BCCI में भ्रष्टाचार के आगे मैच फिक्सिंग कुछ भी नहीं, भ्रष्टाचार रोधी इकाई के पूर्व अध्यक्ष की किताब में दावा
बीसीसीआई के भ्रष्टाचार रोधी इकाई के पूर्व अध्यक्ष नीरज कुमार ने दावा किया है कि खेल प्रशासकों द्वारा की जाने वाली हेरा-फेरी के आगे मैच फिक्सिंग के मामले कुछ भी नहीं हैं. उन्होंने अपनी किताब में कई खुलासे किये हैं. नीरज कुमार एक जून 2015 से 31 मई 2018 तक भ्रष्टाचार रोधी इकाई के अध्यक्ष थे.
नयी दिल्ली : भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) की भ्रष्टाचार रोधी इकाई (एसीयू) के प्रमुख रहे पूर्व आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी नीरज कुमार ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान महसूस किया कि इस खेल के प्रशासकों द्वारा की जाने वाली हेरा फेरी के सामने मैच फिक्सिंग काफी छोटा मामला है. नीरज एक जून 2015 से 31 मई 2018 तक एसीयू प्रमुख रहे थे. उन्होंने यह बातें अपनी किताब ‘ए कॉप इन क्रिकेट’ को लेकर कही जिसमें उन्होंने अपने कार्यकाल के अनुभव को साझा किया है. इस किताब को ‘जुगरनूट बुक्स’ ने छापा है.
मैच फिक्सिंग से भी बड़ा कांड
उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी पुस्तक में पाठकों को ‘हमारे देश में क्रिकेट के नाम पर होने वाली ‘हेरा फेरी की जानकारी’ देने की कोशिश की है. उन्होंने किताब में लिखा है, मैंने बीसीसीआई में तीन साल बिताये और दौरान महसूस किया कि फिक्सिंग का हिस्सा क्रिकेट में भ्रष्टाचार के मामले में बहुत ही छोटा है. क्रिकेट प्रशासकों द्वारा बड़े पैमाने पर की जाने वाली हेरा फेरी के सामने फिक्सिंग का मामला बहुत मामूली है.
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करोड़ों के गबन का लगाया आरोप
उन्होंने कहा, इंडियन प्रीमियर लीग के कारण क्रिकेट में काफी राजस्व आता है और इसे राज्य क्रिकेट संघ के साथ साझा किया जाता है. क्रिकेट प्रशासकों के हेरा फेरी का मामला जम्मू कश्मीर क्रिकेट संघ के साथ हुआ था. जहां इस राज्य इकाई के प्रशासकों के खिलाफ 2015 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने करोड़ों रुपये के गबन का मामला दर्ज किया था. उनका दावा है कि बीसीसीआई में उनके कार्यकाल के दौरान, उनकी इकाई को ऐसी कई शिकायतों मिली जिनमें से कुछ में युवा क्रिकेटरों से यौन संबंध बनाने की मांग की गयी थी.
खिलाड़ियों से पैसे की करते हैं मांग
उन्होंने कहा, खिलाड़ियों और उनके अभिभावकों ने हमसे अक्सर शिकायत की कि उनसे कोच या अधिकारियों ने लाखों रुपये की धोखाधड़ी की, जिन्होंने उन्हें आईपीएल या रणजी टीम में जगह दिलाने का वादा किया और फिर गायब हो गये. इस किताब में नीरज ने यह भी उल्लेख किया है कि 2017 में बीसीसीआई के शासन को संभालने के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त बीसीसीआई की प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रमुख विनोद राय और बीसीसीआई के तत्कालीन सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) राहुल जोहरी का संबंध ‘पिता-पुत्र’ की तरह था. जहां ‘पिता’ अपने ‘बेटे’ के खिलाफ कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे.
विनोद राय पर भी साधा निशाना
कुमार का दावा है कि वह जौहरी से जुड़े कई मुद्दों को राय के संज्ञान में लाये थे. उन्होंने कहा कि राय ने हमेशा मुझे धैर्यपूर्वक सुना और मुझे महसूस कराया कि वह मेरी तरफ हैं और राहुल जौहरी को अनुशासित करेंगे. लेकिन मैंने देखा कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया.