महिला क्रिकेट की महानतम खिलाड़ियों में से एक मिताली राज (Mithali Raj) ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा कर दी. मिताली राज को महिला क्रिकेट का सचिन तेंदुलकर माना जाता है. मिताली ने 23 साल तक क्रिकेट में अपना राज किया.
मिताली ने भरतनाट्यम छोड़ क्रिकेट को बनाया अपना पहला प्यार
महिला क्रिकेट की पहली सुपरस्टार, तकनीकी रूप से सबसे सटीक बल्लेबाज और एक पीढ़ी को प्रेरित करने वाली क्रिकेटर, मिताली राज पर ये सारी उपमायें चरितार्थ होती हैं. सोलह बरस की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करके पहले ही मैच में शतक जड़ने वाली मिताली एक समृद्ध विरासत छोड़कर क्रिकेट से संन्यास लिया. मिताली राज भरतनाट्यम नृत्यांगना रही हैं. लेकिन उन्होंने इसे छोड़कर क्रिकेट को अपना नया प्यार बनाया.
मिताली राज की कवर ड्राइव और बैक फुट स्ट्रोक्स को हमेशा याद रखेगा क्रिकेट जगह
मिताली राज के कवर ड्राइव और बैक फुट पर स्ट्रोक्स को क्रिकेट जगह बरसों तक याद रखेगा. उनकी तकनीक इतनी बेहतरीन थी कि उसमें गलती ढूंढना आसान नहीं था. मिताली ने 23 साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला और इतने लंबे कैरियर के मामले में वह 24 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले सचिन तेंदुलकर को टक्कर देती हैं.
मिताली ने खेल की तकदीर को बदलते हुए देखा
मिताली के पिता भारतीय वायुसेना में थे और यही वजह है कि उनकी बल्लेबाजी में गजब का अनुशासन देखने को मिलता है. वह फुटवर्क क्रिकेट में उनके काफी काम आया. घरेलू क्रिकेट में उन्होंने आंध्र प्रदेश के लिये कुछ समय खेला लेकिन बाद में एयर इंडिया और रेलवे से जुड़ गई. बीसीसीआई ने भारतीय महिला क्रिकेट को 2006 में जब अपनी छत्रछाया में लिया तो मिताली ने खेल की तकदीर को बदलते हुए देखा. अब महिला क्रिकेट में पेशेवरपन आ गया था. ट्रेन की बजाय अब खिलाड़ी बिजनेस क्लास में सफर करने लगे थे. मिताली इस उतार चढ़ाव वाले सफर की गवाह रही.
मिताली राज ने क्रिकेट में देखा बेहद खराब दौर
एक के बाद एक रिकॉर्ड तोड़ने वाली मिताली ने अपने कैरियर में खराब दौर भी देखा. मुख्य कोच रमेश पवार से 2018 टी20 विश्व कप के बाद उनके मतभेद सार्वजनिक हुए. उन्हें सेमीफाइनल में टीम से बाहर कर दिया गया और उन्होंने आनन फानन में इस प्रारूप को अलविदा कह दिया. लगातार सात अर्धशतक का रिकॉर्ड बनाने वाली मिताली ने आखिर तक निरंतरता बरकरार रखी. भारतीय खेमे में मतभेद की खबरों के बीच उन्होंने अपना संयम कभी नहीं खोया. अपने सुनहरे सफर का अंत वह विश्व कप के साथ करना चाहती थी लेकिन यह ख्वाहिश अधूरी ही रह गई.