हरभजन सिंह और युवराज सिंह पंजाब से बाहर आकर विश्व पटल पर दो बेहतरीन क्रिकेटर के रूप में उभरे. दोनों खिलाड़ी मैदान के बाहर भी बहुत अच्छे दोस्त थे. जब वे टीम में रहे तो एक दूसरे से और अधिक जुड़े रहे. टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और वर्तमान में बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने दोनों को काफी मौके दिये और दोनों ने भी खुद को साबित किया. अपने करियर में दोनों ने भारत को कई अंतरराष्ट्रीय मैच जीताये.
हरभजन सिंह और युवराज सिंह दोनों एमएस धोनी की कप्तानी में 2007 टी-20 विश्व कप और 2011 आईसीसी विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीमों का हिस्सा थे. हाल ही में हरभजन से स्पोर्ट्सकीड़ा पर कई सवाल पूछे गये और इस दिग्गज स्पिनर ने अपने अनोखे अंदाज में सवालों का जवाब देने की कोशिश की. हरभजन से पूछा गया कि क्या होता अगर युवराज सिंह भारतीय टीम के कप्तान होते.
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महान ऑफ स्पिनर हरभजन ने इस सवाल का जवाब दिया. उन्होंने हंसते हुए कहा कि अगर युवराज सिंह भारतीय कप्तान होते, तो हमें जल्दी सोना पड़ता और जल्दी उठना पड़ता. हमें बहुत मेहनत करनी पड़ेती. वह एक महान कप्तान होते. उनके रिकॉर्ड खुद बयां करते हैं. उन्होंने 2011 विश्व कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट जीता था, एक ऐसा खिताब जो हमें सम्मान देता है.
उनसे आगे पूछा गया कि क्या युवराज के कप्तान होने पर कुछ खिलाड़ियों का करियर लंबा होता. इस पर हरभजन ने कहा कि उनकी पीढ़ी के ज्यादातर खिलाड़ी योग्यता के आधार पर देश के लिए क्रिकेट खेलते हैं और उन्हें किसी की मदद की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि अगर युवराज कप्तान होते तो किसी का करियर लंबा होता. क्योंकि हमने जो कुछ भी खेला है वह अपनी क्षमता के आधार पर खेला है.
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हरभजन से साफ शब्दों में कहा कि कोई भी कप्तान किसी भी खिलाड़ी को बिना प्रदर्शन के लंबा खेलने का मौका नहीं दे सकता. जब भी आप देश की कप्तानी करते हैं, तो आपको दोस्ती को अलग रखने और पहले देश के बारे में सोचने की जरूरत होती है. बता दें कि हरभजन सिंह टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए चौथे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले और वनडे में पांचवें सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं.