सौरव गांगुली BCCI अध्यक्ष बने रहेंगे या नहीं, आज सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला
न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि पदाधिकारियों के कार्यकाल के बीच कूलिंग ऑफ अवधि को समाप्त नहीं किया जायेगा. वहीं बीसीसीआई के संविधान के अनुसार, एक पदधिकारी को राज्य संघ या बीसीसीआई या दोनों संयुक्त रूप से, के लगातार दो कार्यकालों के बीच तीन साल की कूलिंग ऑफ अवधि से गुजरना पड़ता है.
बीसीसीआई (BCCI) के अध्यक्ष सौरव गांगुली बने रहेंगे या नहीं इस बार बुधवार को फैसला आ सकता है. न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि पदाधिकारियों के कार्यकाल के बीच कूलिंग ऑफ अवधि को समाप्त नहीं किया जायेगा, क्योंकि कूलिंग ऑफ अवधि का उद्देश्य यह है कि कोई निहित स्वार्थ नहीं होना चाहिए. शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी बोर्ड की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की जिसमें उसके अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह सहित अन्य पदधिकारियों के कार्यकाल के संबंध में अपने संविधान में संशोधन करने की मांग की गयी थी. इसमें राज्य क्रिकेट संघों और बीसीसीआइ के पदाधिकारियों के कार्यकाल के बीच अनिवार्य कूलिंग ऑफ अवधि (तीन साल तक कोई पद नहीं संभालना) को समाप्त करना शामिल है.
बीसीसीआई एक स्वायत्त संस्था है
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह बुधवार को सुनवाई जारी रखेगी और फिर आदेश पारित करेगी, बीसीसीआई के संविधान के अनुसार, एक पदधिकारी को राज्य संघ या बीसीसीआई या दोनों संयुक्त रूप से, के लगातार दो कार्यकालों के बीच तीन साल की कूलिंग ऑफ अवधि से गुजरना पड़ता है. बीसीसीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ से कहा कि देश में क्रिकेट का खेल काफी व्यवस्थित है. बीसीसीआई एक स्वायत्त संस्था है और सभी बदलावों पर क्रिकेट संस्था की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में विचार किया गया.
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2019 में सौरव गांगुली और जय शाह ने संभाला था पद
वहीं पीठ ने कहा, ‘बीसीसीआई एक स्वायत्त निकाय है. हम इसके कामकाज का सूक्ष्म प्रबंधन नहीं कर सकते.’ बता दें कि सौरव गांगुली और जय शाह ने तीन साल पहले अक्टूबर 2019 में बीसीसीआई के अध्यक्ष और सचिव के तौर पर जिम्मेदारी संभाली थी. सौरव गांगुली के नेतृत्व में बोर्ड ने कई अहम फैसले लिए हैं. जिसमें महिलाओं के आईपीएल की शुरुआत, पुरुष आईपीएल में टीमों की संख्या बढ़ाने, घरेलू क्रिकेटरों की मैच फीस बढ़ाने जैसे कई अहम फैसले अपने कार्यकाल में शामिल हैं.