‘अगर वह मर जाता और भारत वर्ल्ड कप जीतता तो मुझे गर्व होता’, युवराज सिंह के पिता ने क्यों कही यह बात

Yuvraj Singh: टीम इंडिया के स्टार ऑलराउंडर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह अपने बेबाक बोल के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने अब अपने बेटे को लेकर ही एक बड़ा बयान दे दिया है. उन्होंने कहा कि बेटे के मरने के बाद भी भारत वर्ल्ड कप जीतता तो खुशी होती.

By AmleshNandan Sinha | January 12, 2025 6:28 PM

Yuvraj Singh: टीम इंडिया के पूर्व स्टार ऑलराउंडर युवराज सिंह खेल के इतिहास में सबसे बेहतरीन मध्यक्रम बल्लेबाजों में से एक रहे हैं. दो आईसीसी ट्रॉफी जीतने वाले युवराज की भारतीय क्रिकेट के प्रति प्रतिबद्धता बेजोड़ रही है. कैंसर से जूझने के बावजूद, युवराज ने 2011 विश्व कप में भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई. टूर्नामेंट के दौरान उनके शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज भी चुना गया. टूर्नामेंट के खत्म होने के बाद ही पता चला कि युवराज को कैंसर है. उसके बाद भारतीय टीम के साथ उनका करियर कभी भी उतनी ऊंचाई पर नहीं पहुंच पाया.

दो आईसीसी खिताब जीत में युवराज का अहम योगदान

आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप 2007 और वर्ल्ड कप 2011 में देश के लिए किए गए उनके प्रदर्शन के लिए आज भी पूरा भारत युवराज की तारीफ करता है. उनके पिता योगराज सिंह ने एक पॉडकास्ट में कहा कि अगर युवराज की मौत भी वर्ल्ड कप के दौरान हो जाती तो भी उन्हें गर्व होता, क्योंकि भारत ने खिताब जीता था. योगराज ने कहा, ‘हमारे देश के लिए, अगर युवराज सिंह कैंसर से मर गए होते और भारत विश्व कप जीत जाता तो मैं एक गौरवान्वित पिता होता.’

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बेहतरीन फिनिशरों में एक थे युवराज सिंह

योगराज ने आगे कहा, ‘मुझे अभी भी उन पर बहुत गर्व है. मैंने उन्हें फोन पर भी यह बात बताई है. मैं चाहता था कि जब वह खून थूक रहे हों, तब भी वह खेलें. मैंने उनसे कहा, ‘चिंता मत करो, तुम नहीं मरोगे. भारत के लिए यह विश्व कप जीतो.’ हालांकि युवराज भारतीय क्रिकेट के सबसे बेहतरीन फिनिशरों में से एक हैं, लेकिन उनके पिता को अब भी लगता है कि यह खब्बू बल्लेबाज अपनी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं कर सका.

कैंसर से जंग जीत युवराज ने पेश की मिशाल

योगराज ने कहा, ‘युवराज सिंह ने अगर अपने पिता की तरह 10 प्रतिशत भी मेहनत की होती तो वह महान क्रिकेटर बन गए होते.’ 2011 के विश्व कप में, युवराज ने 90.50 की औसत और 86.19 की स्ट्राइक-रेट से 362 रन बनाए और टीम के खिताब जीतने में अहम भूमिका निभाई. 2019 में अपने करियर को अलविदा कहने से पहले, फेफड़ों के कैंसर से उबरने के बाद उन्होंने अगले कुछ सालों में भारत के लिए कुछ मैच खेले.

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