One Year of Lockdown: पिछले वर्ष भारत में जैसे ही कोरोना ने दस्तक दिया, खेलों के आयोजन बंद होने लगे. खासकर आउटडोर गेम करना मुश्किल हो गया था. फिर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में 24 मार्च, 2020 को पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की, तो पूरा खेल ही ठप पड़ गया. ओलिंपिक सहित बड़े टूर्नामेंट टल गये. दुनिया में कहीं भी खेल गतिविधियां नहीं चली. खिलाड़ी हॉस्टल के अपने कमरों या घरों तक सीमित रहे.
यहां तक कि उन्हें अभ्यास का मौका भी नहीं मिला. उम्मीद ही नहीं थी कि कोरोना के बीच खेल शुरू हो सकेगा. पर, अब फिर से खेल पटरी पर लौटने लगे हैं. हालांकि कोविड-19 ने भारतीय खेलों की दुनिया भी बदल दी है. दर्शकों के बिना मैचों के आयोजन हो रहे हैं,अभ्यास की बदली परिस्थितियां तथा जैव सुरक्षित वातावरण यानी बायो बबल पिछले एक साल में खेलों के अंग बन गये हैं.
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दर्शकों की स्टेडियम में इंट्री पर रोक
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खिलाड़ी एक-दूसरे से हाथ नहीं मिला सकते हैं
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खेल के दौरान गेंद पर लार नहीं लगायी जा सकती
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बिना सैनिटाइज किये कुछ भी नहीं छू सकते हैं
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अनजान खिलाड़ियों से दूरी बना कर रहना है
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खेल शुरू होने तक बार-बार कोरोना टेस्ट कराना है
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कोरेंटिन के बाद ही नये िखलाड़ी टीम के साथ जुड़ सकते हैं
भारतीय आउटडोर खेल की क्रिकेट ने सबसे पहले शुरुआत की. आइपीएल से आउटडोर खेलों का आगाज हुआ, लेकिन यह टूर्नामेंट यूएइ में कड़े जैव सुरक्षित वातावरण में खेला गया. आइपीएल शुरू होने से पहले कोविड-19 के कुछ मामले सामने आ गये, लेकिन जब टूर्नामेंट शुरू हुआ, तो फिर इसका सफलतापूर्वक समापन भी हुआ और इससे यह पता चल गया कि महामारी के बीच बड़ी प्रतियोगिताओं का आयोजन कैसे करना है.
कोरोना के कारण क्रिकेट जगत में पिछले एक साल काफी बदलाव देखा गया. मैच के पहले खिलाड़ियों को कई नियमों का पालन करना पड़ रहा है. इन्ही नियमों में से एक है बॉयोबबल. बॉयोबबल यानी जैविक सुरक्षित वातावरण का पालन करना, वे टूर्नामेंट तक इससे बाहर नहीं निकल सकते हैं. टूर्नामेंट शुरू होने से पहले खिलाड़ियों को कोरेंटिन में रहना पड़ा रहा है, तभी एक-दूसरे के साथ रहने की इजाजत मिल रही है
Posted by : Rajat Kumar