सौरभ गांगुली को CESTAT से मिली राहत, सर्विस टैक्स अथॉरिटी ने वसूले थे 1.5 करोड़ रुपये, अब 10 फीसदी ब्याज के साथ लौटायेगा

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के उत्पाद, सीमा शुल्क व सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (CESTAT) की एक बेंच ने सेवा कर प्राधिकरण द्वारा लगाये गये 1.5 करोड़ रुपये टैक्स के मामले में टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली को बड़ी राहत दी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 16, 2020 6:57 PM

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के उत्पाद, सीमा शुल्क व सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (CESTAT) की एक बेंच ने सेवा कर प्राधिकरण द्वारा लगाये गये 1.5 करोड़ रुपये टैक्स के मामले में टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली को बड़ी राहत दी है.

न्यायाधिकरण ने पूर्व कप्तान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सर्विस टैक्स अथॉरिटी को ब्याज सहित रुपये लौटाने का निर्देश दिया है. प्राधिकरण ने सौरभ गांगुली को मिली पूरी फीस को कंपोजिट फीस मानकर उस पर टैक्स वसूला था. न्यायाधिकरण ने प्राधिकरण को 10 फीसदी ब्याज के साथ रुपये लौटाने के लिए कहा है.

इतना ही नहीं, केस फिर शुरू होने से पहले क्रिकेटर सौरभ गांगुली द्वारा डिपॉजिट कराये गये 50 लाख रुपये भी वापस करने का आदेश सर्विस टैक्स अथॉरिटी को दिया है.

Also Read: बंगाल में फिर तृणमूल की सरकार बनी, तो सबको मुफ्त में मिलेगा राशन, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कूचबिहार में एलान
क्या है मामला

मामला वर्ष 2006 का है. सेवा कर प्राधिकरण ने सौरभ गांगुली से आइपीएल में खेले गये मैच और उनके लेख और प्रदर्शन पर टैक्स वसूला था. इसके बाद सौरभ गांगुली ने इसके खिलाफ हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

वर्ष 2016 में कोलकाता हाइकोर्ट ने प्राधिकरण द्वारा की गयी टैक्स की मांग को गलत ठहराया. कोर्ट ने कहा कि टैक्स लागू नहीं होता. साथ ही अथॉरिटी से रकम ब्याज सहित वापस लौटने के लिए कहा था.

Also Read: West Bengal Election 2021: शनिवार को ममता बनर्जी को लगेंगे कई झटके, अमित शाह की रैली में शुभेंदु, शीलभद्र समेत कई नेता थामेंगे भाजपा का दामन

प्राधिकरण ने सौरभ गांगुली से आइपीएल के ब्रांड प्रोमोशन और मैच खेलने की फीस पर 1.51 करोड़ रुपये सर्विस टैक्स मांगे थे. इसके बाद प्राधिकरण ने फिर से मामले को सीईएसटीएटी में उठाया.

सौरभ गांगुली से इस आधार पर 1.51 करोड़ रुपये का सर्विस टैक्स की मांग की गयी कि मैच खेलने के लिए मिलने वाली फीस आइपीएल क्रिकेट मैच खेलने और ब्रांड प्रोमोशन करने के लिए दी जाने वाली कंपोजिट फीस है.

Also Read: ममता बनर्जी पर पलटवार, AIMIM चीफ बोले, ओवैसी को खरीदने वाला पैदा नहीं हुआ, बंगाल भाजपा बोली, जनता पीसी को ‘कच्चे केले’ भी नहीं देगी

इसके अलावा एक जुलाई, 2010 से पहले की अवधि के लिए ब्रांड एंडोर्समेंट पर भी टैक्स मांगा गया था, जबकि ब्रांड प्रोमोशन इस तारीख के बाद टैक्सेबल सर्विस था.

न्यायाधिकरण ने क्या कहा

न्यायाधिकरण ने पाया कि पिटिशनर को आइपीएल फ्रेंचाइजी से मिले मेहनताने पर बिजनेस सपोर्ट सर्विस के तौर पर टैक्स नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि पिटिशनर सिर्फ कोलकाता नाइट राइडर्स की ओर से खरीदा गया और उसके लिए परफॉर्म करने वाला मेंबर था और वह इंडिविजुअल के तौर पर कोई सर्विस नहीं दे रहा था.

Also Read: 19 दिसंबर को दो दिन के दौरे पर बंगाल आयेंगे अमित शाह, इस बार किसान के घर करेंगे भोजन

ट्रिब्यूनल के अनुसार, श्री गांगुली का दर्जा इंडिपेंडेंट वर्कर या कॉन्ट्रैक्टर या कंसल्टेंट की बजाय एक एम्प्लॉयी का था. इस मामले में यह नहीं कहा जा सकता कि पिटिशनर कोई ऐसी सर्विस दे रहा था, जो बिजनेस सपोर्ट सर्विस माना जाता हो. मैगजीन के लिए लिखने या टीवी शो में एंकरिंग के लिए मिलने वाले मेहनताने के लिए भी टैक्स डिमांड को खारिज कर दिया गया.

Posted By : Mithilesh Jha

Next Article

Exit mobile version