भारत के पूर्व कप्तान और चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर ने बीसीसीआई प्रमुख सौरव गांगुली के विराट कोहली और बीसीसीआई पर दिये गये बयान पर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण को बेहतर तरीके से संभाला जाना चाहिए था. भारत के पूर्व दिग्गज ने यह भी कहा कि जब कप्तानी या चयन की बात आती है तो चयनकर्ताओं के पास निर्णय लेने का अधिकार होता है न कि बीसीसीआई प्रमुख के पास.
खलीज टाइम्स से एक्सक्लूसिव बातचीत में दिलीप वेंगसेकर ने कहा कि ‘बात यह है कि सौरव गांगुली के पास चयन समिति की ओर से बोलने का कोई काम नहीं था. सौरव गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष हैं. चयन या कप्तानी के बारे में कोई भी मुद्दे पर चयन समिति के अध्यक्ष को बोलना चाहिए. गांगुली ने पूरी बात कही, जाहिर है विराट कोहली अपनी बात साफ करना चाहते थे.
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उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि यह चयन समिति के अध्यक्ष और कप्तान के बीच का मामला होना चाहिए था. चयन समिति द्वारा एक कप्तान का चयन किया जाता है या हटाया जाता है, यह गांगुली का अधिकार क्षेत्र नहीं है. इससे पहले बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने कहा था कि रोहित को भारत के पूर्णकालिक कप्तान के रूप में नामित करना बीसीसीआई और चयनकर्ताओं का आपसी निर्णय था.
लेकिन दक्षिण अफ्रीका दौरे से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विराट कोहली ने मामले पर अपना पक्ष रखा और गांगुली के उस बयान को गलत बताया, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोहली से टी-20 की कप्तानी नहीं छोड़ने का आग्रह किया गया था. कोहली ने एक और बड़ी बात कही कि दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए टेस्ट टीम की चयन बैठक से केवल 90 मिनट पहले ही उन्हें एकदिवसीय कप्तानी से हटाये जाने की सूचना दी गयी.
वेंगसरकर ने याद किया कि 1932 से यही रहा है जब पहली भारतीय टीम का चयन किया गया था. एक बार हमने पांच टेस्ट मैचों में चार कप्तान देखे थे. लेकिन हां, अब चीजें बदलनी चाहिए. कोहली का आपको सम्मान करना होगा, उन्होंने बहुत कुछ किया है. देश के लिए, भारतीय क्रिकेट के लिए बहुत कुछ किया है. लेकिन उन्होंने उनके साथ कैसा व्यवहार किया, इससे निश्चित रूप से उन्हें दुख हुआ होगा.