Dhoni Birthday Special: रांची से अंतरराष्ट्रीय फलक पर छा जाने की ‘थाला द ग्रेट’ की कहानी…
MS Dhoni News: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आज अपना 42वां जन्मदिन मना रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों के दिलों पर राज कर रहे धोनी को लोग ‘थाला’ के नाम से भी जानते हैं.
Mahendra Singh Dhoni Birthday: भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी आज 42 साल के हो गये. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों के दिलों पर राज कर रहे धोनी को लोग ‘थाला’ के नाम से भी जानते हैं. थाला एक तमिल शब्द हैं, जिसका मतलब होता है ‘लीडर’. दरअसल, धोनी आज एक संस्थान बन चुके हैं, जो लीडरशिप के नये मापदंड गढ़ रहे हैं.
संघर्ष
महेंद्र सिंह धोनी ने अपना पहला वनडे मुकाबला बांग्लादेश के खिलाफ खेला था. माही 23 दिसंबर 2004 को खेले गये इस मैच में नाकाम रहे थे. खास बात यह कि पहली ही गेंद पर शून्य पर रनआउट हो गये.
जुनून
दिसंबर 2006 में धोनी अपना पहला टी-20 मुकाबला खेलने उतरे थे, मुकाबला दक्षिण अफ्रीका से था.
धोनी दूसरी गेंद पर ही बिना खाता खोले आउट हो गये. फिर 2007 में इस माही ने अपनी कप्तानी में भारत को टी-20 का चैंपियन बनाया.
सफलता
माही के नाम पर टी-20 वर्ल्ड कप 2007, वनडे वर्ल्ड कप 2011 व आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी दर्ज हैं.
खास बात कि ऐसा करने वाले वे विश्व के पहले कप्तान हैं. टी-20 वर्ल्ड कप जीतने वाले भारत के एकमात्र कप्तान भी.
चेन्नई सुपरकिंग्स को पांच बार बना चुके हैं आइपीएल चैंपियन.
खड़गपुर में है धोनी म्यूजियम : जहां लिखा है माही का मूल वेतन, पहचान चिह्न भी है इंगित
वर्ष 2001 में धोनी की टिकट कलेक्टर की नौकरी लगी. उनकी पहली पोस्टिंग खड़गपुर में हुई. दिनभर काम के बाद वह क्रिकेट का अभ्यास भी करते थे. खड़गपुर के गोलखुली में एक क्लब था दुर्गा स्पोर्टिंग. धोनी उस क्लब की ओर से टेनिस बॉल क्रिकेट खेलते थे. उनके साथ तीन खिलाड़ी और भी थे. रेलवे में धोनी के साथी खिलाड़ी सत्यप्रकाश ने बताया कि तब धौनी उन्हीं (सत्यप्रकाश) के साथ एक ही कमरे में रहते थे. अब उस कमरे को ‘म्यूजियम’ में बदल दिया गया है. कमरे के मुख्यद्वार के ऊपर धोनी की ‘सेवा के विवरण’ की एक फोटोकॉपी लगायी गयी है. धोनी की उंगलियों के निशान हैं. यह भी लिखा है कि धोनी का मूल वेतन 3050 रुपये था. साथ ही उनकी पहली नियुक्ति की तारीख 14.07.2001 भी अंकित है, उनकी शैक्षणिक योग्यता एचएस है और उनका एक पहचान चिह्न ‘बायीं आंख के नीचे एक तिल’ है.
धोनी को डेडिकेटेड है वानखेड़े की सीट
मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में वर्ष 2011 वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में माही ने जहां विनिंग छक्का लगाया था, उस जगह को घेर दिया गया है. ऐसा मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने धोनी को सम्मानित करने के लिए किया है. अब वहां धौनी के नाम पर सीट बना दी गयी है.
रांची में प्रस्तावित था धोनी का मंदिर, परिजनों ने ही किया विरोध
दिसंबर 2008 की बात है. तब धोनी फैन क्लब ने रांची में टीम इंडिया को टी-20 विश्व कप दिलानेवाले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का मंदिर बनवाने का निर्णय लिया. इसके लिए हटिया-खूंटी रोड पर जमीन भी चिन्हित कर ली गयी थी. 14 जनवरी 2009 से मंदिर का निर्माण शुरू होनेवाला था, लेकिन अचानक धोनी के परिजनों ने मंदिर बनवाने की इजाजत नहीं दी और यह मामला लटक गया.
इस बारे में धोनी फैन क्लब के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने बताया कि धोनी ने भारतीय क्रिकेट को बहुत कुछ दिया है. वह हमारे (देशवासियों) लिए भगवान की तरह हैं. जिस तरह दक्षिण भारत में फिल्मी सितारों के मंदिर हैं, उसी तर्ज पर हमने भी रांची में कप्तान धोनी का मंदिर बनवाने का प्रस्ताव रखा. मंदिर की दीवारों पर माही की तस्वीरें भी लगायी जानी थी. इसी बीच धोनी के परिजनों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि जिंदा व्यक्ति का मंदिर बनवाना ठीक नहीं है.
ये हैं महेंद्र सिंह धोनी के दीवाने
जब मैं पांचवीं क्लास में थी, तब से महेंद्र सिंह धोनी को लेकर क्रेजी रही हूं. उनकी नेतृत्व क्षमता और उनका शांत स्वभाव प्रेरित करता है. विपरीत परिस्थितियों में उनका शांत रहना बहुत कुछ सिखाता है. मैं क्रिकेट धौनी के कारण ही देखती हूं.
-शिवानी वर्मा
मैं धोनी को 2005 से फॉलो कर रही हूं. अपना मोटिवेटर मानती हूं. 2018 में उनकी पेंटिंग बनायी और पेंटिंग के साथ स्टेडियम मिलने पहुंच गयी. उस वक्त धौनी ने मुझे ऑटोग्राफ दिये और पेंटिंग की तारीफ की. तस्वीर बनाकर जल्द मुलाकात करूंगी.
-सुरुचि श्रीवास्तव, धुर्वा
महेंद्र सिंह धोनी के व्यक्तिगत विचार और फैसला से मेरे जीवन में बहुत बदलाव आया है. उनसे जीवन में अपने प्रति ईमानदार रहना, व्यावहारिक रहना और जीवन में जोखिम लेना सीखा है. साथ ही खुद के जीवन को गणना करना भी सिखाया है. धोनी से सभी को बराबर महत्व देना भी सीखा है.
-दिवाकर आनंद, पहाड़ी मंदिर रोड
यह कहानी छत्तीसगढ़ के आदेश सोनी की है. 2021 में धोनी से मिलने के लिए 2021 में रांची पहुंचे और 160 दिन यहीं रुके रहे. वह कहते हैं कि 2007 से धौनी को फॉलो कर रहा हूं. उनकी समझदारी और संयम काफी अच्छा लगता है. इन्हीं चीजों को अपने जीवन में भी उतार रहा हूं. धौनी मेरे पहले गुरु हैं, जिन्होंने जीवन जीने को आसान बनाया.
तुपुदाना के सौरभ सिंह ने कहा कि धोनी जब ग्राउंड पर खेल रहे होते हैं, तो विपरीत टीम के खिलाड़ी भी उनके फैन बन जाते हैं. एक बार धौनी से मिलने का मौका मिला है. मैं सीएसके की जर्सी में था. उन्होंने कार रोकी और तस्वीरें खिंचवाई. सीएसके की जर्सी पर ऑटोग्राफ भी दिये. उन्हें अगले आइपीएल में भी खेलते देखना है.
-सौरभ सिंह, तुपुदाना
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