21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

BCCI के नये अध्यक्ष रोजर बिन्नी को कहा जाता है ‘अजातशत्रु’, जानें क्यों

टीम इंडिया के नये अध्यक्ष रोजन बिन्नी ने सौरव गांगुली की जगह ले ली है. बिन्नी को अजातशत्रु के नाम से जाना जाता है. इसका कारण है कि उनकी सबसे बनती थी. चाहे टीम की बात करें या बाकी खिलाड़ियों की रोजर का कभी किसी से भी मतभेद नहीं रहा. रोजर बीसीसीआई के 36वें अध्यक्ष बने हैं.

भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने अगर 1980 के दशक में अपने वार्षिक पुरस्कारों में ‘जेंटलमैन क्रिकेटर’ का खिताब रखा होता तो रोजर माइकल हम्फ्री बिन्नी कई सत्रों तक इसे जीतने के बड़े दावेदार होते. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के 36वें अध्यक्ष को एक शब्द में ‘अजातशत्रु’ कहा जाता है, जिसका क्रिकेट की दुनिया में किसे से मतभेद नहीं रहा है. क्रिकेट मैदान पर किये गये प्रदर्शन और आंकड़े को पैमाना माने तो बिन्नी अपने पूर्ववर्ती सौरव गांगुली के सामने कही नहीं ठहरते लेकिन रिश्तों को संजोकर रखना उन्हें अच्छी तरह आता है.

रोजन बिन्नी से बेहतर विकल्प नहीं

सौरव गांगुली के बाद बीसीसीआई के पास एक खिलाड़ी प्रशासक के रूप में बिन्नी से बेहतर विकल्प शायद ही कोई और होता. वह भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सबसे मेहनती, ईमानदार क्रिकेटरों में से एक रहे हैं. इस खेल के साथ अपने साढ़े चार दशक के जुड़ाव के दौरान बिन्नी ने केवल दोस्त ही बनाये हैं. राज्य स्तर की टीम में गुंडप्पा विश्वनाथ, इरापल्ली प्रसन्ना, सैयद किरमानी, बृजेश पटेल जैसे सितारों से सजी कर्नाटक की टीम में सब के साथ उनके रिश्ते सामान्य रहे थे. वह 1980 के दशक की भारतीय टीम के बेहद लोकप्रिय सदस्य थे.

Also Read: BCCI President: रोजर बिन्नी बनें बीसीसीआई के नये अध्यक्ष, सौरव गांगुली की जगह संभालेंगे पद
1984 वर्ल्ड कप के हीरो थे बिन्नी

उनकी और मदन लाल की जोड़ी ने सात-आठ वर्षों तक कपिल देव के सहायक की भूमिका निभायी थी. भारतीय टीम को 1983 में विश्व चैंपियन बनाने में बिन्नी का योगदान कपिल देव, संदीप पाटिल और यशपाल शर्मा जैसे क्रिकेट क्रिकेटरों से कम नहीं था. बिन्नी से कम उपलब्धियां हासिल करने वाले उस टीम के क्रिकेटर स्टारडम के मामले में किसी से कम नहीं थे. उस विश्व कप की टीम में बिन्नी कितने चहेते थे, उसका जिक्र सुनील वालसन ने पीटीआई-भाषा से एक बातचीत में साझा किया था.

गावस्कर ने बिन्नी के लिए कही यह बात

गावस्कर ने कहा था, ‘विश्व कप के दौरान रोजर को चोट लग गयी थी और मुझे उनकी जगह एक मैच में खेलना था. मैच वाले दिन एक फिटनेस टेस्ट था और जिस तरह से रोजर ने दौड़ लगायी, मुझे पता था कि वह खेलेंगे.’ विश्व कप टीम से अंतिम एकादश में जगह बनाने में नाकाम रहने वाले इस इकलौते खिलाड़ी ने कहा, ‘मुझे हालांकि खुद के लिए बुरा लगा, लेकिन आप रोजर के लिए बुरा महसूस नहीं कर सकते थे. वह टीम के सबसे चहेते इंसान थे.’ उन्होंने 1986 में हेडिंग्ले में इंग्लैंड के खिलाफ खेले गये टेस्ट में सात विकेट लेकर यह साबित किया था कि अगर परिस्थितियां अनुकूल हो तो वह किसी दूसरे गेंदबाज से कम नहीं.

