BCCI के आगे झुका पाकिस्तान, PCB के भावी अध्यक्ष जका अशरफ ने लिया यूटर्न, कहा – हाइब्रिड मॉडल स्वीकार
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के भावी अध्यक्ष जका अशरफ ने एशिया कप 2023 की मेजबानी पर यूटर्न ले लिया है. उन्होंने अब कहा है कि उन्हें हाईब्रिड मॉडल स्वीकार है. एक दिन पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में अशरफ ने कहा था कि उन्हें हाईब्रिड मॉडल स्वीकार नहीं है.
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के भावी अध्यक्ष जका अशरफ ने एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) की औपचारिक स्वीकृति के बावजूद एशिया कप के हाइब्रिड मॉडल को खारिज करने के 24 घंटे से भीतर ‘यूटर्न’ लेते हुए चार मैचों की मेजबानी स्वीकार कर ली है. हाइब्रिड मॉडल के तहत एशिया कप 2023 की सह मेजबानी पाकिस्तान और श्रीलंका करेंगे. भारत अपने सभी मैच श्रीलंका में खेलेगा जिसमें चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ दो मैच भी शामिल हैं.
नजम सेठी ने पेश किया था हाईब्रिड मॉडल
हाईब्रिड मॉडल पीसीबी के मौजूदा अध्यक्ष नजम सेठी ने पेश किया था. 27 जून को पीसीबी की कमान संभालने जा रहे अशरफ ने हालांकि प्रेस कांफ्रेंस में इसे खारिज कर दिया था. पता चला है कि अशरफ को नहीं पता था कि पीसीबी के मौजूदा प्रमुख सेठी पहले ही ‘हाइब्रिड मॉडल’ पर हस्ताक्षर कर चुके हैं और इसे भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के सचिव जय शाह की अध्यक्षता वाले एसीसी के कार्यकारी बोर्ड से स्वीकृति मिल चुकी है और इस फैसले को बदला नहीं जा सकता.
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अशरफ ने डाला अडंगा तो भुगतेगा पाकिस्तान
अशरफ अगर बिना पूर्ण जानकारी से अड़ंगा डालने का प्रयास करते तो पीसीबी को सजा का सामना करना पड़ सकता था. ‘ईएसपीएनक्रिकइंफो’ ने अशरफ के हवाले से कहा कि मेरी व्यक्तिगत राय में यह पूरा हाइब्रिड मॉडल पाकिस्तान के लिए फायदेमंद नहीं है और मुझे यह पसंद नहीं आया. उन्होंने कहा कि एक मेजबान होने के नाते पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करने के लिए बेहतर बातचीत करनी चाहिए थी कि पूरा टूर्नामेंट पाकिस्तान में खेला जाना चाहिए.
अशरफ को इस बात का है मलाल
उन्होंने कहा कि श्रीलंका ने बड़े मैच ले लिए, पाकिस्तान के लिए केवल चार मैचों को छोड़ दिया, यह हमारे देश के सर्वोत्तम हित में नहीं है. इसके बाद अशरफ ने स्वीकार किया कि उन्हें पूरी जानकारी नहीं थी और उन्होंने पूरी तरह से यूटर्न ले लिया. उन्होंने कहा कि लेकिन मैं देख रहा हूं कि निर्णय लिया जा चुका है इसलिए हमें इसके साथ जाना होगा. मैं इसे नहीं रोकूंगा या फैसले का पालन नहीं करने का कोई इरादा नहीं है. मैं इसके बारे में प्रतिबद्धता का सम्मान करने के अलावा बहुत कुछ नहीं कर सकता. लेकिन भविष्य में हम जो निर्णय लेंगे वह देश के लिए और देश के हित में होगा.