विश्व कप के फाइनल मुकाबले में भारत को करारी हार का सामाना करना करना पड़ा. ऑस्ट्रेलिया ने भारत को छह विकेट से मात देकर इस विश्व कप अपने नाम कर लिया. भारत ने सभी मुकाबलों में जीत दर्ज करते हुए फाइनल में अपनी जगह पक्की की थी. भारतीय टीम के विजय रथ पर ऑस्ट्रेलिया ने विराम लगा दिया. हार के बाद पूरे भारत में शोक का मौहाल था. सभी भारतवासियों को ये समझ नहीं आ रहा था की भारत ये मुकाबला कैसा हार गया. मार के बाद पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी को लगा कि यह हार अति आत्मविश्वास के कारण हुई, जिसको लेकर उनकी एक तीखी टिप्पणी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है.
भारत की पारी के दौरान अफरीदी पाकिस्तान के चैनल समा टीवी पर लाइव थे. मुश्किल परिस्थितियों में मेन इन ब्लू को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले बल्लेबाजी करने के लिए बुलाया गया. भारतीय टीम ने अपने सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल को चार रन पर खो दिया. जबकि कप्तान रोहित शर्मा ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के खिलाफ अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी जारी रखी. अपनी पारी के दौरान उन्होंने 31 गेंदों में 47 रन बनाए. इनके कैच आउट होने के बाद अफरीदी का एक बयान सामने आया. उन्होंने कहा, ‘जब आप खेल जारी रखते हैं तो अति आत्मविश्वास भी ज्यादा हो जाता है. तो वह चीज आपको हरा देती है.’
भारत की खराब शुरुआत के बाद भारतीय टीम के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली और विकेटकीपर केएल राहुल ने टीम को वापस से बेहतरीन लय में लाया. कोहली और केएल राहुल के बीच 18.3 ओवर में 67 रनों की साझेदारी हुई. लेकिन उनके आउट होने के बाद, शेष लाइन-अप नियमित रूप से गिर गए और भारत पूरी पारी में केवल 240 रन पर ही सिमट गई.
ट्रैविस हेड और मार्नस लाबुशेन के बीच चौथे विकेट के लिए 192 रनों की शानदार साझेदारी के दम पर ऑस्ट्रेलिया ने सात ओवर शेष रहते हुए लक्ष्य का पीछा कर लिया. फाइनल के बाद उसी चैनल पर बोलते हुए अफरीदी, हेड के प्रयासों की सराहना नहीं करने के लिए भारतीय दर्शकों पर नाराज दिखे. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि हम सभी ने अपने करियर में कभी न कभी इसका अनुभव किया है. जब भी हम कोई चौका लगाते हैं या शतक बनाते हैं या विकेट लेते हैं, तो (भारतीय) भीड़ की ओर से कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है. कल जब ट्रैविस हेड ने शतक बनाया तो दर्शकों में सन्नाटा छा गया. क्यों? एक खेल-प्रेमी राष्ट्र हमेशा प्रत्येक एथलीट और उनके प्रयासों की सराहना करता है, लेकिन भारतीय भीड़, जो कि एक तथाकथित-शिक्षित भीड़ है, से ऐसा न मिलना आश्चर्यजनक था. यह इतना बड़ा शतक था कि कम से कम कुछ लोग खड़े होकर तालियां बजा सकते थे. और जिस तरह से टीम की बॉडी लैंग्वेज गिरती रही, भीड़ में भी वैसा ही चल रहा था.’