नई दिल्ली/लंदन : 25 जून का दिन भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. आज का ये दिन भारत के दो महत्वपूर्ण घटनाक्रम के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. पहला तो यह आज से करीब 47 साल पहले 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी के इशारे पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने भारत में आपातकाल लागू करने का ऐलान किया था. दूसरा यह कि 25 जून 1983 को ही पूर्व क्रिकेटर कपिल देव की कप्तानी में भारत ने लॉर्ड्स के मैदान में अपने खेल का दम दिखाते हुए विश्व कप का पहला खिताब अपने नाम किया था. हम बात करने जा रहे हैं उस सुनहरे इतिहास की जब कपिल देव के नेतृत्व में भारत ने पहला विश्व कप जीता था.
25 जून 1983 को पूर्व क्रिकेटर भारतीय क्रिकेट टीम ने इंग्लैंड की राजधानी लंदन स्थित लॉर्ड्स के मैदान में वेस्टइंडीज की सभी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए इतिहास रचते हुए विश्व कप का पहला खिताब अपने नाम किया. फाइनल में प्रवेश करते हुए भारत ने 1975 और 1979 में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद क्रिकेट मार्की इवेंट में अपने प्रभावशाली प्रदर्शन से क्रिकेट जगत को चौंका दिया, जिसमें वे ग्रुप चरणों से आगे नहीं बढ़ सके. वे चार जीत और दो हार के साथ अपने समूह में दूसरे स्थान पर रहे. भारत ने जिम्बाब्वे, वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया पर जीत हासिल की. उसने सेमीफाइनल में इंग्लैंड को भी छह विकेट से हराया था. भारत ‘जाइंट किलर’ मोड में था, जिसने फाइनल में पहुंचने कामयाबी हासिल की.
जिम्बाब्वे के खिलाफ हुए अगले मुकाबले में भारत की शुरुआत निराशाजनक रही थी. महज 9 रन पर टीम इंडिया ने चार विकेट खो दिए थे. इसके बाद बल्लेबाजी करने आए कप्तान कपिल देव ने 175 रनों की ऐतिहासिक पारी खेल मैच को पलट दिया था. उस समय यह किसी बल्लेबाज द्वारा एक पारी में बनाए गए सर्वाधिक रन थी. भारत ने यह मैच 31 रनों से जीता. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया को टीम इंडिया ने 118 रनों से हराकर सेमीफाइन में प्रवेश किया.
दो बार की चैंपियन वेस्टइंडीज को 43 रनों से धूल चटाकर भारत ने 1983 विश्व कप का आगाज जोरदार अंदाज में किया था. यशपाल शर्मा इस मैच में टीम इंडिया के हीरो रहे थे. उन्होंने 89 रनों की पारी खेल टीम की जीत में अहम योगदान दिया था. इसके बाद टीम इंडिया ने जिम्बाब्वे के दूसरे मुकाबले में 5 विकेट से धूल चटाकर हर किसी को चौंका दिया था. बतौर अंडरडॉग विश्व कप में पहुंची इस टीम को ऐसा धाकड़ प्रदर्शन करता देख हर कोई हैरान था.
सेमीफाइनल में भारतीय खिलाड़ियों का मुकाबला इंग्लैंड से हुआ, जहां ऑलराउंड परफॉर्मेंस के दम पर भारत ने 6 विकेट से जीत दर्ज कर फाइनल में प्रवेश किया. अब भारत खिताब से महज एक कदम दूर था, मगर भारतीय टीम के सामने वेस्टइंडीज की कठिन चुनौती थी. वेस्टइंडीज 1975 और 1979 विश्व कप में एक भी मैच नहीं हारा था और 1983 में भी भारत के अलावा किसी टीम ने उन्हें धूल नहीं चटाई थी.
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25 जून को खेले गए फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम पहले बल्लेबाजी करते हुए 183 रनों पर ही ढेर हो गई. वेस्टइंडीज की धाकड़ बल्लेबाजी के सामने गेंदबाज पहले ही हार मान चुके थे, मगर कपिल देव ने खिलाड़ियों में जोश जगाकर जीत की ओर बढ़ने का रास्ता दिखाया और फिर वो हुआ जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. भारत ने वेस्टइंडीज को फाइनल में 140 रनों पर ढेर कर खिताब अपने नाम किया. 1983 का यह पल आज भी क्रिकेट प्रेमियों के रौंगटे खड़े कर देता है.