भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को दुनिया के महान खिलाड़ियों में से एक माना जाता है. उन्होंने साल 2004 में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था. धोनी ने बतौर कप्तान भारत को पहले ही साल में 2007 टी20 वर्ल्ड कप जिताया. इसके बाद 2011 वनडे वर्ल्ड कप जीता और चैम्पियंस ट्रॉफी भी अपने नाम की. पूर्व भारतीय फील्डिंग कोच आर श्रीधर ने बताया कि कैसे महेंद्र सिंह धोनी ने इन दो चीजों से समझौता नहीं किया और ये मेरे लिए आंखें खोलने वाली बात थीं.
धोनी ने फील्डिंग पर दिया ज्यादा जोर
श्रीधर ने कहा, धोनी अपनी कप्तानी के दौरान भारत के फील्डिंग पर खासा ध्यान दिया. उनकी रनिंग बिटविन द विकेट मेरे लिए आंखें खोलने वाली थीं. धोनी कहते थे, ‘दो चीजों से मैं कभी समझौता नहीं करता. यह फील्डिंग और रनिंग बिटविन द विकेट हैं.’ हालांकि, इस वजह से धोनी को कप्तानी के शुरुआती दिनों में फिट नहीं रहने वाले अनुभवी क्रिकेटरों को बाहर करने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था.
विराट ने भी इस परंपरा को आगे बढ़ाया
श्रीधर ने आगे कहा, यह आज भी वैसा ही चल रहा है. धोनी ने जिस तरह से फील्डिंग पर जोर दिया. उसे विराट कोहली ने भी आगे बढ़ाया. पूर्व कोच रवि शास्त्री ने भी हमेशा यही कहा कि बेस्ट 11 फील्डर्स ही खेलेंगे.’ इसमें कोई शक नहीं कि पिछले कुछ सालो में शानदार फील्डिंग प्रयासों से भारतीय टीम को रन बचाने का काफी फायदा मिला है. कोहली और रवींद्र जडेजा ने खुद को सर्वश्रेष्ठ भारतीय फील्डर के रूप में स्थापित किया है.
फील्डिंग पर की कड़ी मेहनत
उन्होंने कहा, ‘मैंने उमेश यादव, मोहम्मद सिराज और मोहित शर्मा के साथ भी कुछ फील्डिंग सेशन किए हैं. यह तेज गेंदबाज के साथ बेस्ट फील्डर भी थे. साथ ही विराट कोहली, रवींद्र जडेजा, मनीष पांडे की फील्डिंग को तो आपने एंजॉय किया ही होगा.’ बता दें कि श्रीधर को 2014 में भारतीय क्रिकेट टीम का फील्डिंग कोच बनाया गया था. तब एमएस धोनी ही टीम इंडिया के कप्तान थे. धोनी ने 15 अगस्त 2020 को इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया.