Rohit Sharma: भारत ने पिछले दिनों इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में बड़ी जीत दर्ज की है. पहला मुकाबला हैदराबाद में हारने के बाद रोहित शर्मा की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने सभी 4 मुकाबले जीतकर सीरीज पर 4-1 से कब्जा कर लिया. इस सीरीज में कई वर्ल्ड रिकॉर्ड टूटे और कई बने. सबसे बड़ी बात यह रही कि इस टेस्ट सीरीज में पांच खिलाड़ियों को डेब्यू करने का मौका मिला और सभी ने अपना प्रभाव छोड़ा. डेब्यू करने वालों में एक नाम सरफराज खान का भी था. सरफराज ने अपनी बल्लेबाजी से सभी को प्रभावित किया और सीरीज में 200 के करीब रन बनाए. सीरीज के दौरान कप्तान रोहित शर्मा युवा खिलाड़ियों को मैदान पर सीखाते भी नजर आए. सरफराज खान ने रोहित शर्मा की तारीफ में काफी कुछ कहा और उनकी तुलना ‘लगान’ फिल्म के आमिर खान से कर दी.
Rohit Sharma: रोहित भाई के साथ खेलकर बड़ा मजा आया
सरफराज खान ने न्यूज चैनल आज तक से बातचीत में कहा कि रोहित भाई के साथ खेलकर मुझे बहुत मजा आया. मैं बहुत टाइम से क्रिकेट खेल रहा हूं, करीब 9-10 साल. मैंने आईपीएल भी खेला और मैं घरेलू क्रिकेट भी खेल रहा हूं. लेकिन मुझे रोहित भाई के साथ खेलकर बहुत मजा आया. उनको देखता हूं तो एकदम प्यार सा आता है. इतने अच्छे बंदे हैं वो. रोहित भाई सभी को लेकर चलते हैं. जब वो कुछ बोलते हैं तो सुनने में काफी अच्छा लगता है. आपने वो फिल्म देखी होगी ‘लगान’. आमिर खान कैसे टीम बनाता है. जब मैं रोहित भाई को देखता हूं तो मुझे वही आमिर खान की याद आती है.
Rohit Sharma: वह डांटते नहीं हैं, सीखाते हैं
सरफराज ने आगे कहा कि रोहित भाई डांटते नहीं हैं, बस समझाते हैं. हर किसी के बोलने का तरीका अलग होता है. मुझे नहीं लगता कि रोहित भाई डांट के बात करते हैं. मुंबई वालों की लैग्वेज ही ऐसी होती है. हम तू लगाकर बोलते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वो डांट के बात करते हैं. ये हम मुंबई वालों की स्टाइल है, हम ऐसे ही बात करते हैं. अच्छा सभी को साथ लेकर चलते हैं, सीखाते हैं. मुझे डेब्यू पर जूनियर जैसा फील नहीं आया. बॉन्डिंग अच्छी है.
Rohit Sharma: इंग्लैंड के खिलाफ सरफराज का डेब्यू
सरफराज खान ने इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट में डेब्यू किया. उन्हें राजकोट में तीसरे टेस्ट से पहले भारत के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले ने टेस्ट कैप सौंपी थी. उन्होंने महान सुनील गावस्कर का अनुकरण करते हुए दो अर्धशतक बनाए. पहले अर्धशतक के बाद सरफराज ने कहा कि बचपन से मैं टेस्ट क्रिकेट के महत्व के बारे में कहानियां सुनता रहा हूं. मेरे पिता मुझे खेल के सबसे लंबे प्रारूप के महत्व के बारे में बताते रहे हैं. ऐसा नहीं है कि कोई दबाव नहीं था. जब मैं अपनी पहली श्रृंखला खेल रहा था तो मुझे भी दबाव महसूस हुआ था.