Cricket World Cup: कपिलदेव के बाद झारखंड के लाल एमएस धोनी ने उठाया था वर्ल्ड कप, अब बारी रोहित शर्मा की
भारत का स्कोर भले कुछ भी रहा हो, विपक्षी दलों पर हमारे तेज और स्पिन गेंदबाज इस कदर दहाड़े कि टीम इंडिया का हर स्कोर विपक्षी दल के लिए पहाड़ साबित हुआ. यही वजह है कि टीम इंडिया ने लीग मैच से लेकर सेमीफाइनल तक कोई मैच नहीं गंवाया.
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला गुजरात के अहमदाबाद स्थित नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जा रहा है. वर्ल्ड कप 2023 में अब तक भारत कोई मैच नहीं हारा. टीम इंडिया ने इस बार असाधारण खेल का प्रदर्शन किया. वर्ल्ड चैंपियन इंगलैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को धूल चटाई है. फाइनल मुकाबले में रोहित शर्मा ने धमाकेदार शुरुआत की. ताबड़तोड़ 47 रन बनाकर आउट हो गए, लेकिन टीम इंडिया की नींव काफी मजबूत कर दी. लेकिन, रोहित के आउट होते ही एक के बाद एक तीन विकेट भारत के गिर गए. सबसे पहले शुभमन गिल आउट हुए. फिर रोहित शर्मा और उसके बाद श्रेयस अय्यर भी आउट हो गए. इसके पहले भी ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ भारत की पारी इस वर्ल्ड कप में लड़खड़ाई थी. लेकिन, टीम इंडिया के भरोसेमंद बल्लेबाजों विराट कोहली, श्रेयस अय्यर और केएल राहुल ने पारी को संभाला. टीम कभी एक खिलाड़ी के भरोसे नहीं रही. हर पारी में किसी न किसी का बल्ला चला और विपक्षी टीम के स्कोर को कम साबित कर दिया. वहीं, गेंदबाजों ने भी शानदार प्रदर्शन किया है. भारत का स्कोर भले कुछ भी रहा हो, विपक्षी दलों पर हमारे तेज और स्पिन गेंदबाज इस कदर दहाड़े कि टीम इंडिया का हर स्कोर विपक्षी दल के लिए पहाड़ साबित हुआ. यही वजह है कि टीम इंडिया ने लीग मैच से लेकर सेमीफाइनल तक कोई मैच नहीं गंवाया. 12 साल बाद एक बार फिर मौका है टीम इंडिया के पास वर्ल्ड कप अपने हाथ में लेने का. ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों ने मैच शुरू होने से पहले बड़ी-बड़ी बातें कीं थीं, लेकिन टीम इंडिया के बल्लेबाजों ने शुरू में ही उनकी बोलती बंद कर दी थी. उम्मीद की जा रही है कि जिस तरह 1983 में कपिलदेव, 2011 में महेंद्र सिंह धोनी ने वर्ल्ड कप जीता. उसी तरह 2023 में रोहित शर्मा वर्ल्ड कप अपने हाथों से उठाएंगे.
माइंडगेम खेलना ऑस्ट्रेलिया की पुरानी आदत
ऑस्ट्रेलिया का जब भी भारत से मुकाबला होता है, वे बयानबाजी शुरू कर देते हैं. माइंड गेम खेलने की कोशिश करते हैं. बता दें कि टीम इंडिया ने पहला वर्ल्ड कप तब जीता था, जब किसी ने इसकी कल्पना तक नहीं की थी. 1983 के वर्ल्ड कप में वेस्ट इंडीज जैसी टीम को कपिलदेव के नेतृत्व में भारतीय खिलाड़ियों ने धूल चटा दी थी. इसके बाद भारत ने इक्कीसवीं सदी में दूसरी बार वर्ल्ड कप जीता. तब टीम इंडिया के कप्तान थे झारखंड की राजधानी रांची के रहने वाले महेंद्र सिंह धौनी. युवराज सिंह उस वक्त टीम इंडिया का ट्रंप कार्ड हुआ करते थे. कैंसर की बीमारी से जूझ रहे इस क्रिकेटर ने प्रतिद्वंद्वी टीमों के खिलाफ ऐसी खूंखार पारियां खेलीं कि टीम इंडिया को वर्ल्ड चैंपियन बनाकर ही माने. धौनी के विनिंग सिक्सर को आज भी लोग याद करते हैं, जब एशिया महादेश के कई देशों में खेले गए वर्ल्ड कप 2011 में भारत ने श्रीलंका को पराजित किया था. जीत की राह गौतम गंभीर और युवराज सिंह की पारी ने आसान की और मैच का अंत धौनी के छक्के से हुआ था.
पहली बार मेजबान देश ने जीता था वर्ल्ड कप का खिताब
वर्ष 2011 में पहली बार ऐसा हुआ कि वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में दो एशियाई टीमों की भिड़ंत हई थी. 10वां आईसीसी वर्ल्ड कप भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश में खेला गया था. भारत ने इस टूर्नामेंट के फाइल में श्रीलंका को 6 विकेट से पराजित किया था. फाइन मैच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया था. इसके साथ ही भारत विश्व की पहली ऐसी टीम बन गई थी, जिसने अपनी ही धरती पर वर्ल्ड कप जीता. युवराज सिंह को मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया. इस विश्व कप में कई चीजें पहली बार हुईं थीं. 1992 के बाद वर्ष 2011 के वर्ल्ड कप में पहली बार ऐसा हुआ कि फाइनल में ऑस्ट्रेलिया की टीम नहीं थी. बता दें कि ऑस्ट्रेलिया ने पांच बार विश्व कप का खिताब अपने नाम किया है. भारत दो बार वर्ल्ड चैंपियन बना है. भारत के लिए तीसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बनने का मौका है. बहरहाल, देखना यह है कि ऑस्ट्रेलिया को टीम इंडिया कितने रन पर समेट पाती है.
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