वेस्टइंडीज में 2018 आईसीसी महिला टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान भारत का अभियान उस समय एक बड़े विवाद की चपेट में आ गया था जब मिताली राज और टीम के कोच रमेश पोवार की रिपोर्ट सामने आयी थी. दरार तब उभरी जब एक वरिष्ठ बल्लेबाज मिताली को भारत के टूर्नामेंट के ओपनर से बाहर कर दिया गया और बाद में पोवार ने उनकी धीमी स्ट्राइक-रेट को उनके बाहर होने का कारण बताया.
मिताली राज को भारत की प्लेइंग इलेवन में तानिया भाटिया के बदले एक बार टीम में शामिल किया गया और अनुभवी ने दो अर्धशतकों के साथ जवाब दिया. इसके बावजूद, उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले के लिए फिर से प्लेइंग इलेवन से हटा दिया गया था. इस मुकाबले में भारत हार गया था. इससे नाराज मिताली ने बीसीसीआई को पत्र लिखकर रमेश पोवार पर भेदभाव का आरोप लगाया था.
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आखिरकार, भारत लौटने पर बीसीसीआई ने टी-20 इंटरनेशनल कप्तान हरमनप्रीत कौर, मिताली राज और रमेश पोवार के साथ अलग-अलग बैठकें की. उसके बाद, पोवार का अनुबंध नवीनीकृत नहीं किया गया. लगभग तीन वर्षों तक भारतीय क्रिकेट को चलाने वाली प्रशासकों की समिति (सीओए) का नेतृत्व करने वाले विनोद राय ने अपनी पुस्तक ‘नॉट जस्ट ए नाइटवॉचमैन – माई इनिंग्स इन द बीसीसीआई’ में लिखा कि मिताली ने अंधेरे में रखे जाने का दावा किया.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक विनोद राय ने लिखा कि मिताली ने इस बात पर गहरी पीड़ा व्यक्त की थी कि कोच द्वारा उनके साथ कैसा व्यवहार किया गया. उसने महसूस किया कि सेमीफाइनल मैच में उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर किये जाने से ज्यादा, जिस तरह से कोच द्वारा उसके साथ व्यवहार किया जा रहा था, उसने उन्हें परेशान किया.
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राय ने आगे लिखा कि मिताली ने हालांकि महसूस किया कि उनका बहिष्कार अनुचित था और जिस तरह से उन्हें इसके बारे में पता चला वह अपमानजनक था. उन्होंने कहा कि उसे निर्णय के बारे में अंधेरे में रखा गया था और दोनों कप्तानों के टॉस के लिए जाने से ठीक पहले कोच ने उसे सूचित किया था कि हरमनप्रीत कौर कप्तानी करेंगी. इस फैसले में टीम के चयनकर्ता और कोच शामिल थे. बेशक, उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी.