MS Dhoni: मोहम्मद सिराज को मिली थी क्रिकेट छोड़ ऑटो चलाने की सलाह, एमएस धोनी की वजह से बचा करियर
आईपीएल 2019 में मोहम्मद सिराज ने 9 मैचों में लगभग 10 की इकॉनोमी रेट के साथ सिर्फ सात विकेट लिये थे. उनके खराब प्रदर्शन का खामियाजा उनकी टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर (आरसीरबी) को भी उठाना पड़ा था.
टीम इंडिया के तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज ने एक बड़ा खुलासा किया है. जिसमें उसने बताया कि 2019 में आईपीएल (IPL 2019) के खराब सत्र के दौरान उन्हें क्रिकेट छोड़ने और अपने पिता के साथ ऑटो चलाने के लिए कहा गया था.
क्या है मामला
आईपीएल 2019 में मोहम्मद सिराज ने 9 मैचों में लगभग 10 की इकॉनोमी रेट के साथ सिर्फ सात विकेट लिये थे. उनके खराब प्रदर्शन का खामियाजा उनकी टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर (आरसीरबी) को भी उठाना पड़ा था. उसी सत्र में कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ उन्होंने 2.2 ओवर में पांच छक्कों के साथ 36 रन लुटाये थे और दो बार बीमर गेंद डालने के कारण कप्तान विराट कोहली को उन्हें आक्रमण से हटाने के लिए विवश होना पड़ा. सिराज ने आरसीबी पोडकास्ट से कहा, जब मैंने केकेआर के खिलाफ दो बीमर गेंद फेंके तो लोगों ने कहा क्रिकेट छोड़ो और वापस जाओ और अपने पिता के साथ ऑटो चलाओ.
एमएस धोनी ने सिराज का करियर बचाया
मोहम्मद सिराज ने बताया कि जब उन्हें जमकर ट्रोल किया गया था, उस समय पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की हौसला अफजाई ने उनके करियर को ब्रेक लगने से बचा लिया. जब मैं पहली बार राष्ट्रीय टीम के लिए चुना गया था तो माही भाई ने मुझसे कहा था कि लोग जो कुछ भी कह रहे है उसे नजरअंदाज करना चाहिये. उन्होंने समझाया था, जब आप अच्छा करते हैं, तो वे आपकी प्रशंसा करेंगे और जब बेहतर नहीं करेंगे तो लोग आपके लिए बुरे शब्दों का इस्तेमाल करेंगे. इसलिए ऐसी प्रतिक्रिया को गंभीरता से नहीं लेना चाहिये.
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सिराज ने रचा था इतिहास
आईपीएल 2020 में प्रभावशाली प्रदर्शन के दम पर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया दौरे की टीम में जगह बनायी और पदार्पण के बाद ऐतिहासिक गाबा टेस्ट में शानदार पांच विकेट लेकर टीम में अपनी जगह पक्की की. इस दौरे के शुरू होने के बाद अपने पिता का निधन हो गया था लेकिन कोरोना के दौरान पृथकवास और बायो-बबल की जटिलताओं के कारण उन्होंने स्वदेश लौटने की जगह टीम के साथ बने रहने का फैसला किया.
सिराज ने किया पापा के सपने को पूरा
मोहम्मद सिराज ने बताया, अच्छे प्रदर्शन बाद अगर अखबार में मेरी तस्वीर छपती थी तो मेरे पिता अखबारों से उसे काट कर सहेज कर रखते थे. जब मैं वहां खड़े होकर (टेस्ट पदार्पण पर) राष्ट्रगान गा रहा था तब यही सोच रहा था कि अगर उन्होंने मुझे भारतीय टीम की जर्सी में देखा होता तो उन्हें कितना गर्व होता. उनके शब्द मेरे कानों में हमेशा गूंजते रहते है.