IND vs AUS Test: ICC की खराब रैंकिंग के बाद मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ के अधिकारी नाराज, कह दी बड़ी बात
India vs Australia Test: बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के तीसरे मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को तीसरे ही दिन 9 विकेट से हरा दिया. आईसीसी ने इंदौर की पिच का खराब करार दिया है. आईसीसी ने होल्कर स्टेडियम की पिच को 3 डेमैरिट अंक भी दिये जो पांच साल तक मान्य होंगे.
इंदौर : मध्यप्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) के एक शीर्ष पदाधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के तीसरे टेस्ट के लिए इस्तेमाल होलकर स्टेडियम की पिच ने इस मुकाबले का नतीजा दिया है और यह पिच भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के क्यूरेटरों के निर्देशों के मुताबिक ही तैयार की गयी है. एमपीसीए अध्यक्ष अभिलाष खांडेकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) द्वारा इस पिच को ‘खराब’ करार दिये जाने के बाद बयान दिया.
आईसीसी ने पिच को खराब बताया
फिरकी गेंद के घातक वार से “बल्लेबाजों की कब्रगाह” साबित हुई इस पिच पर मेजबान भारत को टेस्ट मैच के तीसरे दिन ऑस्ट्रेलिया के हाथों नौ विकेट से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी. खांडेकर ने पीटीआई-भाषा से कहा कि मुझे पता चला है कि इस पिच को आईसीसी ने खराब करार दिया है. हालांकि, मैंने पिच को लेकर आईसीसी की रेटिंग का विस्तृत ब्योरा नहीं देखा है. लेकिन मेरा कहना है कि इस पिच ने टेस्ट मैच का नतीजा दिया है.
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BCCI के निर्देश पर बनी थी पिच
क्रिकेट के गलियारों में इंदौर की पिच की तीखी आलोचना के बीच एमपीसीए अध्यक्ष याद दिलाना नहीं भूले कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच नागपुर और दिल्ली में खेले गये दो शुरुआती टेस्ट मैच भी पूरे पांच दिन नहीं चल सके थे. खांडेकर ने कहा कि होलकर स्टेडियम की पिच बीसीसीआई के पिच क्यूरेटरों के दिशा-निर्देशों के मुताबिक बनायी गयी थी जिन्होंने मुकाबले के करीब आठ दिन पहले होलकर स्टेडियम पहुंचकर मैदान का मुआयना किया था.
बीसीसीआई के क्यूरेटर ने तैयार करवाया पिच
सूत्रों ने बताया कि बीसीसीआई के दो क्यूरेटरों-आशीष भौमिक और तापस चटर्जी ने भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट से पहले, स्टेडियम का मुआयना किया था. सूत्रों के मुताबिक होलकर स्टेडियम में काली और लाल, दोनों तरह की मिट्टियों की पिच हैं, लेकिन भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट के लिए काली मिट्टी की पिच इस्तेमाल करने का फैसला किया गया था. जानकारों के मुताबिक आमतौर पर क्रिकेट की गेंद, लाल मिट्टी की पिच की तुलना में काली मिट्टी की पिच पर कम घुमाव और उछाल लेती है, लेकिन गेंद की चाल इस पर भी निर्भर करती है कि पिच पर घास की स्थिति कैसी है.
24 जनवरी को इसी मैदान पर हुआ था भारत और न्यूजीलैंड का मुकाबला
एमपीसीए के होलकर स्टेडियम के पिछले 17 साल के इतिहास में जितने मैच हुए हैं, उनमें से अधिकतर मुकाबलों में इसकी पिच बल्लेबाजों के लिए खूब मददगार साबित हुई है, इसलिए इस मैदान को “बल्लेबाजों का स्वर्ग” कहा जाता रहा है. एमपीसीए अध्यक्ष खांडेकर ने कहा, होलकर स्टेडियम की पिच ने पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मैचों की शानदार मेजबानी की है. 24 जनवरी को इस पर भारत और न्यूजीलैंड के बीच एक दिवसीय मैच का आयोजन किया गया था.