IPL 2020, Nicholas Pooran: कोरोना के साए के बीच शुरू हुए आईपीएल के 13वें सीजन में 10 मैच हो चुके हैं. इन 10 मैचों में वो करीब करीब वो सारा रोमांच दिख चुका है जिस कारण आईपीएल दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित क्रिकेट लीग है. बाते चाहे शतक की हो, सुपर ओवर की हो, ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की हो या सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षण की, ये सब आईपीएल के पहले हफ्ते में दिख गया है. आईपीएल 2020 के 8वें मैच (सनराइजर्स हैदराबाद vs किंग्स इलेवन पंजाब) में कैरेबियाई खिलाड़ी निकोलस पूरन ने अपनी करिश्माई फील्डिंग से सबको हैरत में डाल दिया. दिग्गज इस खिलाड़ी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं.
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वेस्टइंडीज के बल्लेबाज इस समय आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. पूरन ने रविवार को रॉयल्स के खिलाफ महज आठ गेंदों में 1 चौके और तीन छक्के की मदद से नाबाद 25 रन बनाकर टीम को विशाल स्कोर तक पहुंचाने में मदद की. इसके बाद द उन्होंने अपनी फील्डिंग से सभी का दिल जीत लिया. राजस्थान रॉयल्स की पारी के 8वें ओवर में संजू सैमसन ने एक हवाई शॉट जमाया. सभी को एहसास हो गया कि यह गेंद छक्के के लिए जा रही है.
मगर बाउंड्री पर मुस्तैद निकोलस पूरन ने बाउंड्री पर डाइव लगाकर कैच लपका और हवा में रहते हुए ही गेंद अंदर की तरफ थ्रो कर दी. इस गेंद पर बल्लेबाज केवल 2 रन ही ले सके. यह वीडियो चंद मिनटों में सोशल मीडिया पर सनसनी की तरह फैल गया. यहां तक कि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को भी निकोलस की तारीफ करनी पड़ गई. मैच में कमेंट्री के दौरान केविन पीटरसन ने भी पूरन के फील्डिंग की प्रशंसा की.
अपने पैरों के दम पर उछलकर अविश्वसनीय फील्डिंग करके दिग्गजों से तारीफें बटोरने वाले निकोलस पूरन का क्रिकेट करियर तो 2015 में ही खत्म हो गया होता. दरअसल, 2015 में निकोलस पूरन एक कार एक्सीडेंट में चोटिल हो गए थे. उनके दोनों पैरों में गंभीर चोटें आईं थीं. तब डॉक्टर ने निकोलस पूरन से कहा था कि दोबारा कभी शायद ही क्रिकेट खेल सकेंगे. डॉक्टर्स ने पूरन को क्रिकेट छोड़ने की सलाह दी थी.
लेकिन मजबूत इरादे वाले निकोलस ने हार नहीं मानी, दोबारा खेल के मैदान में वापसी की हर संभव कोशिश करने लगे. टखने में लगी गंभीर चोट को ठीक करने के लिए कड़ी मेहनत की, जल्दी ठीक होने के लिए दो सर्जरी भी की गयी. सर्जरी के बाद जैसे तैसे चलने की कोशिश करने लगे. इसके बाद थेरेपी का भी सहारा लिया. अनुभवी चिकत्सकों की देख रेख में जल्द ही अच्छे परिणाम दिखने लगे. इस तरह निकोलस की मेहनत रंग लाई और 6 महीने बाद जाकर अपने पैरों पर खड़े हो सके.
Posted By: Utpal kant