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टेस्ट क्रिकेट में जय शाह लगाएंगे नया तड़का, लाने वाले हैं वह नियम जिसका बीसीसीआई ने किया था विरोध 

Jay Shah: आईसीसी के चेयरमैन जय शाह अगले महीने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड क्रिकेट के चीफ से मुलाकात करने वाले हैं. इस मुलाकात में टेस्ट क्रिकेट में 2 लेवल सिस्टम लाने पर फिर एकबार चर्चा हो सकती है.

Jay Shah: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हाल ही में समाप्त हुई बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में रिकॉर्ड नंबर में दर्शक मैदान पर आए. टेस्ट क्रिकेट में पांच दिनों का खेल होता है. एक समय पर इसे बोरिंग मानकर एकदिवसीय मैचों का आयोजन किया जाने लगा, फिर उससे भी आगे बढ़कर टी20 क्रिकेट की ओर कदम बढ़ाया गया. लेकिन दर्शकों की संख्या देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है, कि पांच दिनी खेल का क्रेज अभी खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में अब इसे फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए आईसीसी के नवनियुक्त चेयरमैन जय शाह ने पुरानी योजना पर आगे बढ़ने का मन बनाया है. शाह अगले महीने में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, भारत क्रिकेट बोर्ड की एक बैठक में शामिल होने वाले हैं, जिसमें टू-लेवल टेस्ट सिस्टम पर चर्चा होगी, जिसका कभी भारत ने ही विरोध किया था. इस सिस्टम के तहत तीन टीमें एक-दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा टेस्ट मैच खेल सकेंगी.

अगर इस बात को माना जाए तो यह कदम बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में रिकॉर्ड दर्शकों की मौजूदगी के बाद उठाया गया है, जिसमें भारत और ऑस्ट्रेलिया ने 5 टेस्ट मैच खेले गए. ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट इतिहास में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सबसे ज्यादा दर्शकों वाली चौथी सीरीज रही, जिसमें स्टेडियम में 8,37,879 लोग खेल देखने आए. सबसे ज्यादा दर्शक इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1936-37, 2017-18 और 1946-47 की एशेज सीरीज में आए थे. ऑस्ट्रेलिया के अखबार द एज ने कल 6 जनवरी को इस मामले पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें कहा गया कि, 2-लेवल टेस्ट सिस्टम को लेकर अगले महीने जय शाह, इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड के चीफ रिचर्ड थॉम्पसन और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के चेयरमैन माइक बेयर्ड के बीच मुलाकात होगी.

कैसा होगा 2-लेवल प्रारूप 

2-लेवल प्रारूप में क्रिकेट टीमों को दो भाग में बांटा जा सकता है. पहले लेवल में शीर्ष टीमें जैसे भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड एक दूसरे के साथ पहले से ज्यादा बार आपस में खेलेंगी. जबकि बांग्लादेश, अफगानिस्तान, आयरलैंड और जिम्बाब्वे जैसी अन्य टीमों को  रखा जाएगा. अगर ऐसा होता है तो इसमें छोटी टीमों को भी टेस्ट मैच खेलने के ज्यादा मौके मिल सकेंगे. जैसे अफगानिस्तान ने 2019 में टेस्ट क्रिकेट खेलना शुरू किया है और अब तक उसने केवल 6 टेस्ट मैच खेले हैं. हाल ही में श्रीलंका के पूर्व खिलाड़ी एंजेलो मैथ्यूज ने भी 2025 में उनकी टीम के केवल 3 टेस्ट मैच खेलने पर निराशा जताई थी. 

2-लेवल संरचना में संभावित टीमें

लेवल 1:  दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, भारत, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और पाकिस्तान

लेवल 2:  वेस्टइंडीज, बांग्लादेश, आयरलैंड, अफगानिस्तान और जिम्बाब्वे

इस प्रारूप में शीर्ष स्तरीय टीमें एक दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करेंगी, जबकि निचले स्तर की टीमें केवल अपने डिवीजन तक ही सीमित रहेंगी. हालांकि इस बात की कोई पुष्टि नहीं है कि इस प्रणाली में पदोन्नति और निर्वासन का प्रावधान भी शामिल होगा या नहीं. जैसा कि चैंपियंस ट्रॉफी में केवल 8 टीमों को ही मौका मिल पाता है.

भारत ने 2016 में  किया था इस प्रारूप का विरोध

2-लेवल टेस्ट प्रारूप का विचार 2016 में सामने आया था, लेकिन उस समय के बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने छोटी टीमों के विरोध के बाद इसे खारिज कर दिया था. ठाकुर ने कहा था कि 2-लेवल प्रारूप छोटी टीमों को हाशिए पर डाल देगा और यह क्रिकेट के लिए अच्छी भावना नहीं होगी. ठाकुर ने 2016 में कहा था, “बीसीसीआई दो स्तरीय टेस्ट प्रणाली के खिलाफ है क्योंकि इससे छोटे देश हार जाएंगे और बीसीसीआई उनका ख्याल रखना चाहता है. उनके हितों की रक्षा करना ज़रूरी है. 2-लेवल प्रणाली में, वे पैसे और शीर्ष टीमों के खिलाफ खेलने के मौके सहित बहुत कुछ खो देंगे. हम ऐसा नहीं चाहते. हम विश्व क्रिकेट के सर्वोत्तम हित में काम करना चाहते हैं और यही कारण है कि हमारी टीम सभी देशों के खिलाफ खेलती है.”

रवि शास्त्री ने भी किया समर्थन

रवि शास्त्री ने चल रही बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तर्क में दम है कि बड़ी टीमों के बीच बड़ी टीमों के खेलने से टेस्ट क्रिकेट का अस्तित्व बना रहेगा. शास्त्री ने सीरीज के अंतिम टेस्ट मैच के दौरान भी कहा था, “मैं इस बात पर दृढ़ता से विश्वास करता रहा हूं कि यदि आप चाहते हैं कि टेस्ट क्रिकेट जीवित रहे और फलता-फूलता रहे, तो मुझे लगता है कि यही एकमात्र रास्ता है.” सीरज समाप्त होने के बाद हाल ही में आईसीसी रिव्यू में बात करते हुए उन्होंने कहा कि बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में रिकॉर्ड नंबर में दर्शक आए, जो डॉन ब्रैडमैन के समय से भी ज्यादा है. 

प्रसारकों को होगा ज्यादा मुनाफा

खेल में सबसे ज्यादा फायदा प्रसारकों को होता है और उनके बीच भी इसका समर्थन बढ़ रहा है, जो पहले से भी अधिक लाभदायक बनना चाहते हैं. दो टीमों के बीच छोटी सीरीज से उनको मनमुताबिक मुनाफा नहीं मिल पाता. ऐसे में ब्रॉडकास्टर्स भी इस पहल के लिए लालायित रहेंगे. भारत-पाकिस्तान हों या भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी या फिर ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड के बीच एशेज सीरीज इन टीमों की प्रतियोगिता अच्छा रेवेन्यू पैदा करती है. अगर ऐसा होता है तो बीसीसीआई उसी फॉर्मूले पर वापस लौट रहा है, जिसका कभी उसने विरोध किया था.

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