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प्रवासी मजदूरों के लिए मदद को आगे आए मोहम्मद शमी, मजदूरों के बीच बांटें खाना और पानी

भारत के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने अपने घरों को लौट रहे इन प्रवासियों को खाने के पैकेट और मास्क बांटना शुरू किया है .

By Agency | June 2, 2020 2:42 PM

कोरोना वायरस महामारी के बीच प्रवासी मजदूरों की व्यथा से विचलित भारत के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने अपने घरों को लौट रहे इन प्रवासियों को खाने के पैकेट और मास्क बांटना शुरू किया है . उन्होंने उत्तर प्रदेश के साहसपुर में अपने घर के पास गरीब प्रवासी मजदूरों के लिए खान पान वितरण केंद्र बनाये हैं.

बीसीसीआई ने शमी का एक वीडियो पोस्ट किया है जो मास्क और दस्तानें पहनकर बसों में जा रहे लोगों को खाने के पैकेट और मास्क दे रहे हैं. बोर्ड ने लिखा ,‘‘ कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मोहम्मद शमी गरीबों की मदद के लिए आगे आए. उन्होंने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर लोगों को खाने के पैकेट और मास्क बांटे . उन्होंने अपने घर के पास भोजन वितरण केंद्र भी बनाया है.

बीसीसीआई के इस ट्वीट के जवाब में शमी ने भी इसका उत्तर देते हुए लिखा कि शुक्रिया ये तो मेरा फर्ज था. गौरतलब है कि शमी रणजी ट्रॉफी में बंगाल की तरफ से मैच खेलते हैं. और वो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अमरोहा के रहने वाले हैं. एक वी़डियो चैट में शमी ने बताया था कि वो लॉक डाउन में अपने गांव वापस आ चुके हैं. फिलहाल वो अभी अपने घर पर हैं.

पत्नी हसीन के विवाद पर भी की बात

बता दें कि मोहम्मद शमी सोमवार को जो प्रवासी मजदूर अपने घर जा रहे थे उस दौरान वो मजदूरों के लिए मास्क पानी, राशन इत्यादि बांट रहे थे. इस मौके पर उन्होंने हसीन जहां के आरोपों पर भी बात चीत की. जहां उन्होंने कहा कि उनके सारे आरोप बेबुनियाद और झूठे हैं. उन्होंने कहा कि अगर उनके पास कोई पुख्ता साबित हो तो वो उन्हें कोर्ट में साबित करके दिखाएं. शमी ने कहा अब उनका हसीन से कोई मतलब नहीं है. फिलहाल अभी हसीन और शमी का विवाद कोर्ट में चल रहा है.

आपको बता दें कुछ दिनों पहले उनकी पत्नी हसीन जहां ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की थी. जिसमें वो शमी के साथ न्यूड तस्वीर में है. जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनके साथ तस्वीर में शमी ही हैं. इसके कैप्शन में उन्होंने लिखा कि ‘कल तू कुछ नहीं था तो मैं पाक थी, आज तू कुछ बन गया है तो मैं नापाक हो गई. झूठ बुर्का डालकर बेपर्दा सच को मिटा नहीं सकता. मगरमच्छ के आंसू कुछ दिन का ही सहारा होते हैं

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