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Ranji Trophy 2022: मध्यप्रदेश की जीत पर आंसू नहीं रोक पाये चंद्रकांत पंडित, 23 साल पहले गंवाया था मौका

कोच चंद्रकांत पंडित ने बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में ही 23 साल पहले रणजी ट्रॉफी का खिताबी मुकाबला गंवाया था लेकिन इस बार वह चैंपियन टीम का हिस्सा बनने में सफल रहे. मुंबई की टीम दूसरी पारी में 269 रन पर सिमट गई. मध्य प्रदेश को 108 रन का लक्ष्य मिला जिसे टीम ने 4 विकेट गंवाकर हासिल कर लिया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 26, 2022 5:12 PM

मध्य प्रदेश ने रविवार को घरेलू क्रिकेट की दिग्गज टीम मुंबई को एकतरफा फाइनल में छह विकेट से हराकर पहली बार रणजी ट्रॉफी खिताब (Ranji Trophy 2022) जीतकर इतिहास रच डाला. 23 साल पहले चंद्रकांत पंडित (Chandrakant Pandit) की कप्तानी में मध्य प्रदेश फाइनल में हार गयी थी, लेकिन उन्हें कोच के रूप में टीम को खिताब दिला दिया. मध्य प्रदेश की जीत के बाद कोच चंद्रकांत भावुक हो गये. खिलाड़ियों ने भी उन्हें सम्मान देते हुए अपने कंधे पर उठाकर मैदान पर घुमाया.

23 साल से मध्य प्रदेश को खिताब दिलाने के लिए तपस्या कर रहे थे चंद्रकांत पंडित

कोच चंद्रकांत पंडित ने बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में ही 23 साल पहले रणजी ट्रॉफी का खिताबी मुकाबला गंवाया था लेकिन इस बार वह चैंपियन टीम का हिस्सा बनने में सफल रहे. अंतिम दिन मुंबई की टीम दूसरी पारी में 269 रन पर सिमट गई जिससे मध्य प्रदेश को 108 रन का लक्ष्य मिला जिसे टीम ने चार विकेट गंवाकर हासिल कर लिया.

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आंसू नहीं रोक पाये चंद्रकांत पंडित

मध्य प्रदेश की ओर से रजत पाटीदार ने जैसे ही विजयी रन बनाया, वैसे ही मैदान के बाहर बैठे कोच चंद्रकांत दौड़कर मैदान के अंदर घुस गये और क्रीज के पास पहुंचकर जश्न मनाना शुरू कर दिया. पंडित की आंखों में खुशी के आंसू थे. पंडित को इससे पहले इतना भावुक कभी नहीं देखा गया था. कोई खिलाड़ी अगर उनके सामने भावुक होता था, तो कहा करते थे, मैदान पर आंसू नहीं, पसीना बहाने की जरूरत होती है. लेकिन यह क्षण कुछ ऐसा था कि वो अपने को रोक नहीं पाये.

सरफराज खान की बेहतरीन पारी के बावजूद मुंबई को मिली हार

सरफराज खान की बेहतरीन पारी के बावजूद मुंबई को हार मिली. सत्र में 1000 रन बनाने से सिर्फ 18 रन दूर रहे सरफराज खान (45) और युवा सुवेद पार्कर (51) ने मुंबई को हार से बचाने का प्रयास किया लेकिन कुमार कार्तिकेय (98 रन पर चार विकेट) की अगुआई में गेंदबाजों ने मध्य प्रदेश की जीत सुनिश्चित की.

कोच के रूप में पंडित ने बनाया रिकॉर्ड

कोच के रूप में पंडित का यह रिकॉर्ड छठा राष्ट्रीय खिताब है. इस जीत से पंडित की पुरानी यादें ताजा हो गई जब 1999 में इसी चिन्नास्वामी स्टेडियम में उनकी अगुआई वाली मध्य प्रदेश की टीम ने पहली पारी में बढ़त के बावजूद फाइनल गंवा दिया था और पंडित के करियर का अंत निराशा के साथ हुआ. पंडित के मार्गदर्शन में विदर्भ ने भी चार ट्रॉफी (लगातार दो रणजी और ईरानी कप खिताब) जीती जबकि उसके पास कोई सुपरस्टार नहीं थे.

गुमनाम खिलाड़ियों ने मध्य प्रदेश को बनाया चैंपियन

मध्य प्रदेश ने एक बार फिर साबित किया कि रणजी ट्रॉफी खिताब जीतने लिए आपकी टीम में सुपर स्टार या भारतीय टीम में जगह बनाने के दावेदार होना जरूरी नहीं है. मध्य प्रदेश की टीम अपने दो महत्वपूर्ण खिलाड़ियों आवेश खान और वेंकटेश अय्यर के बिना खेल रही थी लेकिन मुंबई पर भारी पर पड़ी.

मध्य प्रदेश की टीम ने दिये कई स्टार क्रिकेटर

रणजी ट्रॉफी जब शुरू हुई तो मध्य प्रदेश की टीम बनी भी नहीं थी और तब ब्रिटिश युग के राज्य होलकर ने देश के कई दिग्गज क्रिकेटर दिए जिसमें करिश्माई मुशताक अली और भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान सीके नायुडू भी शामिल रहे. होलकर 1950 के दशक तक मजबूत टीम थी जिसे बाद में मध्य भारत और फिर मध्य प्रदेश नाम दिया गया. मध्य प्रदेश ने इसके बाद कई अच्छे क्रिकेटर तैयार किए जिसमें स्पिनर नरेंद्र हिरवानी और राजेश चौहान भी शामिल रहे जिनका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट छोटा लेकिन प्रभावी रहा. अमय खुरसिया ने भी काफी सफलता हासिल की. मध्यक्रम के बल्लेबाज देवेंद्र बुंदेला दुर्भाग्यशाली रहे क्योंकि वह 1990 और 2000 के दशक में उस समय खेले जब मध्य क्रम में सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज खेल रहे थे.

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