कुछ दिनों पहले युवराज सिंह ने महेंद्र सिंह धौनी के बारे में बयान दिया था कि धौनी के फेवरेट क्रिकेटर मैं नहीं बल्कि सुरेश रैना थे. वो रैना को काफी सपोर्ट करते थे. अब इस बयान का जवाब देते हुए रैना ने कहा है कि धौनी ने मुझे बहुत सपोर्ट किया. क्योंकि वो जानते थे कि मुझमें प्रतिभा है. रैना ने बताया कि कैसे वो उनके खराब दौर में वो समर्थन में थे.
उन्होंने कहा कि वो मेरे खराब फॉर्म के समय सावधान करने आते थे तब मैं उन्हें भरोसा दिलाता था कि मैं आगे वो गलती नहीं दोबारा नहीं करूंगा और अपने प्रदर्शन में सुधार करूंगा. और मैं उनके भरोसे पर खरा भी उतरा हूं चाहे वो टीम इंडिया से खेलते वक्त की बात हो या फिर चेन्नई सुपर किंग्स की तरफ से खेलने की बात. धौनी की सबसे अच्छी बात है कि वो आपको हर दो मैच के बाद बताने आएंगे और कहेंगे कि यदि आप अगले 2 मैचों में स्कोर नहीं करेंगे तो मजबूरन मुझे बड़ा कदम उठाना होगा. तब मैं उनसे कहता था कि आप मुझे 2 मौके दे दो मैं दोबारा गलती नहीं करूंगा.
इसके साथ ही रैना मध्यक्रम के बल्लेबाजों की चुनौतियों के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि मध्यक्रम में बल्लेबाजी करते समय आपके पास काफी चुनौतियां आती हैं. क्योंकि उन्हें मैच में अलग अलग परिस्थितियों में बल्लेबाजी करनी होती है. रैना भारत की तरफ से खेलते वक्त ज्यादातर नंबर 5 या 6 पर बल्लेबाजी किए हैं. कभी वो टीम की जरूरत के हिसाब से नंबर 4 पर भी बल्लेबाजी करने उतरे हैं. उन्होंने मिडिल ऑर्डर की चुनौतियों के बारे में बात करते हुए आगे कहा कि कभी कभी आपके पास खेलने के 10 से 15 ओवर ही होते हैं तो कभी 30 ओवर भी आपके पास बचे होते हैं जिसमें आपको काफी संभल के बल्लेबाजी करनी होती है.
हमारी परिस्थितियां बदलती रहती है कि हम किस प्रकार से गेम को आगे बढ़ाएं. हमें इसके लिए बार बार प्लानिंग भी बदलनी पड़ती है. साथ ही हमें गेंदबाजी करनी होती है और 2 से 3 विकेट निकालने भी पड़ते हैं. और हमें 15 से 20 रन का बचाव भी करना पड़ता है.
उन्होंने सौरव गांगुली के बाद सबसे महानतम कप्तान धौनी को ही करार दिया है. वो कहते हैं मैं धौनी का शुक्र गुजार हूं कि उन्होंने हमेशा मेरा समर्थन किया है जिससे वो आगे बढ़ने में सफल रहे. उन्होंने आगे कहा कि मैं खुश किस्मत हूं कि मुझे 2011 के विश्व कप में खेलने मौका मिला. और मैंने वहां पर परफ़ॉर्म भी करके दिखाया.