आज से ठीक 7 साल पहले यानी आज ही के दिन मुंबई इंडियंस ने पहली बार आईपीएल फाइनल जीत कर इतिहास रच दिया था. उस वक्त टीम की कमान रोहित शर्मा के हाथों में थी. और यह मुकाबला कोलकाता के एतिहासिक मैदान ईडेन गार्डन में खेला जा रहा था. तो दूसरी तरफ एक ऐसी टीम थी जो इससे पहले 2 बार चैंपियन बन चुकी थी. दरअसल हम चेन्नई सुपर किंग्स की ही बात कर रहे हैं. उस मैच में रोहित शर्मा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसता किया लेकिन उनका ये फैसला गलत साबित हुआ और उनके सलामी बल्लेबाज ड्वेन स्मिथ 4 और कप्तान रोहित शर्मा 2 रन बना कर पवेलियन लौट गए.
उसके बाद आए बल्लेबाज दिनेश कार्तिक और अंबाती रायडू ने पारी को भरपूर संभालने की कोशिश की लेकिन तेजी से रन बनाने के चक्कर में दिनेश कार्तिक अपना विकेट गंवा बैठे. उसके बाद आए बल्लेबाजी के लिए किरोन पोलार्ड. रायडू और पोलार्ड ने मिलकर पारी को संभाला. लेकिन उसी दौरान रायडू 36 गेंदों पर 37 रन बनाकर अपना विकेट गंवा बैठे. लेकिन पोलार्ड उस दिन मुंबई के तारणहार बन बैठे और 32 गेंदों पर 60 रन की तूफानी पारी खेली. जिसमें 7 चौके और 3 छक्के शामिल थे. पोलार्ड के इस पारी की बदौलत मुंबई इंडियंस 148 रनों पर पहुंच गया.
जवाबी पारी खेलने उतरी चेन्नई की पारी भी खराब रही और उनके सलामी बल्लेबाज माइक हस्सी को मलिंगा ने बोल्ड कर दिया. अब पारी संभालने की बारी थी चेन्नई के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज सुरेश रैना की. लेकिन वो अपनी पहली ही गेंद पर आउट हो गए. उसके बाद तो चेन्नई के बल्लेबाज ताश के पत्तों की तरह बिखरना शुरू हो गए. और एक समय ऐसा आया कि उनके 6 बल्लेबाज मात्र 39 रन के स्कोर पर अपना विकेट गंवा दिए थे. उनके ऑल राउंडर रवींद्र जडेजा और ब्रावो भी सस्ते में निपट गए.
लेकिन तब क्रीज पर कदम रखा दुनिया के महान फिनिशर कहे जाने वाले महेंद्र सिंह धौनी ने . वो चेन्नई के पुछले बल्लेबाजों के साथ मिल टीम को संभालने की कोशिश करने लगे. लेकिन दूसरे छोर से उन्हें किसी और का साथ नहीं मिला और टीम के 8 विकेट सिर्फ 58 रन पर गिर गए. आखिरी के वक्त में तबाड़तोड़ प्रहार करने वाले उनके ऑल राउंडर एल्बी मॉर्कल और क्रिस मॉरिस भी धौनी का साथ नहीं दे पाए. एक समय तो ऐसा लग रहा था कि चेन्नई की टीम 100 रन भी नहीं बना सकेगी. लेकिन अभी भी क्रीज पर धौनी मौजूद थे और अनहोनी को होनी में बदलने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे थे. जीत की मंजिल तक पहुंचने के लिए अंतिम के ओवर में वो ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करने लगे.
और अपने हार्ड हीटिंग के शानदार नमूना पेश किया. लेकिन दूसरे छोर से उन्हें किसी का साथ नहीं मिला और पूरी टीम 125 रन बना कर ऑल आउट हो गयी. आम तौर पर अपने सही निर्णय के लिए पहचाने जाने वाले धौनी ने एक गलत फैसला ले लिया था. वो गलत फैसला था खुद को 7 नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतारना. उस मैच में धौनी को पहले उतरने की जरूरत थी. लेकिन वो अपने से भी पहले जडेजा और ब्रावो को उतारा. इस फैसले के बाद जब टीम के ऊपर सवाल उठने लगे तो टीम के कोच फ्लेमिंग ने इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा था कि धौनी बहुत बार 7 वें स्थान पर उतरकर टीम को जीत दिला चुके हैं इसलिए वो 7 वें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आए.