एमएस धोनी ने 23 साल की उम्र में जब 2004 के दिसंबर में भारतीय क्रिकेट में कदम रखा, तो लोग उनकी पावर हिटिंग से हैरान थे. महेंद्र सिंह धोनी ने नाम कई उपलब्धियां हैं. विकेट के पीछे कमाल करना हो या संक्रट की घड़ी में अपनी बल्लेबाजी से टीम को उबारना हो, धोनी सभी जगह फिट बैठते थे. कप्तान की जिम्मेदारी संभालते हुए भी उन्होंने 10000 से अधिक एकदिवसीय रन बनाए.
एम एस धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया दूसरी बार आईसीसी वर्ल्ड कप जीतने में सफल हुई. टीम इंडिया के पूर्व कोच ग्रेग चैपल धोनी की तारीफ करते नहीं थकते. धोनी ने सौरव गांगुली और जॉन राइट के तहत अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की. 2005 से 2007 तक भारत के मुख्य कोच रहे चैपल एम एस धोनी के बारे में काफी कुछ कहते हैं.
Also Read: IPL 2022: लखनऊ की टीम का धोनी कनेक्शन आया सामने, ये होगा केएल राहुल की टीम का नाम
कई चीजें धोनी को बाकियों से अलग बनाती हैं, लेकिन ग्रेग चैपल ने जिस एक विशेषता पर प्रकाश डाला, वह भारत के पूर्व कप्तान की इच्छा और चीजों को सामान्य से अलग करने की इच्छा थी.चैपल ने रेखांकित किया कि कैसे धोनी ने खुद को दुनिया के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में से एक बनाने के लिए अपने करियर की शुरुआत में चांस लिया.
चैपल ने कहा कि एमएस धोनी, जिनके साथ मैंने भारत में काम किया, एक बल्लेबाज का एक अच्छा उदाहरण हैं जिसने अपनी प्रतिभा विकसित की और इस तरह से खेलना सीखा. अपने विकास के शुरुआती दिनों में विभिन्न प्रकार की सतहों पर अधिक अनुभवी व्यक्तियों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करके धोनी ने निर्णय विकसित किया. मेकिंग और रणनीतिक कौशल ने उन्हें अपने कई साथियों से अलग करता है.
Also Read: MS Dhoni Thrilling Video: जब तेज रफ्तार ट्रेन के आगे आ गये एमएस धोनी, कैप्टन कूल का थ्रिलिंग वीडियो वायरल
चैपल के कोच रहते हुए एम एस धोनी सबसे विस्फोटक बल्लेबाजों में से एक बन गये. श्रीलंका के खिलाफ उनकी नाबाद 183 रनों की पारी और पाकिस्तान में नाबाद 72 और इंग्लैंड के खिलाफ 96 रन की विस्फोटक पारी चैपल कार्यकाल के तहत धोनी की सबसे यादगार पारियों के रूप में याद की जाती है.