Also Read: बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के बाद रोजर बिन्नी ने बताया फ्यूचर प्लान, इन दो क्षेत्रों में करना चाहते हैं काम
जुड़ी हैं पुरानी यादें

इस टेस्ट को हालांकि दिलीप वेंगसरकर के शतक के लिए याद किया जाता है. भारतीय टीम के लिए निचले क्रम पर बल्लेबाजी करने वाले बिन्नी ने कर्नाटक के लिए कई बार पारी का आगाज किया था. उन्होंने 1977-78 में केरल के खिलाफ पारी का आगाज करते हुए संजय देसाई के साथ 451 रन की साझेदारी की थी, जो लंबे समय तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट का रिकॉर्ड रहा था. वह एक विशेषज्ञ सलामी बल्लेबाज थे, जिन्हें टेस्ट मैचों में बल्लेबाजी के लिए नंबर आठ या कभी-कभी नौवें पर भी आना पड़ता था क्योंकि सुनील गावस्कर, अंशुमन गायकवाड़, दिलीप वेंगसरकर, मोहिंदर अमरनाथ, कपिल देव और रवि शास्त्री जैसे खिलाड़ियों की मौजूदगी में शीर्ष छह में जगह बनाना मुश्किल था.

बिन्नी ने लंबे समय तक खेला रणजी क्रिकेट

एक प्रभावी स्विंग गेंदबाज होने के बावजूद, बिन्नी का टेस्ट करियर कभी आगे नहीं बढ़ा. उन्होंने 27 टेस्ट में केवल 47 विकेट झटके जो उनकी प्रतिभा को नहीं दर्शाता है. गेंदबाजी में गति में कमी के कारण वह भारतीय पिचों पर प्रभावी नहीं रहे और उनका टेस्ट करियर गावस्कर के साथ ही खत्म हुआ. सुनील गावस्कर का आखिरी टेस्ट बिन्नी भी आखिरी टेस्ट साबित हुआ. उन्होंने हालांकि पाकिस्तान के खिलाफ इस श्रृंखला के एक मैच में ईडन गार्डन में पारी में 56 रन देकर छह विकेट झटके. यह उनके टेस्ट करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बना. भारतीय टीम से बाहर होने के बाद बिन्नी ने लंबे समय तक रणजी क्रिकेट खेलना जारी रखा. उनकी कप्तानी में राहुल द्रविड़, जवागल श्रीनाथ, अनिल कुंबले औ वेंकटेश प्रसाद जैसे क्रिकेटरों ने पहचान बनाना शुरू किया.

अंडर 19 टीम के कोच भी रहे बिन्नी

बिन्नी बाद में भारत की अंडर-19 टीम के कोच बने. उनकी देखरेख में टीम ने साल 2000 में मोहम्मद कैफ, रितिंदर सिंह सोढ़ी, युवराज सिंह जैसे खिलाड़ियों की मौजूदगी में विश्व कप का खिताब जीता. बिन्नी अतीत में संदीप पाटिल की अध्यक्षता वाली सीनियर चयन समिति के सदस्य रह चुके हैं. वह 2012 में राष्ट्रीय चयनकर्ता बने लेकिन लोढ़ा समिति के ‘हितों के टकराव’ का मुद्दा उठने के बाद उन्होंने कार्यकाल के तीसरे साल में अपना पद छोड़ दिया. इसका कारण उनका बेटा स्टुअर्ट है, जो खुद राष्ट्रीय स्तर के हरफनमौला खिलाड़ी रहे हैं. सुनील गावस्कर ने अपने एक कॉलम में लिखा था कि उन्होंने इस बारे में पता किया तो मालूम हुआ कि जब भी भारतीय टीम में चयन के लिए स्टुअर्ट के नाम पर चर्चा होती थी तो रोजर खुद को इससे अलग कर लेते थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें