IND vs ENG: 2012 में इंग्लैंड टेस्ट सीरीज ने बदल दी मेरी जिंदगी, 100वां टेस्ट खेलने से पहले अश्विन का खुलासा
IND vs ENG: धर्मशाला में खेला जाने वाला भारत और इंग्लैँड का आखिरी टेस्ट मुकाबला रविचंद्रन अश्विन के लिए बेहद खास होने वाला है. यह अश्विन का 100वां टेस्ट मैच होगा. अश्विन अब तक सीरीज में 17 विकेट ले चुके हैं.
IND vs ENG: भारत और इंग्लैंड के बीच सात मार्च से धर्मशाला में पांचवां और आखिरी टेस्ट मुकाबला खेला जाना है. यह टेस्ट कई मायनों में खास है. टीम इंडिया के अनुभवी स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के करियर का यह 100वां टेस्ट होगा. इस मैच से पहले अश्विन ने कहा कि 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज मेरे करियर का निर्णायक मोड़ था. इसी के बाद उन्हें अपनी गलतियों को सुधारने का मौका मिला. 2012 में इंग्लैंड ने उस सीरीज करे 2-1 से जीता था. यह 1984-85 के बाद भारत में उसकी पहली जीत थी. मौजूदा टेस्ट सीरीज पर पहले ही 3-1 से भारत का कब्जा हो चुका है, लेकिन अपना रिकॉर्ड बेहतर करने के लिए भारत आखिरी मुकाबला भी गंवाना नहीं चाहेगा.
IND vs ENG: 100वें टेस्ट के लिए तैयार हैं अश्विन
रविचंद्रन अश्विन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 2012 में जब मैंने इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज खेली थी तो मुझे अपनी बहुत सी कमियों को पता चला था. उसके बाद मैंने एक-एक कर अपनी कमियां सुधारी. वह टेस्ट सीरीज मेरे लिए निर्णायक रही थी. अपने 100वें टेस्ट के बारे में अश्विन ने कहा कि यह बड़ा मौका है. मंजिल से ज्यादा सफर खास रहा है. लेकिन इससे मेरी तैयारी में कोई बदलाव नहीं आया है. हमें टेस्ट मैच जीतना है.
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IND vs ENG: अश्विन ने 2011 में किया था टेस्ट डेब्यू
करियर के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के बारे में पूछने पर अश्विन ने कहा कि बर्मिंघम में 2018-19 में मेरे टेस्ट कैरियर का सर्वश्रेष्ठ स्पैल रहा. हाल ही में 500 टेस्ट विकेट पूरा करने वाले अश्विन ने 2011 में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था. वह 500 टेस्ट विकेट चटकाने वाले अनिल कुंबले के बाद दूसरे भारतीय क्रिकेटर हैं. इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा सीरीज में अश्विन शानदार रहे हैं. उन्होंने अब तक 4 मैचों में 17 विकेट चटकाए हैं.
IND vs ENG: टीम को स्वार्थ के ऊपर रखा
कई बार टीम से बाहर रखने के सवाल पर अश्विन ने कहा कि मैं भी सोचता हूं कि मुझे कई लोगों से कम मौके मिले हैं. लेकिन मैं यह भी सोचता हूं कि यह सब टीम के हित में लिए गए निर्णय होंगे. अगर कभी मैं नहीं भी खेलता हूं और पांच दिन बाद टीम जीतती है तो ड्रेसिंग रूम में मैं सबसे ज्यादा खुश होता हूं. जब मैं छोटा था तो मैं सिर्फ एक दिन के लिए भारत की जर्सी पहनना चाहता था. मैं आज जो कुछ भी हूं, सिर्फ इसलिए कि मैं अपने स्वार्थ को टीम से पहले नहीं रख सकता. कुछ निराशाजनक दिन रहे हैं, लेकिन मैंने सीख लिया है कि इससे कैसे निपटना है और मैं बेहद खुश हूं कि मैंने भारत में अब तक पैदा हुए कुछ महान क्रिकेटरों के साथ खेला है.
भाषा इनपुट के साथ