IPL 2021 suspended : इंडियन प्रीमियर लीग 2021 को मंगलवार को अनिश्चितकाल के लिए सस्पेंड कर दिया गया है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI)ने आज दो और खिलाड़ियों के संक्रमित होने के बाद यह फैसला लिया. दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट लीग के बीच में ही स्थगित हो जाने से अब बोर्ड के नुकसान की बातें सामने आ रही हैं. एक सीजन से बोर्ड को पिछले साल 4 हजार करोड़ रुपए की कमाई हुई थी, लेकिन टूर्नामेंट के बीच में ही सस्पेंड हो जाने से 2.5 हजार करोड़ रुपए तक का नुकसान होने की संभावना जतायी जा रही है.
बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक BCCI और आईपीएल टीमों दोनों के लिए एक बड़ा वित्तीय झटका हो सकता है. बीसीसीआई के अनुसार पिछले साल संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में खाली स्टेडियमों में हुए आईपीएल से 4,000 करोड़ रु का फायदा हुआ था. वहीं आईपीएल 2021 जो कोरोना प्रोटोकॉल के बीच खेला जा रहा था, जहां स्टोडियम में दर्शकों के आने पर मनाही थी, जिसके हर एक मैच के प्रसारण से बीसीसीआई औसतन 67 करोड़ रुपये कमाता है.
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हालांकि, 60 मैचों के टूर्नामेंट में 31 मैच खेले जाने बाकी थें, लेकिन कोरोना के बढ़ते कहर के बीच बीसीसीआई को टूर्नामेंट को बीच में ही सस्पेंड करना पड़ा. इस फैसले के बाद भारत के क्रिकेट बोर्ड को 2000 करोड़ का यह झटका लग सकता है. यह भी कहा जा रहा है कि बीच सीजन में लीग के स्थगित होने से हमें 2000 से लेकर 2500 करोड़ रुपए का नुकसान होने की संभावना है. सबसे ज्यादा नुकसान ब्रॉडकास्टिंग रेवेन्यू का होगा.
वहीं बीसीसीआई द्वारा आईपीएल से प्राप्त आय को केंद्रीय रिजर्व बल को स्थानांतरित किया जाता है, जिसे बाद में बीसीसीआई और आईपीएल फ्रेंचाइजी के बीच समान रूप से साझा किया जाता है. 2021 में, आठ आईपीएल फ्रेंचाइजी राजस्व में 2,000 करोड़ रुपये साझा करने की उम्मीद कर रहे थे. वहीं बीच में ही टूर्नामेंट खत्म होने पर आठ टीमों को केंद्रीय रिजर्व बल को कमाई में कम से कम 1,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा.
आईपीएल फ्रेंचाइजी के लिए चिंता का एक अन्य प्रमुख कारण विभिन्न कंपनियों के साथ उनका प्रायोजन अनुबंध था. प्रत्येक आईपीएल फ्रैंचाइज़ी को अपनी स्टार पावर और लोकप्रियता के अनुसार, टीम की जर्सी पर अपना नाम प्रदर्शित करने के लिए प्रायोजकों से कई करोड़ रुपये मिलते हैं. टीमें इससे 40 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व अर्जित करती हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि प्रायोजक लोगो को टीम की जर्सी या खिलाड़ियों के बैट पर लगा हो. जानकारी के मुताबिक आठ फ्रेंचाइजी इन प्रायोजकों से प्रति वर्ष 500 करोड़ रुपये तक कमाती हैं, जो इस साल डिजिटल अधिकार की बिक्री के कारण लगभग 600 करोड़ रुपये होने की उम्मीद थी.