दक्षिण अफ्रीका के निवर्तमान कोच मार्क बाउचर ने रविवार को यहां नीदरलैंड के हाथों मिली हार को कोच के रूप में उनकी सबसे बुरी पराजय करार दिया, क्योंकि इससे उनकी टीम टी20 विश्वकप से बाहर हो गये. जिम्बाब्वे के खिलाफ मैच बारिश की भेंट चढ़ने के बाद दक्षिण अफ्रीका बांग्लादेश और भारत पर जीत के कारण ग्रुप दो में शीर्ष पर पहुंच गया था. उसे अंतिम चार में पहुंचने के लिए केवल नीदरलैंड पर जीत की दरकार थी.
नीदरलैंड की टीम ने चार विकेट पर 158 रन का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया और फिर इसके बाद दक्षिण अफ्रीका को आठ विकेट पर 145 रन पर रोककर 13 रन से जीत दर्ज की. मार्क बाउचर से पूछा गया कि आखिर गलती कहां हुई, उन्होंने कहा, ‘हमने जिस तरह से शुरुआत की अगर आप उस पर गौर करो तो हमारे खिलाड़ी ऊर्जावान नहीं थे. फिर चाहे इसका कारण मैच का सुबह शुरू होना हो या कुछ और हमारे लिए यह समय वास्तव में मुश्किल था.’
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दक्षिण अफ्रीका को एक बार फिर से विश्वकप से जल्दी बाहर होना पड़ा. वह अभी तक वनडे या टी20 विश्व कप के फाइनल में जगह नहीं बना पाया है. बाउचर ने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो मैं बेहद निराश महसूस कर रहा हूं. मेरा मानना है कि यह टीम को बेहतर मौके की हकदार थी लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ जो कि मेरे लिए बेहद निराशाजनक है और निश्चित तौर पर हमारे प्रत्येक खिलाड़ी के लिए यह निराशाजनक है.’
दक्षिण अफ्रीका की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी के बाद 1992 के वनडे विश्व कप से ही उसके साथ यह कहानी जुड़ गयी थी. तब इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल में उसे 13 गेंदों पर 22 रन की जरूरत थी लेकिन बारिश के कारण खेल रुक गया और आखिर में उसे एक गेंद पर 21 रन बनाने की चुनौती मिली. इसके बाद 1999 के विश्वकप सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसे चार गेंदों पर केवल एक रन की जरूरत थी लेकिन एनल डोनाल्ड के रन आउट होने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने वापसी की और फाइनल में जगह बनायी.
विश्व कप 2003 ने वह अच्छी स्थिति में था लेकिन डकवर्थ लुईस का आंकड़े का सही आकलन नहीं कर पाये और श्रीलंका के खिलाफ मैच टाई छूटने के कारण टूर्नामेंट से बाहर हो गये. इसके अलावा उसे 2007 और 2015 के वनडे विश्वकप में भी सेमीफाइनल में हार झेलनी पड़ी. टी20 विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका में दो बार 2009 और 2014 में सेमीफाइनल में जगह बनायी थी. बाउचर से पूछा गया क्या नीदरलैंड के खिलाफ हार सभी में सबसे बुरी थी, उन्होंने कहा, ‘मेरे कोच रहते हुए यह शायद सबसे बुरी हार है. यह बेहद निराशाजनक है क्योंकि खिलाड़ी के रूप में आप कुछ तो कर सकते हैं जबकि कोच के तौर पर आपको अच्छा प्रदर्शन करने के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है. कोच के रूप में मेरे लिए यह निश्चित तौर पर सबसे बुरी हार है.