आरसीबी के कार्यकारी प्रमुख चारु शर्मा ने अपने एक बयान में बताया कि उन्होंने चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी को क्यों खरीदा था. उन्होंने ये बयान ESPNcricinfo साथ बात चीत में दिया. उन्होंने कहा कि हमें धौनी के ऊपर संदेह था कि अगर हमने धौनी को खरीद लिया और वह कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए तो हमारा खेला गया दांव उल्टा पड़ जाएगा.
हम धौनी को शामिल करके वो रिस्क नहीं नहीं लेना चाहते थे इसलिए जब चेन्नई ने उनके ऊपर 1.5 मिलयन का दांव खेला तो हमने उसे चेन्नई टीम के पास ही जाने दिया. सच बताऊं तो हमें उस वक्त डर था कि अगर धौनी मैच में नहीं चले पाए तो ये हमारे लिए कहीं घाटे का सौदा न पड़ जाए. बता दें कि साल 2008 में चेन्नई और बैंगलोर के बीच में जबरदस्त होड़ मची थी. लेकिन अंततः चेन्नई की टीम ने उस मुकाबले में बाजी मार गया.
उस वक्त धौनी अपने करियर के शिखर पर थे. उनकी कप्तानी में ही साल 2007 के टी-20 विश्व कप में टीम इंडिया ने बाजी मारी थी. और उस वक्त धौनी जबरदस्त फॉर्म में भी चल रहे थे. बता दें कि चेन्नई भी उस वक्त धौनी को लेने के मूड में नहीं थी, इस बात का खुलासा खुद चेन्नई के मुख्य चयनकर्ता रह चुके चंद्र शेखर ने किया था. उन्होंने कहा था कि उस वक्त नीलामी से पहले एन श्रीनिवासन ने कहा था कि आप किस खिलाड़ी को चुनना चाहेंगे. तब उन्होंने चंद्र शेखर ने कहा था कि मैं धौनी के साथ जाना चाहूंगा.
तब उन्होंने कहा था कि वीरेंद्र सहवाग क्यों नहीं. इस का जवाब देते हुए चंद्र शेखर ने कहा था कि जो चीज हमें धौनी दे सकते हैं वो सहवाग नहीं दे सकता. लेकिन धौनी वो खिलाड़ी हैं जो न सिर्फ अपनी बल्लेबाजी बल्कि एक विकेट कीपर और कप्तान के रूप में अपने बलबूते मैच का रुख पलट सकते हैं जिसके बाद इस बात पर सहमति बनी कि धौनी ही चेन्नई की टीम में आएंगे.
चेन्नई का ये फैसला बिल्कुल सही साबित हुआ और धौनी ने चेन्नई को तीन बार आईपीएल का खिताब दिलाया. उनकी कप्तानी में चेन्नई की जीत का प्रतिशत 60 से ऊपर का है, जो कि किसी भी आईपीएल कप्तान से ज्यादा है. उसके बाद मुंबई के कप्तान रोहित शर्मा का नंबर आता है.