Sachin Tendulkar: मां ने स्टेडियम में कभी मैच नहीं देखा था, लेकिन उस दिन…, सचिन तेंदुलकर ने किया बड़ा खुलासा

Sachin Tendulkar: मुंबई में वानखेड़े स्टेडियम के 50 वर्ष होने के अवसर पर एक भव्य आयोजन किया गया. इस मौके पर सचिन ने 2011 विश्वकप के फाइनल मैच में अपनी मां से संबंधित एक वाकये का जिक्र किया.

By Anant Narayan Shukla | January 20, 2025 9:40 AM

Sachin Tendulkar: मुंबई में वानखेड़े स्टेडियम के 50 वर्ष होने के अवसर पर एक भव्य आयोजन किया गया. जिसमें मुंबई के लिए खेलने वाले पूर्व और वर्तमान खिलाड़ियों को भी सम्मानित किया गया. इसी मैदान पर भारत के टी20 विश्वकप जीतने के बाद स्वागत समारोह का आयोजन किया गया था, जिसमें रोहित शर्मा की अगुवाई वाली टीम इंडिया ने 17 साल बाद यह उपलब्धि हासिल की थी. इसी अवसर पर सचिन तेंदुलकर ने कहा कि उन्हें 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट खेलते समय भी ऐसी ही भावनाओं का अनुभव हुआ था. 

उन्होंने कहा, ‘‘जब वेस्टइंडीज के खिलाफ श्रृंखला के कार्यक्रम की घोषणा की गई, तो मैंने  एन श्रीनिवासन (तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष) को फोन किया और अनुरोध किया कि क्या श्रृंखला का दूसरा और आखिरी मैच वानखेड़े में खेला जा सकता है क्योंकि मैं चाहता हूं कि मेरी मां मुझे अपना आखिरी मैच खेलते हुए देखें.’’ सचिन तेंदुलकर की मां रजनी तेंदुलकर एक इंश्योरेंश एजेंसी में काम करती थीं.

फाइनल मैच के दिन पूरा परिवार मैदान में साथ था

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरी मां ने उससे पहले कभी भी स्टेडियम आकर मुझे खेलते हुए नहीं देखा था. उस समय उनका स्वास्थ्य ऐसा था कि वह वानखेड़े को छोड़कर किसी अन्य स्थान पर नहीं जा सकती थी. बीसीसीआई ने बहुत शालीनता से उस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और मेरी मां और पूरा परिवार उस दिन वानखेड़े में थे. आज जब मैंने वानखेड़े में कदम रखा, तो मैं उन्हीं भावनाओं का अनुभव कर रहा हूं.’’ सचिन ने 2011 के विश्वकप के फाइनल मैच में 18 रन बनाए थे. तेंदुलकर ने 2011 के विश्वकप में 9 पारियों में 53.55 की औसत से 482 रन बनाए थे. वे भारत की ओर से टॉप स्कोरर रहे थे. 

फाइनल मैच में जीत के बाद कंधे पर बैठा कर घुमाया गया

तेंदुलकर ने कहा कि 2003 में एकदिवसीय विश्व कप फाइनल में पहुंचने के बाद भारत ने इस स्थान पर ही विश्व कप जीता था. उन्होंने विश्व कप जीतने के बाद साथी खिलाड़ियों के द्वारा कंधे पर उठाकर मैदान का चक्कर लगाने के बारे में कहा, ‘‘वह निस्संदेह मेरे जीवन का सबसे अच्छा क्षण था.’’ महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया ने उस मैच को 6 विकेट से जीता था. उस मैच में श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 274 रन बनाए थे, जिसके बाद गौतम गंभीर के 97 रन और धोनी के 91 रनों की बदौलत भारत ने 48.2 ओवर में 277 रन बनाकर मैच जीत लिया था.  

Sachin tendulkar after winning world cup in 2011.

2011 विश्व कप में भारत की जीत के बाद अपने साथियों द्वारा कंधों पर उठाए जाने की मशहूर तस्वीर पर अपने विचार रखते हुए, तेंदुलकर ने कहा, “यह बिना किसी संदेह के मेरे जीवन का सबसे अच्छा क्षण था. गावस्कर के विश्वकप जीत का जिक्र करते हुए कहा उनकी 1983 की जीत ने मुझे प्रेरित किया कि मेरे हाथ में भी एक ट्रॉफी होनी चाहिए. हम 1996 में भारत में और 2003 में दक्षिण अफ्रीका में विश्व कप जीतने के करीब पहुँच गए थे. हालाँकि, हम अपने घरेलू मैदान वानखेड़े स्टेडियम में फाइनल तक पहुँच गए. उस समय तक, किसी भी मेज़बान देश ने विश्व कप नहीं जीता था.” 

एमसीए ने इस अवसर पर अनुभवी क्रिकेट कोच विलास गोडबोले को भी सम्मानित किया, जो 1972-73 की प्रबंध समिति के एकमात्र जीवित सदस्य हैं, जब वानखेड़े स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा था. उनके साथ ही क्रिकेट मैदान के वास्तुकार शशि प्रभु को भी सम्मानित किया.

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