक्ष्मण और साईराज बहुतुले जैसे पूर्व खिलाड़ी अगले मुख्य कोच बनने की कतार में थे. ये लोग पिछले कई वर्षों से एनसीए (राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी) के साथ हैं. जब राहुल द्रविड़ उपलब्ध नहीं थे, तो अगला कोच ऐसे ही किसी को होना चाहिये था.”
गंभीर से ऐसा परिणाम मिलना तय था
पश्चिम बंगाल सरकार के खेल राज्य मंत्री तिवारी ने गंभीर के कोचिंग के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा कि गौतम गंभीर राहुल द्रविड़ के अच्छे कामों को आगे नहीं बढ़ा पाए. उन्होंने कहा, ‘‘द्रविड़ के मामले में उस प्रक्रिया का पालन किया जा रहा था लेकिन इस बार गंभीर कैसे आए, कोई नहीं जानता. इसलिए ऐसा परिणाम मिलना तय था.’’ तिवारी ने आगे कहा, ‘‘जब कोई ऐसा व्यक्ति आता है जिसके पास कोई अनुभव नहीं है और वह काम करता है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कितना आक्रामक है. ऐसे में यह परिणाम आना तय है.’’
आईपीएल में जीत का सारा क्रेडिट खुद ले लिया
आईपीएल में गौतम गंभीर कोलकाता नाइटराइडर्स के मेंटॉर थे. उससे पहले वे लखनऊ सुपरजाएंट्स के साथ दो साल तक प्रशिक्षक के रूप में काम कर चुके थे. गंभीर की अगुवाई में ही केकेआर ने 2012 और 2014 में आईपीएल ट्रॉफी जीती थी. मनोज तिवारी ने कहा,‘‘ सिर्फ आईपीएल का परिणाम देखकर उन्हें मुख्य कोच नियुक्त करने का निर्णय गलत था. मेरी समझ से यह सही विकल्प नहीं था.’’ उन्होंने केकेआर के आईपीएल चैम्पियन बनने का पूरा श्रेय गंभीर को दिये जाने की आलोचना करते हुए कहा कि टीम की सफलता में मुख्य कोच चंद्रकांत पंडित और खिलाड़ियों का भी अहम योगदान था.
मनोज तिवारी का आईपीएल खेलने के दिनों में 2013 में गंभीर के साथ ड्रेसिंग रूम में तकरार हुआ था. तब दोनों कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम में शामिल थे.उन्होंने कहा, ‘‘ इसमें कोई शक नहीं कि गंभीर ने खराब दौर से गुजर रहे आंद्रे रसेल और सुनील नारायण जैसे खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाया लेकिन अगर वही सारा काम कर रहे थे तो चंद्रकांत पंडित क्या कर रहे थे? क्या आप कहना चाह रहे हैं कि केकेआर की सफलता में कोच के तौर पर चंद्रकांत पंडित और अन्य खिलाड़ियों की कोई भूमिका नहीं थी?’’
अगले दौरे पर गंभीर की होगी परीक्षा
भारतीय टीम ने गौतम गंभीर की कोचिंग में काफी निराशाजनक प्रदर्शन किया है. ऐसी भी खबरें आई थीं कि वे कोच के लिए बीसीसीआई की पहली पसंद नहीं थे. उनकी जगह वीवीएस लक्ष्मण को कोच बनाया जाना था, लेकिन उनके इनकार करने के बाद गौतम के नाम पर मुहर लगी. हालांकि गंभीर के पास आने वाले इंग्लैंड सीरीज और चैंपियंस ट्रॉफी में अपनी काबिलियत साबित करने का अच्छा मौका होगा. इसके बाद जून में भारत को 2025-27 के विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का चक्र शुरू करना है, जिसके लिए वह पांच टेस्ट मैचों के लिए इंग्लैड का दौरा करेगा. भारतीय टीम ‘बदलाव के दौर’ से गुजर रही है, ऐसे में गंभीर के सामने भी चुनौतियां, जिनसे वे पार पाने की कोशिश जरूर करेंगे.
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यह खबर न्यूज एजेंसी भाषा से ली गई है.